Ranchi (Jharkhand) : सहायक आचार्य (गणित एवं विज्ञान) भर्ती के संशोधित परिणाम में कथित गड़बड़ियों को लेकर झारखंड उच्च न्यायालय ने गुरुवार को झारखंड कर्मचारी चयन आयोग (जेएसएससी) को कडी फटकार लगाई।
आयोग से हाईकोर्ट किया यह सवाल
जस्टिस आनंद सेन की अदालत ने आयोग से स्पष्ट करने को कहा कि आखिर किस नियम, प्रक्रिया और तर्क के आधार पर अधिक अंक पाने वाले अभ्यर्थियों को सूची से बाहर किया गया, जबकि उनसे कम अंक प्राप्त करने वाले उम्मीदवारों को संशोधित सूची में शामिल रखा गया। अदालत ने यह भी पूछा कि संशोधित परिणाम में कम अंक वालों को बनाए रखने और ज्यादा अंक वालों को हटाने का आधार क्या था और यह प्रक्रिया किस नियम के तहत अपनाई गई। मामले में किशोर कुमार और अन्य अभ्यर्थियों ने याचिका दायर की है।
संशोधित परिणाम में कई योग्य अभ्यर्थी सूची से बाहर
प्रार्थियों की ओर से अधिवक्ता चंचल जैन ने बताया कि प्रारंभिक परिणाम में सभी याचिकाकर्ताओं का चयन हुआ था। उन्हें जिला स्तरीय काउंसलिंग में बुलाया गया और उनके अंक भी उपलब्ध कराए गए। लेकिन जब जेएसएससी ने संशोधित परिणाम जारी किया, तो कई योग्य अभ्यर्थियों को सूची से बाहर कर दिया गया। वहीं, ऐसे उम्मीदवार जिनके अंक याचिकाकर्ताओं से कम थे, उन्हें संशोधित सूची में रखा गया।
अधिक अंक वाले अभ्यर्थी बाहर, कम वालों को मौका
अधिवक्ता ने अदालत को बताया कि 15–20 से अधिक मामलों में यह स्पष्ट रूप से देखा गया है कि कम अंक वाले अभ्यर्थियों को मौका दिया गया है, जबकि उच्च अंक वाले उम्मीदवारों को बाहर कर दिया गया। उन्होंने तर्क दिया कि सभी याचिकाकर्ताओं ने अपने-अपने वर्ग में अधिक अंक प्राप्त किए हैं और टीईटी भी उत्तीर्ण है, इसलिए उनका बाहर होना चयन प्रक्रिया की पारदर्शिता पर गंभीर प्रश्न खड़ा करता है। अदालत ने जेएसएससी को निर्देश दिया है कि वह अगली सुनवाई से पहले विस्तृत हलफनामा दाखिल कर पूरी प्रक्रिया का स्पष्ट, तर्कसंगत और नियम आधारित विवरण प्रस्तुत करे।
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