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Jharkhand : शराब घोटाला में फिर बड़ी कार्रवाई: पूर्व उत्पाद आयुक्त अमित प्रकाश चढ़े एसीबी के हत्थे, 12 करोड़ की अनियमितता का आरोप

ACB Action: मामले की जांच के दौरान रिटायर्ड उत्पाद आयुक्त को बुलाया गया था पूछताछ के लिए। एसीबी की विशेष अदालत में किया गया पेश, न्यायिक हिरासत में बिरसा मुंडा केंद्रीय कारागार भेजा गया।

by Anurag Ranjan
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रांची : झारखंड में बहुचर्चित शराब घोटाले की जांच में भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) ने मंगलवार को बड़ी कार्रवाई की। एसीबी ने राज्य के पूर्व उत्पाद आयुक्त अमित प्रकाश को गिरफ्तार कर लिया है। एसीबी की टीम ने उन्हें पूछताछ के लिए मुख्यालय बुलाया था, जहां प्रारंभिक पूछताछ के बाद उन्हें अरेस्ट कर लिया गया। अमित प्रकाश को मंगलवार देर शाम रांची स्थित एसीबी की विशेष अदालत में पेश किया गया, जहां से उन्हें न्यायिक हिरासत में बिरसा मुंडा केंद्रीय कारागार भेज दिया गया।

इससे पहले दिनभर चली गहन पूछताछ के दौरान एसीबी के कई महत्वपूर्ण सवालों का अमित प्रकाश संतोषजनक जवाब नहीं दे पाए। अधिकारियों के अनुसार, पूछताछ में उनके जवाब टालमटोल वाले थे और वे खुद पर लगे आरोपों से जुड़े तथ्यों को स्पष्ट रूप से प्रस्तुत नहीं कर सके।

ओम साईं नामक शराब के थोक व्यापारी के 12 करोड़ रुपये विमुक्त करने का आरोप

जानकारी के अनुसार, अमित प्रकाश पर शराब के थोक व्यापारी ओम साईं के करीब 12 करोड़ रुपये का बकाया अवैध रूप से विमुक्त करने का गंभीर आरोप है। अमित प्रकाश ने दिसंबर 2024 में उत्पाद आयुक्त पद से सेवानिवृत्ति ली थी। यह मामला उस समय का है जब उन्होंने रिटायरमेंट से पहले ही बकाया राशि को पास कर दिया, जबकि उस कंपनी के खिलाफ पहले से जांच चल रही थी और भुगतान पर सरकारी रोक लगी हुई थी।

एसीबी ने किया अप्राथमिक अभियुक्त घोषित

पूर्व उत्पाद आयुक्त एवं जेएसबीसीएल के पूर्व एमडी अमित प्रकाश को एसीबी ने अब इस घोटाले में पहला अप्राथमिक अभियुक्त घोषित कर दिया है। इससे पहले इस मामले में 12 लोगों को नामजद आरोपी बनाया गया था, जिनमें से 5 की गिरफ्तारी हो चुकी है।

कार्यकाल में 70 करोड़ का घाटा, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं


एसीबी की जांच रिपोर्ट में यह सामने आया है कि अमित प्रकाश के कार्यकाल में शराब बिक्री से राजस्व में 70 करोड़ रुपये की भारी गिरावट आई। दिसंबर 2024 तक एमडी के पद पर रहते हुए, उनके पास बैंक गारंटी इनकैश कर सरकारी खजाने में पैसा जमा कराने का अधिकार था, मगर उन्होंने इस दिशा में कोई कदम नहीं उठाया। इससे झारखंड राज्य बेवरेजेज कॉरपोरेशन लिमिटेड (जेएसबीसीएल) को करोड़ों का नुकसान हुआ।

विनय चौबे सहित कई हैं सलाखों के पीछे

इससे पहले एसीबी ने इस मामले में कई बड़े अधिकारियों को गिरफ्तार किया था। गिरफ्तार किए गए आरोपियों में तत्कालीन उत्पाद सचिव विनय कुमार चौबे, संयुक्त आयुक्त गजेंद्र सिंह (निलंबित), जेएसबीसीएल के वित्त महाप्रबंधक सुधीर कुमार दास, पूर्व महाप्रबंधक सुधीर कुमार, और प्लेसमेंट एजेंसी के स्थानीय प्रतिनिधि नीरज कुमार सिंह शामिल हैं। ये सभी वर्तमान में न्यायिक हिरासत में जेल में हैं।

कई की भूमिका आ सकती है जांच के दायरे में

अमित प्रकाश से फिलहाल पूछताछ जारी है। एसीबी इस गिरफ्तारी को पूरे घोटाले के जड़ तक पहुंचने की दिशा में एक अहम कड़ी मान रही है। माना जा रहा है कि आने वाले दिनों में और भी अधिकारियों और कंपनियों की भूमिका जांच के दायरे में आ सकती है।

2021 के अंत में हुई थी शराब घोटाले की शुरूआत

शराब घोटाले की शुरूआत 2021 के अंत से मानी जाती है, जब झारखंड में नई शराब नीति लागू करने की तैयारी शुरू हुई। 2022-23 में लागू इस नई नीति के तहत छत्तीसगढ़ की कंपनियों—ओम साईं और दिशिता वेंचर—को थोक आपूर्ति का काम सौंपा गया। इस नीति में छत्तीसगढ़ के शराब सिंडिकेट के प्रभाव की चचार्एं पहले से ही थीं। राज्य सरकार ने इसके लिए छत्तीसगढ़ स्टेट मार्केटिंग लिमिटेड (सीएसएमएल) को सलाहकार भी नियुक्त किया और नीति निर्माण के लिए अरुणपति त्रिपाठी को 1.25 करोड़ रुपये की फीस दी गई। हालांकि, राजस्व पर्षद सदस्य अमरेंद्र प्रसाद सिंह ने इस नीति पर गंभीर आपत्ति जताई थी। उन्होंने स्पष्ट शब्दों में लिखा था कि जिस सलाहकार कंपनी को शराब राजस्व बढ़ाने का जिम्मा दिया गया है, वह अपने राज्य में भी इस लक्ष्य को पूरा करने में असफल रही है।

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