रामगढ़ : पतरातू स्थित पीवीयूएनएल के खिलाफ लबगा गांव के ग्रामीण एकजुट होकर संघर्ष करने का मन बना चुके हैं। ग्रामीणों का आरोप है कि विस्थापन के बाद गांव के युवाओं को बेरोजगारी के अंधकार में धकेल दिया गया है, जबकि कंपनी रोजगार और विकास के अवसरों से उन्हें वंचित कर रही है।
लबगा विस्थापित विकास समिति की बैठक
लबगा विस्थापित विकास समिति की बैठक रविवार को मां पंचवाहिनी मंदिर के प्रांगण में हुई। ग्रामीणों ने पीवीयूएनएल-एनटीपीसी पर भेदभाव करने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि कंपनी ने गांव के युवाओं को रोजगार और कंपनी द्वारा चलाए जा रहे प्रशिक्षण कार्यक्रमों से दूर रखा है। साथ ही, CSR (कॉर्पोरेट सोशल रिस्पॉन्सिबिलिटी) के तहत गांव में कोई विकास कार्य नहीं किया जा रहा है। ग्रामीणों के अनुसार, पतरातू थर्मल परियोजना के लिए लबगा गांव की 90 प्रतिशत जमीन पहले ही अधिग्रहित की जा चुकी है। बावजूद, विकास योजनाओं में गांव को शामिल नहीं किया गया है।
ग्रामीणों ने लगाया भेदभाव का आरोप
ग्रामीणों का कहना है कि यह भेदभाव एक सोची-समझी रणनीति के तहत किया जा रहा है ताकि गांव के युवाओं को रोजगार और विकास के अवसरों से दूर रखा जा सके। ग्रामीणों ने यह स्पष्ट किया कि वे इस अन्याय के खिलाफ संघर्ष करने के लिए तैयार हैं। बैठक में निर्णय लिया गया कि जल्द ही स्थानीय प्रशासन और जनप्रतिनिधियों को ज्ञापन सौंपा जाएगा। यदि प्रशासन और जनप्रतिनिधि उचित कदम नहीं उठाते हैं, तो ग्रामीण वृहद आंदोलन करने के लिए भी तैयार हैं।
प्रशासन से अपेक्षाएं
ग्रामीणों ने कहा कि यदि प्रशासन ने उनकी मांगों पर उचित कार्रवाई नहीं की, तो वे बड़े आंदोलन के लिए मजबूर होंगे। ग्रामीणों का मुख्य उद्देश्य रोजगार के अवसर और गांव का समग्र विकास को सुनिश्चित करना है। ग्रामीणों ने कहा कि उनका संघर्ष शांतिपूर्ण होगा, लेकिन वे अपने अधिकारों के लिए आवाज उठाने से पीछे नहीं हटेंगे। क्योंकि उनका संघर्ष न्याय के लिए है। उन्होंने स्थानीय प्रशासन से अपील की कि गांव के युवाओं के लिए रोजगार और विकास के अवसर उपलब्ध कराए जाएं।
बैठक में ये थे उपस्थित
रामेश्वर गोप, लखन मुंडा, नंदलाल महतो, रंजीत यादव, सुरेश गोप, दीपक, अभिषेक, सागर मुंडा, विकास, अशोक, मनोज, अमित, प्रेम, संदीप, नितेश, योगेश, सूरज, संतोष, हंसराज, पंकज, विशाल एवं अन्य।