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JNU Student Union elections : जेएनयू में छात्र संघ चुनाव को लेकर रात भर चला प्रेसीडेंशियल डिबेट, ‘कश्मीर हमारा है’ समेत कई जोशीले नारों से गूंजा कैंपस

by Anand Mishra
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New Delhi : जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (JNU) में छात्र राजनीति की सबसे बड़ी रात, ‘प्रेसीडेंशियल डिबेट’, एक बार फिर चर्चाओं और नारों से गूंज उठी। आगामी छात्र संघ चुनाव के मद्देनज़र बुधवार रात आयोजित यह डिबेट महज एक चुनावी प्रक्रिया नहीं, बल्कि एक वैचारिक रणभूमि में बदल गई, जहां विचार, नारों और तालियों की आवाज़ से पूरी रात जिंदा रही।

रंग-बिरंगे झंडे और नारों की गूंज

JNU के ऑडिटोरियम क्षेत्र में छात्र संगठनों ने ढोल, ढपली और जोशीले नारों के साथ माहौल को पूरी तरह गरमा दिया। ABVP के समर्थकों ने “कश्मीर हमारा है” और “हिंदू जीवन मायने रखता है” जैसे नारे लगाए, जबकि AISA कार्यकर्ताओं ने ‘आजादी’ के नारे के साथ लगा, जबकि ऑल इंडिया स्टूडेंट्स एसोसिएशन (आइसा) ने एकजुटता में फलस्तीनी झंडा दिखाया। यह दृश्य JNU को देश की राजनीतिक रूप से सबसे जागरूक यूनिवर्सिटी साबित करता है, जहां हर वर्ग की आवाज़ को जगह मिलती है।

ABVP की शिखा स्वराज: ‘‘अब लाल अंधेरा छंटेगा’’

ABVP की अध्यक्ष पद की उम्मीदवार शिखा स्वराज ने हाल ही में जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले का ज़िक्र करते हुए भीड़ में ऊर्जा भर दी। उन्होंने तीखे स्वर में पूछा, “जो कहते हैं कि आतंकवाद का कोई धर्म नहीं होता, क्या मरने से पहले पीड़ितों से उनका धर्म नहीं पूछा गया?” उन्होंने JNU में वामपंथ के प्रभाव को असफल बताते हुए कहा, “अब ABVP इस परिसर में सूरज की तरह उगेगा।” AISA के नीतीश कुमार: ‘‘यह JNU है, कोई महापौर चुनाव नहीं’’

AISA के नीतीश कुमार ने चुनाव प्रक्रिया में किसी भी धांधली के आरोपों को सिरे से खारिज करते हुए कहा, “यह चंडीगढ़ का महापौर चुनाव नहीं है, यह JNU है!” उन्होंने फैज अहमद फैज की मशहूर शायरी के जरिए अपनी बात को भावनात्मक रंग दिया, “जो कोई चाहने वाला तवाफ को निकले, नज़र चुरा के चले, जिस्म-ओ-जां बचा के चले।”

NSUI के प्रदीप ढाका : ‘इस देश को संविधान चलाएगा’

NSUI से अध्यक्ष पद के उम्मीदवार प्रदीप ढाका ने अपने भाषण में अदाणी से लेकर ट्रंप तक और किसानों से लेकर संविधान तक हर मुद्दे को छुआ। उनका स्पष्ट कहना था: “इस देश को कोई संगठन नहीं, संविधान चलाएगा!”

AIDSO के सुमन : हमारे पास जर्नल तक नहीं!’

AIDSO के सुमन ने यूनिवर्सिटी की शिक्षा व्यवस्था की गिरती हालत की ओर इशारा करते हुए कहा, “लाइब्रेरी में जर्नल नहीं, फंड नहीं। हमें HEFA से कर्ज लेना पड़ रहा है।” उन्होंने भगत सिंह और सुभाष चंद्र बोस की राजनीति की ओर लौटने का आह्वान किया।

निर्दलीयों की खामोश चीख

चुनाव में निर्दलीय उम्मीदवारों ने भी भाग लिया, हालांकि उनका स्वर अपेक्षाकृत शांत था। उन्होंने आरोप लगाया कि वाम और दक्षिण दोनों ही पक्ष छात्रों की असली समस्याओं की अनदेखी कर रहे हैं और विचारधारात्मक लड़ाई में उलझे हुए हैं।

गठबंधन और गुटबाज़ी

AISA ने इस बार Democratic Students Federation (DSF) के साथ गठबंधन किया है। दूसरी ओर, SFI, BAPSA, AISF और PSA ने मिलकर अलग गुट बनाया है।

  • मतदान की तारीख और प्रक्रिया
  • इस बार 7,906 छात्र मतदान के पात्र हैं, जिनमें से 57% छात्र और 43% छात्राएं हैं।
  • मतदान 25 अप्रैल को दो सत्रों में होगा।
  • प्रथम सत्र सुबह 9 बजे से दोपहर 1 बजे तक।
  • द्वितीय सत्र दोपहर 2:30 बजे से शाम 5:30 बजे तक।
  • मतगणना उसी रात शुरू होगी और 28 अप्रैल तक परिणाम आने की संभावना है।

श्रद्धांजलि का क्षण

डिबेट की शुरुआत जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में आतंकी हमले में मारे गए 26 लोगों की याद में दो मिनट के मौन से की गई। इस पल ने परिसर को कुछ देर के लिए गमगीन कर दिया।

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