गोरखपुर/पारम्परिक कजरी गीत नईहर से भईया बोलाइब रिलीज : भारत के लगभग हर प्रांत में लोकगीतों में वर्षा ऋतु को अहम माना गया है। सावन के इस महीने में पूर्वांचल के बेहद लोकप्रिय लोकगीत विधा “कजरी“ की परम्परा वर्षों से चली आ रही है। सावन माह में कजरी की अलग ही पहचान है। बागों, पेड़ों के कटाव के चलते अब झूला झूलने की परम्परा खत्म होती जा रही है। महिलाओं, नव युवतियों की वो मौज-मस्ती भी देखने को नहीं मिलती है।
पारम्परिक कजरी गीत नईहर से भईया बोलाइब रिलीज/ खूब भा रहा पारम्परिक धुन में चटख संगीत का तड़का
भोजपुरी संस्कृति में कजरी एक धुन है जिसे सावन में रिमझिम फुहारों के बीच गाया जाता है। पेड़ों की टहनियों पर झूला लगाकर बालाएं और महिलाएं झूलते हुए खूब गाती थीं। मान्यता है कि बरसात में काले बादल देख नई-नवेलियों का मन झूम उठता है तो बगीचों में पेड़ों की डालियों पर झूले लगा परदेश गये पिया की याद कजरी के रूप में फूट पड़ती है। इसी भाव और लोक की परम्परा के सहेजते हुए यायावरी वाया भोजपुरी ने कजरी गीत की पेशकश की है।
नये संगीत में पिरोया हुआ यह गीत आज के युवाओं जिन्हें ZEN –G कहा जा रहा उन्हें बहुत ही रास आएगा। एक तो पारम्परिक धुन, उपर से चटख संगीत का तड़का इस गाने में चार-चाँद लगा रहा है।
संस्कृति पाण्डेय के स्वर को सुशांत ने संगीत से सजाया
इस बेहद लोकप्रिय गीत को गाया है छपरा की नवोदित युवा लोकगायिका संस्कृति पाण्डेय ने। वहीं इस गीत को संगीत से सजाया है गोरखपुर के युवा संगीतकार सुशांत देव ने। फिल्माकंन The One Shot Films and Photography का है |
एक नवदम्पत्ति के प्यार-मनुहार वाले नोक-झोंक को बेहद ही खुबसूरती से फिल्माया गया है। गोरखपुर के सौम्या त्रिपाठी और प्रशांत उपाध्याय इस म्यूजिक वीडियो में युवा शादीशुदा जोड़े का किरदार निभा रहे हैं। प्रशांत इससे पहले यायावरी वाया भोजपुरी के बैनर तले बने गीत “नेहिया” में अदाकरी कर चुके हैं।
कजरी को पूर्वांचल का राग मल्हार भी कहा जाता है। मान्यता है कि जब नवयुवतियां झूले पर बैठ कजरी का राग छेड़ती हैं तब बादल भी उमड़-घुमड़कर बरसने से अपने-आप को रोक नहीं पाते हैं।
READ ALSO : छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की महिला विधायक छन्नी चंदू साहू, पर हुआ जानलेवा हमले के बाद मचा राजनीतिक घमासान