रांची / झरिया : कुड़मी समाज को आदिवासी सूची व कुड़माली भाषा को आठवीं सूची में सूचीबद्ध करने की मांग को लेकर शनिवार की सुबह प्रधानखंटा स्टेशन पर रेल रोको आंदोलन को सफल बनाने के लिए सैकड़ों महिला-पुरुष प्रधानखंटा स्टेशन पहुंचकर पटरी पर बैठ गए। आंदोलन का नेतृत्व जगन्नाथ महतो, हीरालाल महतो, आशीष महतो, विष्णु महतो, दिलीप कुमार महतो कर रहे थे। रेल रोको आंदोलन सुबह पांच बजे शुरू होना था, किंतु पुलिस की सक्रियता व लोगों के समय पर नहीं जुटने के कारण करीब दो घंटे बाद आंदोलन शुरू हुआ।
इसके पूर्व पुलिस द्वारा स्टेशन तक की सड़क में कई जगह बैरिकेड लगाया गया था। दो घंटे विलंब से आंदोलन शुरू होने की वजह से डाउन लाइन पर धनबाद से खुलने वाली कोलफील्ड एक्सप्रेस और राजधानी एक्सप्रेस अपने निर्धारित समय पर गुजर गई। राजधानी एक्सप्रेस के गुजरने के बाद आंदोलन में शामिल महिला कार्यकर्ता पुलिस की बैरिकेडिंग के बावजूद ट्रैक पर पहुंच गईं। जैसे-जैसे आंदोलनकारियों की संख्या बढ़ने लगी, वैसे-वैसे पुलिस बल स्थिर होने लगी। धरना देने की वजह से डाउन लाइन पर सुबह 7.40 बजे एक मालगाड़ी आकर रुकी, जिससे अप लाइन पर गुजरने वाली वंदे भारत एक्सप्रेस, शताब्दी एक्सप्रेस और बरेली पैसेंजर नहीं गुजर सकी।
पुलिस ने आंदोलनकारियों के हाथों से छीना बैनर
पुलिस की सक्रियता के कारण रेल जाम करने वाले आंदोलनकारियों को एक-एक कर स्टेशन के बाहर ही रोका जा रहा था। इस दौरान पुलिसकर्मियों ने कई आंदोलनकारियों के हाथों से उनके बैनर छीन लिए। इसे लेकर आंदोलनकारियों व पुलिस प्रशासन के बीच विवाद भी हुआ। इस मौके पर सिंदरी के डीएसपी आशुतोष कुमार सत्यम, सिंदरी के पुलिस इंस्पेक्टर रंजीत कुमार, बलियापुर के थाना प्रभारी सत्यजीत कुमार, रेल पुलिस के इंस्पेक्टर पंकज कुमार दास सहित विभिन्न थानों की पुलिस व जवान मोर्चा संभाले हुए है।
झारखंड की पटरी आज ठहर सकती है। कुड़मी समाज ने आंदोलन को सफल बनाने की ठान ली है। अपनी जाति को एसटी (अनुसूचित जनजाति) का दर्जा देने की मांग को लेकर आज से अनिश्चितकालीन ‘रेल टेका (रोको) आंदोलन’ की शुरुआत हो रही है। कुड़मी-महतो समाज के नेताओं का कहना है कि ये सिर्फ एक विरोध नहीं, बल्कि अस्तित्व और अधिकार की लड़ाई है, जिसमें झारखंड के साथ-साथ पश्चिम बंगाल और ओडिशा के कुड़मी समाज के लोग भी कूद पड़े हैं। लगभग 100 रेलवे स्टेशनों को ठप करने की रणनीति बन चुकी है और रांची जिले के मुरी, राय, टाटीसिलवे और मेसरा, पश्चिमी सिंहभूम के चक्रधरपुर और सरायकेला-खरसावां जिला के चांडिल जैसे प्रमुख स्टेशन आंदोलन का केंद्र बनेंगे। प्रशासन अलर्ट पर है, ड्रोन से निगरानी की जा रही है लेकिन कुड़मी समाज अपने इरादों को लेकर अडिग दिख रहा है।
आंदोलन का उद्देश्य : ST दर्जे की मांग
कुड़मी विकास मोर्चा के नेता ओमप्रकाश महतो ने जानकारी दी कि यह आंदोलन पूरी तरह शांतिपूर्ण होगा, लेकिन इसका असर रेलवे परिचालन पर व्यापक रूप से पड़ेगा। उनका कहना है कि लंबे समय से लंबित मांगों को लेकर अब समुदाय को मजबूरी में सड़कों और पटरियों पर उतरना पड़ रहा है।
उन्होंने बताया कि रांची जिले में मुरी, राय, टाटीसिलवे और मेसरा रेलवे स्टेशन प्रमुख रूप से आंदोलन से प्रभावित रहेंगे। वहीं पश्चिम बंगाल और ओडिशा के सीमावर्ती इलाकों में भी इसी प्रकार रेल परिचालन को बाधित किया जाएगा।
रेलवे प्रशासन अलर्ट, RPF-GRP और ड्रोन से निगरानी
दक्षिण-पूर्व रेलवे रांची मंडल ने आंदोलन के मद्देनजर सुरक्षा अलर्ट जारी कर दिया है। आरपीएफ कमांडेंट पवन कुमार ने बताया कि रेलवे स्टेशनों और पटरियों की सुरक्षा के लिए भारी संख्या में RPF, GRP और राज्य पुलिस बल की तैनाती की गई है। इसके अलावा, आंदोलन की निगरानी के लिए CCTV कैमरों और ड्रोन की मदद भी ली जा रही है।
रेल प्रशासन ने यह भी स्पष्ट किया है कि यदि किसी ने रेलवे संपत्ति को नुकसान पहुंचाया या रेल संचालन में बाधा डाली, तो उसके खिलाफ गिरफ्तारी के साथ-साथ क्षतिपूर्ति की वसूली भी की जाएगी।
यात्रियों को सतर्क रहने की अपील, रद्द हो सकती हैं ट्रेनें
रेलवे प्रशासन की ओर से अब तक कोई आधिकारिक ट्रेन रद्दीकरण या मार्ग परिवर्तन की सूचना नहीं दी गई है, लेकिन अनौपचारिक तौर पर यात्रियों से अपील की गई है कि वे अत्यावश्यक स्थिति में ही यात्रा करें। आंदोलन के चलते ट्रेनों के समय पर संचालन में बाधा की आशंका है, जिससे यात्रियों को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है।
आंदोलन की रणनीति : गांव-गांव में जनसंपर्क और प्रचार
इस आंदोलन को सफल बनाने के लिए कुड़मी समाज द्वारा गांव-गांव में प्रचार-प्रसार और जनसंपर्क अभियान चलाया गया है। समुदाय का उद्देश्य है कि सरकार तक उनकी मांगों की आवाज जोरदार तरीके से पहुंचे और उन्हें ST का दर्जा जल्द से जल्द दिया जाए।

सीनी में पटरी पर बैठीं कुड़मी समाज की महिलाएं, ट्रेन परिचालन बाधित करने की कोशिश
चक्रधरपुर : दक्षिण पूर्व रेलवे जोन के हावड़ा-मुंबई मुख्य मार्ग पर कुड़मी समाज के लोगों ने प्रदर्शन शुरू कर दिया है।चक्रधरपुर रेल मंडल अंतर्गत सीनी रेलवे स्टेशन के पास कुड़मी समाज की महिलाएं पटरी पर बैठ गई हैं, जिससे ट्रेनों का परिचालन बाधित करने की कोशिश की जा रही है। कुड़मी समाज के रेल टेका आंदोलन के तहत शनिवार को आंदोलनकारियों ने सीनी रेलवे स्टेशन पर ट्रैक जाम कर दिया। इस कारण रेल परिचालन प्रभावित हुआ और यात्रियों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। आंदोलनकारियों की मुख्य मांग है कि कुड़मी समाज को आदिवासी की में शामिल किया जाए।
दुरंतो, पूर्वा, जम्मूतवी और अजमेर-सियालदह एक्सप्रेस नहीं आएगी धनबाद, राजधानी समेत ज्यादतर ट्रेनें फंसीं

धनबाद : कुड़मी समाज के आंदोलन को लेकर जगह-जगह रेलवे ट्रैक पर उतर कर चक्का जाम करने से रेल सेवा बुरी तरह प्रभावित हो गई है। राजधानी एक्सप्रेस समेत ज्यादातर ट्रेनें अलग अलग स्टेशन पर रोक दिए गए हैं। दुरंतो और कई ट्रेनों के मार्ग बदल दिए गए हैं। मार्ग परिवर्तन के कारण कई ट्रेनें धनबाद नहीं आएंगी। उन्हें गया से तिलैया, नवादा, लखीसराय, झाझा, जसीडीह और आसनसोल होकर चलाया जाएगा।
धनबाद नहीं आएंगी ये ट्रेनें
12260 बीकानेर-सियालदह दुरंतो एक्सप्रेस
13151 जम्मूतवी-कोलकाता एक्सप्रेस
12988 अजमेर-सियालदह एक्सप्रेस
12382 नई दिल्ली-हावड़ा पूर्वा एक्सप्रेस
इन स्टेशनों पर फंसीं ट्रेनें

13305 धनबाद-सासाराम इंटरसिटी धनबाद से खुली पर गोमो में रोक दी गई।
22812 नई दिल्ली-भुवनेश्वर राजधानी गया और गोमो के बीच चौधरीबांध में
22324 गाजीपुर सिटी-कोलकाता शब्दभेदी एक्सप्रेस चौबे में
01929 झांसी-पुरी स्पेशल ट्रेन कोडरमा में
20840 नई दिल्ली-रांची राजधानी एक्सप्रेस चंद्रपुरा
13303 धनबाद-रांची इंटरसिटी एक्सप्रेस कतरास
18106 जयनगर-राउरकेला एक्सप्रेस सिजुआ
17005 हैदराबाद-रक्सौल एक्सप्रेस चंद्रपुरा
53343 गोमो-चोपन पैसेंजर चंद्रपुरा
63556 बरकाकाना-आसनसोल मेमू भंडारीदह
इन ट्रेनों को किया गया रद्द
13504 हटिया-बर्धमान मेमू
53348 बरवाडीह-गोमो पैसेंजर
53357 बरकाकाना-डेहरी ऑन सोन पैसेंजर
रेल रोको आंदोलन से चरही में रुकीं ट्रेनें, कुड़मी समाज ने रोक दिया बरकाकाना -कोडरमा पैसेंजर
हजारीबाग : कुड़मी समाज को आदिवासी सूची में शामिल करने की मांग को लेकर शनिवार को चरही रेलवे स्टेशन पर आंदोलनकारियों ने बरकाकाना–कोडरमा पैसेंजर ट्रेन को रोक दिया।जानकारी के अनुसार, पुलिस प्रशासन ने आंदोलन को देखते हुए स्टेशन और आसपास के इलाकों में जगह-जगह बैरिकेडिंग की थी।

इसके बावजूद बड़ी संख्या में लोग जंगल के रास्तों से ट्रैक तक पहुंच गए। ढोल-नगाड़ों और नारेबाजी के साथ आंदोलनकारियों की भीड़ लगातार बढ़ती गई।इसी दौरान चरही से आगे बेस के पास एक मालगाड़ी खराब हो जाने से पैसेंजर ट्रेन पहले से ही देरी से चल रही थी। ऐसे में आंदोलनकारियों को ट्रेन रोकने का अवसर मिल गया।
पैसेंजर के रुकते ही अन्य एक्सप्रेस गाड़ियां भी प्रभावित हुईं और समय पर अपने गंतव्य तक नहीं पहुंच सकीं।पुलिस व प्रशासनिक अधिकारी स्थिति पर लगातार नजर बनाए हुए हैं। भीड़ को नियंत्रित करने के लिए रेलवे ट्रैक और स्टेशन परिसर में भारी संख्या में जवानों की तैनाती की गई है।
कुड़मी समाज का रेल रोको आंदोलन शुरू, कई जगह रेलवे ट्रैक जाम
रांची: झारखंड में कुरमी – कुड़मी समाज ने खुद को आदिवासी का दर्जा दिए जाने की मांग को लेकर रेल रोको आंदोलन शनिवार से शुरू कर दिया है। आदिवासी कुड़मी समाज मंच के आह्वान पर शनिवार सुबह से ही राज्य के कई जिलों में कुड़मी समाज के लोग रेलवे ट्रैक पर उतर आए और रेल परिचालन को पूरी तरह ठप कर दिया। जानकारी के मुताबिक रांची के पास स्थित राय रेलवे स्टेशन पर बड़ी संख्या में कुड़मी समाज के लोग ट्रैक पर बैठकर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं।

वहीं, गिरिडीह के पारसनाथ और बोकारो के चंद्रपुरा में भी सैंकड़ों आंदोलनकारियों ने रेलवे लाइनों को जाम कर दिया है, जिससे इस रूट पर चलने वाली ट्रेनों का परिचालन प्रभावित हुआ है। कुड़मी मंच ने इस आंदोलन को ऐतिहासिक बनाने का दावा किया है। इस आंदोलन के लिए गांवों के स्तर पर बड़े पैमाने पर प्रचार-प्रसार और जनसंपर्क अभियान चलाया गया था।

विरोध प्रदर्शन को देखते हुए रेलवे और प्रशासन ने सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए हैं। रेलवे ट्रैक और स्टेशनों पर आरपीएफ जीआरपी और राज्य पुलिस बल की भारी तैनाती की गई है। अधिकारियों ने चेतावनी दी है कि रेलवे परिचालन बाधित करने या सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाने वाले प्रदर्शनकारियों को गिरफ्तार किया जाएगा और उनसे नुकसान की भरपाई भी की जाएगी। इसके अलावा, आंदोलन पर सीसीटीवी कैमरों और ड्रोन से भी कड़ी निगरानी रखी जा रही है।

रामगढ़ स्टेशन पर पहुंची आद्रा बरकाकाना ट्रेन
कुड़मी समाज खुद को आदिवासी समाज में शामिल करने के लिए आंदोलन कर रहा है। शनिवार को सुबह से ही समाज के लोग रेलवे स्टेशन और सड़क पर उतर गए थे। इन सब के बीच रामगढ़ कैंट रेलवे स्टेशन पर सुबह 9:00 ट्रेन संख्या 68041 आद्रा बरकाकाना ट्रेन यात्रियों को लेकर पहुंची। इस ट्रेन को रूट में किसी भी जगह पर दिक्कत नहीं हुई। हालांकि इस ट्रेन का आखिरी स्टॉपेज बरकाकाना जंक्शन पर ही है, इसलिए वहां तक आसानी से पहुंच गई।
कई ट्रेनों का रूट बदल गया
रेल प्रशासन ने आंदोलन को देखते हुए कई ट्रेनों का रूट बदला है। ट्रेन संख्या 18613 रांची चोपन एक्सप्रेस शनिवार को खुली ही नहीं। साथ ही उसका रूट भी लोहरदगा और टोरी के रास्ते से बदल गया। इसके अलावा ट्रेन संख्या 18310 हावड़ा जम्मू तवी एक्सप्रेस का रूट भी बदल गया है। यह ट्रेन भी टोरी और लोहरदगा होकर रांची जाएगी।
कुड़मी समाज के लोगों ने रेल की पटरी पर किया डांस
धनबाद : आदिवासी का दर्जा हासिल करने और कुड़मी भाषा को संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल करने की मांग को लेकर कुड़मी समाज का शनिवार से अनिश्चितकालीन ‘रेल टेका-डहर छेका’ आंदोलन शुरू हो गया है। इसके तहत झारखंड के विभिन्न रेल स्टेशनों और रेलवे ट्रैकों पर आंदोलनकारी उतर आए हैं। प्रदर्शन कर रहे कुड़मी समाज के लोग अपने नेताओं के नेतृत्व में रेल की पटरी पर बैठकर प्रदर्शन करते भी नजर आ रहे है। इसी दौरान धनबाद के दिल्ली- कोलकाता मुख्य रेल मार्ग के प्रधान खनता रेलवे स्टेशन पर सैकड़ो की संख्या में आन्दोलकारी रेलवे ट्रैक पर ढोल मंजीरा बजा नृत्य करते नजर आए।
धनबाद रेलवे स्टेशन से महज 10 किलोमीटर की दूरी पर स्थित प्रधान खनता रेलवे स्टेशन पर कुड़मी समाज के सैकड़ो आंदोलनकारियों ने घंटो रेल ट्रैक को जाम रखा। हाथों में पोस्टर-बैनर और झंडा लेकर पहुंचे कुड़मी समाज के लोगों ने पहले रेलवे ट्रैक पर समाज का झंडा गाड़ा और फिर पटरी पर बैठकर जोरदार प्रदर्शन किया। इस दौरान न सिर्फ आंदोलनकारियों ने कुड़मी समाज की एकता का नारा लगाया, बल्कि ढोल, नगाड़ो और मंजीरे की आवाज पर रेलवे की पटरी पर जमकर डांस भी किया। इस दौरान वहां मौजूद सुरक्षा कर्मियों ने कई प्रदर्शनकारियों को हिरासत में भी लिया, लेकिन आंदोलनकारी पटरी पर उतरकर रेल रोकने में सफल रहे।
वहीं, कुड़मी समाज के इस आंदोलन के कारण आम यात्रियों को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ा। कई ट्रेनें घंटों तक अलग-अलग स्टेशनों पर रुकी रहीं और यात्री स्टेशन एवं ट्रेनों में फंसे रहे।
उल्लेखनीय है कि कुड़मी
समाज के इस आंदोलन का असर झारखंड, बंगाल और ओडिशा पर पड़ने की आशंका को देखते हुए विशेष चौकसी बरती जा रही है। वहीं इस आंदोलन का सबसे ज्यादा असर झारखंड की राजधानी रांची के अलावा जमशेदपुर, रामगढ़, गिरिडीह और धनबाद में पड़ने की आशंका को देखते हुए रेलवे प्रशासन और सुरक्षा एजेंसियों ने सुरक्षा के विशेष इंतजाम करने की बात कही थी। इसके साथ ही इन मुख्य-मुख्य स्टेशनों पर अतिरिक्त सुरक्षा बल तैनात करने और धारा 163 यानी निषेधाज्ञा लागू कर दिया गया है।
बावजूद इसके आंदोलनकारी रेल पटरियों पर बैठकर आंदोलन को सफल बनाने का प्रयास करते दिखे। दरअसल आंदोलनकारियों ने प्रमुख स्टेशनों को निशाना न बना कर सुदूर ग्रामीण क्षेत्रों के छोटे- छोटे रेलवे स्टेशनों और रेल पटरियों को निशाना बनाया।

चक्रधरपुर रेल मंडल के सीनी रेलवे स्टेशन में कुड़मी समाज का रेल चक्का जाम, 9 ट्रेनें प्रभावित, यात्री परेशान
चक्रधरपुर : चक्रधरपुर रेल मंडल के सीनी में कुड़मी समाज ने अपने तय कार्यक्रम के तहत रेल चक्का जाम कर दिया है. कुड़मी समाज के लोग बड़ी संख्या में पटरी बैठ गए हैं और अपनी मांगों के समर्थन में नारेबाजी कर रहे हैं। कुड़मी समाज के लोग कुड़मी को एसटी का दर्जा देने की मांग कर रहे हैं। कुड़मी समाज के इस आंदोलन और रेल चक्का जाम से चक्रधरपुर रेल मंडल में ट्रेनों का परिचालन प्रभावित हो गया है। सुबह तकरीबन 7.20 बजे से यह जाम शुरू करने की खबर है।

जाम से तकरीबन 9 ट्रेनें चक्रधरपुर रेल मंडल के विभिन्न स्टेशनों में फंसी हुई हैं। जाम के कारण ट्रेनें प्रभावित होने से ट्रेनों में सवार हजारों यात्री परेशान हैं। रेलवे द्वारा कुछ ऐसे स्टेशनों में भी ट्रेनों को खड़ी कर दी गई है, जहां खाने-पीने की चीज भी उपलब्ध नहीं हो पा रही है। गर्मी में ट्रेनों के अचानक थम जाने से ट्रेन के अंदर अंदर मौजूद रेल यात्री काफी परेशान हैं।

वहीं, रेलवे द्वारा की गई तैयारी भी फिलहाल नाकाफी साबित हो रही है। वहीं चक्रधरपुर रेल मंडल के सोनुवा स्टेशन में जाम के मद्देनजर भारी संख्या में रेलवे सुरक्षा बल के जवान और जिला पुलिस के जवान तैनात हैं। फिलहाल सोनुवा में अब तक तय कार्यक्रम के तहत रेल चक्का जाम शुरू नहीं हो पाया है। वहां आसपास से कुड़मी समाज के लोग भी पहुंचने लगे हैं।

सरायकेला में भी कुड़मी समाज का रेल टेका डोहोर छेका आंदोलन, रेल रोको-सड़क घेरो से ट्रेनों का संचालन प्रभावित
झारखंड में कुड़मी समाज ने शनिवार से “रेल टेका डोहोर छेका” यानी रेल रोको, सड़क घेरो आंदोलन की शुरुआत कर दी। अनुसूचित जनजाति में शामिल किए जाने की मांग को लेकर सुबह पांच बजे से ही हजारों लोग रेलवे ट्रैक पर उतर आए। सरायकेला-खरसांवा जिले के सोनी रेलवे स्टेशन पर महिला-पुरुष झंडे लेकर नारेबाजी करते हुए ट्रैक पर बैठ गए, जिससे एक मालगाड़ी रोकनी पड़ी।
स्थिति संभालने के लिए सोनी स्टेशन पर 350 से अधिक पुलिस बल और आरपीएफ के जवान तैनात किए गए हैं। इसके बावजूद आंदोलनकारी रेलवे ट्रैक से हटने को तैयार नहीं हैं। प्रशासन ने धारा 144 लागू कर रेल लाइनों के 300 मीटर दायरे में जमावड़े पर रोक लगा दी है, लेकिन आंदोलनकारियों ने आदेश की अनदेखी की।
धारा 144 सरायकेला अनुमंडल के कई इलाकों में लागू है। इसमें चांडिल, नीमडीह, हैसालोंग, झीमड़ी, तिरूलडीह, लेटमदा, आदित्यपुर, गम्हरिया, विराजपुर, यशपुर, कांड्रा, कुनकी हॉल्ट, सीनी, माहलीनुरूप और राजखरसावां रेलवे स्टेशन शामिल हैं।
इस आंदोलन का असर ट्रेनों के परिचालन पर दिखने लगा है। टाटानगर स्टेशन पर शांति बनी हुई है, लेकिन कई ट्रेनें घंटों की देरी से चल रही हैं और दो ट्रेनों को रद्द करना पड़ा है। यात्रियों को भारी परेशानी झेलनी पड़ रही है।
कुड़मी समाज का कहना है कि जब तक उनकी मांग पूरी नहीं होती, आंदोलन जारी रहेगा। वहीं पुलिस और प्रशासन हालात पर करीबी नजर रखे हुए हैं।
