हजारीबाग, 22 मई: समाज के वंचित और जरूरतमंद बच्चों को शिक्षा, स्वास्थ्य और सरकारी योजनाओं से जोड़कर मुख्यधारा में लाने के उद्देश्य से हजारीबाग में “साथी” नामक विशेष कार्यक्रम की शुरुआत की गई है। इस कार्यक्रम की पहल जिला विधिक सेवा प्राधिकार (DLSA) की ओर से की गई है। इसके तहत गुरुवार को हजारीबाग सिविल कोर्ट स्थित न्याय सदन भवन में एक बैठक सह जागरुकता कार्यक्रम का आयोजन किया गया, जिसकी अध्यक्षता प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश श्री रंजीत कुमार ने की।
‘साथी’ कमेटी का गठन
बैठक के दौरान प्रधान जिला जज श्री रंजीत कुमार ने “साथी” कमेटी के गठन की औपचारिक घोषणा की। इस कमेटी में जिला विधिक सेवा प्राधिकार के सचिव श्री गौरव खुराना के साथ-साथ कई महत्वपूर्ण विभागों के प्रतिनिधियों को शामिल किया गया है। इसमें शामिल सदस्यों में डीसीपीओ (जिला बाल संरक्षण पदाधिकारी), UIDAI के प्रतिनिधि, जिला शिक्षा पदाधिकारी, जिला स्वास्थ्य पदाधिकारी, सिविल सर्जन, जिला बाल विकास पदाधिकारी, जुवेनाइल यूनिट के पुलिस पदाधिकारी, बाल देखभाल संस्थानों के सदस्य, चार पैनल अधिवक्ता और चार पारा लीगल वॉलंटियर्स शामिल हैं।
यह कमेटी उन बच्चों के लिए काम करेगी जिन्हें समाज में उनका उचित अधिकार नहीं मिल पा रहा है। इसका मुख्य फोकस शिक्षा, स्वास्थ्य, पहचान पत्र (आधार) और अन्य बुनियादी सुविधाओं की उपलब्धता सुनिश्चित करना है।
कार्यक्रम के उद्देश्य और कार्य योजना
प्रधान जिला जज ने कार्यक्रम के उद्देश्यों की विस्तृत जानकारी दी। उन्होंने बताया कि “साथी” कमेटी का मुख्य उद्देश्य समाज में मौजूद ऐसे निराश्रित और वंचित बच्चों को चिन्हित करना है जो किसी सरकारी योजना या सुविधा से वंचित हैं। इन बच्चों का सबसे पहले आधार पंजीकरण कराया जाएगा, ताकि उन्हें सरकारी योजनाओं का सीधा लाभ मिल सके।
इस कार्य के लिए कमेटी के सभी सदस्य मिलकर सामूहिक प्रयास करेंगे और प्रत्येक चरण की रिपोर्ट जिला विधिक सेवा प्राधिकार के सचिव को प्रस्तुत की जाएगी। यह कार्य पूरी तरह चरणबद्ध तरीके से संपन्न किया जाएगा।
26 मई से होगी शुरुआत, 15 अगस्त तक चलेगा अभियान
कार्यक्रम के तहत पहले चरण में 26 मई से वंचित बच्चों की पहचान की प्रक्रिया शुरू की जाएगी। इसके बाद विभिन्न स्थानों पर शिविर लगाकर उनका आधार पंजीकरण कराया जाएगा। यह अभियान स्वतंत्रता दिवस, 15 अगस्त तक चलेगा।
समाज की भागीदारी अपेक्षित
‘साथी’ कार्यक्रम में प्रशासनिक अधिकारियों के साथ-साथ समाज के जागरूक नागरिकों और स्वयंसेवी संस्थाओं की भूमिका भी महत्वपूर्ण मानी जा रही है। जिला विधिक सेवा प्राधिकार की इस पहल को बच्चों के समग्र विकास की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है।