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Maha Kumbh 2025: जापान की ध्वनि चिकित्सा से महाकुंभ में होगा इलाज, दिखेगा संस्कृतियों का समागम

ध्वनि चिकित्सा एक प्रकार का हीलिंग प्रोसेस माना जाता है। इसमें ध्वनि अथवा संगीत के माध्यम से लोगों को मानसिक शांति प्रदान करने का प्रयास किया जाता है।

by Reeta Rai Sagar
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प्रयागराज : Maha Kumbh 2025: प्रयागराज में आयोजित होने वाले महाकुंभ में इस बार देश- विदेश की संस्कृतियों का समागम भी देखने को मिलेगा। अन्य देशों के लोग भी महाकुंभ में उत्साहपूर्वक भाग ले रहे हैं। इस बार यह आयोजन और भी अनूठा होने जा रहा है, क्योंकि इसमें भारतीय योग पद्धति और जापान की ध्वनि चिकित्सा पद्धति का संगम लोगों को मानसिक और आध्यात्मिक शांति प्रदान करेगा।

2016 में ली थी सनातन धर्म की दीक्षा

प्रयागराज के महाकुंभ मेले में देश-विदेश से सैलानी हिस्सा लेने आ रहे हैं। इसमें जापान की राजेश्वरी मां भी अपनी ध्वनि चिकित्सा पद्धति से लोगों का इलाज करेंगी। राजेश्वरी मां जापान में ध्वनि और उर्जा चिकित्सा पद्धति की विशेषज्ञ हैं। वर्ष 2016 में उन्होंने सनातन धर्म की दीक्षा ली थी। इसके बाद वर्ष 2019 के महाकुंभ में उन्हें निर्मोही अनी अखाड़ा ने उन्हें महामंडलेश्वर की उपाधि दी थी। पिछले 30 वर्षों से राजेश्वरी मां ध्वनि चिकित्सा के जरिए लोगों को आध्यात्मिक और मानसिक सुकून प्रदान करने की दिशा में अग्रसर हैं।

कई प्रकार से लाभदायक है ध्वनि चिकित्सा पद्धति

जापान की राजेश्वरी मां एक प्रकार से भारत और जापान की आध्यात्मिकता के तारों को जोड़ने का काम कर रही हैं। ध्वनि चिकित्सा एक प्रकार का हीलिंग प्रोसेस माना जाता है। इसमें ध्वनि अथवा संगीत के माध्यम से लोगों को मानसिक शांति प्रदान करने का प्रयास किया जाता है। राजेश्वरी मां के अनुसार ध्वनि चिकित्सा पद्धति, एक वैज्ञानिक चिकित्सा पद्धति है, जिसमें गोंग, क्रिस्टल बॉउल्स और मंत्रों के माध्यम से ध्वनि तरंगों को उत्पन्न किया जाता है। इसके श्रवण से मानसिक शांति मिलती है।

कई शारीरिक-मानसिक विकारों में लाभदायक

ध्वनि चिकित्सा पद्धति यह चिकित्सा पद्धति न केवल मानसिक शांति के लिए लाभप्रद है, बल्कि मानसिक तनाव, नींद की गुणवत्ता, रोग प्रतिरोधक क्षमता के साथ ही एकाग्रता में भी सहायक होती है। ‘ओम’ का उच्चारण भी नाद उत्पन्न करता है। इस बार महाकुंभ मेले में लोग जापानी ध्वनि चिकित्सा पद्धति के अलावा विभिन्न आध्यात्मिक व मानसिक विशिष्टताओं से परिचित होंगे। वहीं हठयोग सहित अन्य भारतीय ज्ञान परंपरा से भी परिचित होंगे।

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