लखनऊ: उत्तर प्रदेश में हाल ही में हुए उपचुनावों में बहुजन समाज पार्टी (बसपा) को करारी हार का सामना करने के बाद पार्टी प्रमुख मायावती ने चुनाव प्रक्रिया में धांधली का आरोप लगाया और एक बड़ा कदम उठाने का ऐलान किया। मायावती ने रविवार को स्पष्ट किया कि जब तक चुनाव आयोग फर्जी वोट डालने पर कड़ी कार्रवाई नहीं करता, तब तक बसपा देश में कोई उपचुनाव नहीं लड़ेगी।
बसपा की हार और मायावती का आरोप
उत्तर प्रदेश के नौ विधानसभा क्षेत्रों में हुए उपचुनावों में बसपा के उम्मीदवारों ने खराब प्रदर्शन किया। पार्टी के उम्मीदवार सात सीटों पर तीसरे स्थान पर रहे, जबकि दो सीटों पर वे आजाद समाज पार्टी (कांशीराम) और एआईएमआईएम के उम्मीदवारों से भी पीछे पांचवे स्थान पर थे। इस पर मायावती ने मीडिया से बातचीत करते हुए आरोप लगाया कि चुनावों में धांधली हो रही है, खासकर उपचुनावों में।
उन्होंने कहा कि हमारी पार्टी ने यह फैसला किया है कि जब तक देश के चुनाव आयोग द्वारा फर्जी वोटिंग को रोकने के लिए कड़े कदम नहीं उठाए जाते, तब तक बसपा देश में किसी भी उपचुनाव में भाग नहीं लेगी। मायावती ने साफ शब्दों में कहा कि उपचुनावों में यह मुद्दा और भी गंभीर हो जाता है, क्योंकि इन चुनावों में फर्जी वोटिंग की घटनाएं ज्यादा देखी जा रही हैं।
ईवीएम और बैलेट पेपर में समान धांधली का आरोप
मायावती ने चुनावों में फर्जी वोटिंग के आरोप को लेकर ईवीएम और बैलेट पेपर दोनों को दोषी ठहराया। उनका कहना था कि पहले बैलेट पेपर के माध्यम से चुनाव होते थे, तब भी सत्ता के दुरुपयोग के कारण फर्जी वोट डाले जाते थे, लेकिन अब ईवीएम के जरिए भी यह काम खुलेआम हो रहा है। मायावती ने यह भी कहा कि आम चुनावों में शायद सरकारी मशीनरी सतर्क रहती है, लेकिन उपचुनावों में सत्ता का दुरुपयोग अधिक देखने को मिलता है।
उन्होंने यह भी बताया कि इस मुद्दे पर केवल उत्तर प्रदेश नहीं, बल्कि महाराष्ट्र जैसे राज्यों में भी चिंता जताई गई है। मायावती ने इसे लोकतंत्र के लिए एक बड़ी चेतावनी करार दिया और इसपर कड़ी कार्रवाई की जरूरत बताई।
बसपा का फैसला: उपचुनावों से दूरी
मायावती ने कहा कि हमने उत्तर प्रदेश के उपचुनावों में यह देखा और इसके बाद पार्टी ने यह निर्णय लिया है कि जब तक चुनाव आयोग फर्जी मतदान को रोकने के लिए ठोस कदम नहीं उठाता, हम किसी भी उपचुनाव में हिस्सा नहीं लेंगे।
उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि उनकी पार्टी का यह निर्णय विशेष रूप से उपचुनावों के लिए है, और पार्टी तब तक चुनावों में नहीं उतरेगी जब तक चुनाव आयोग इस तरह की धांधली को रोकने के लिए आवश्यक सुधार नहीं करता।
कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों के साथ महागठबंधन की संभावना पर सवाल
मायावती के इस बयान ने विपक्षी दलों में हलचल पैदा कर दी है। कई विश्लेषकों का मानना है कि बसपा का यह कदम आने वाले समय में कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों के साथ महागठबंधन की संभावना को प्रभावित कर सकता है। हालांकि, मायावती ने इस पर कोई टिप्पणी नहीं की है, लेकिन उनका बयान चुनावी सुधारों पर दबाव बनाने की रणनीति के रूप में देखा जा सकता है।
मायावती का यह बयान चुनावी सुधारों को लेकर एक अहम संदेश है। उनके मुताबिक, जब तक चुनाव आयोग फर्जी वोटिंग और अन्य धांधलियों के खिलाफ कड़े कदम नहीं उठाएगा, तब तक बसपा किसी भी उपचुनाव में भाग नहीं लेगी। उनके इस कदम से यह साफ है कि वे चुनावी प्रक्रिया को निष्पक्ष और पारदर्शी बनाने के लिए गंभीर हैं। अब देखना यह होगा कि अन्य राजनीतिक दल और चुनाव आयोग इस मुद्दे पर किस तरह की प्रतिक्रिया देते हैं।
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