पटना : मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के आवास पर आज (सोमवार) को एनडीए (National Democratic Allience) की एक महत्वपूर्ण बैठक चल रही थी। उसी समय सीएम आवास के बाहर अचानक एक बड़ा विरोध प्रदर्शन शुरू हो गया। स्थानीय नागरिकों का एक समूह सीएम हाउस के बाहर इकट्ठा हुआ और पुलिस प्रशासन के खिलाफ जोरदार नारेबाजी करने लगा। इस दौरान, नारेबाजी करनेवालों ने पुलिस का पुतला भी जलाया, जिससे स्थिति तनावपूर्ण हो गई।
यह था मामला
पुलिस ने तुरंत हस्तक्षेप किया और पुतला जलाने वाले व्यक्ति को हिरासत में ले लिया। पुतला जलाने वाले का नाम राजेश बताया जा रहा है, जो दानापुर से आया था। उसके साथ कुछ अन्य लोग भी थे। राजेश ने जानकारी दी कि यह प्रदर्शन एक गंभीर घटना के खिलाफ है जिसमें एक महिला की हत्या कर दी गई थी, लेकिन पुलिस ने इस मामले में कोई कार्रवाई नहीं की।
20 दिन पहले की घटना को लेकर भड़के थे लोग
करीब 20 दिन पहले, दानापुर के सगुना मोड़ के पास एक अपार्टमेंट में दो बच्चों के बीच झगड़ा हुआ था। इस झगड़े के बाद, एक महिला को स्कॉर्पियो गाड़ी से कुचलकर मार डाला गया। इस घटना ने स्थानीय लोगों में गहरा आक्रोश पैदा कर दिया था। वे महसूस कर रहे थे कि पुलिस प्रशासन ने इस मामले को गंभीरता से नहीं लिया।
लोगों ने कहा-सड़क पर न उतरें तो क्या करें
स्थानीय निवासियों का कहना है कि जब इस तरह की घातक घटनाएं होती हैं और पुलिस कुछ नहीं करती, तो यह समाज में कानून और व्यवस्था के प्रति विश्वास को कमजोर करती है। यही कारण है कि लोग सड़क पर उतरकर अपने गुस्से का इजहार कर रहे हैं। प्रदर्शनकारियों ने स्पष्ट किया है कि जब तक पुलिस प्रशासन इस मामले में ठोस कार्रवाई नहीं करता, उनका विरोध जारी रहेगा। उन्होंने यह भी कहा कि न्याय की मांग करना उनका मौलिक अधिकार है और वे इसे हर हाल में हासिल करेंगे।
पुलिस की लापरवाही आई सामने
पुलिस ने पुतला जलाने वाले व्यक्ति को हिरासत में लेकर पूछताछ शुरू कर दी है। स्थानीय सूत्रों के अनुसार, प्रदर्शनकारी पहले से ही मुख्यमंत्री आवास के बाहर प्रदर्शन करने का इरादा बना चुके थे। पुलिस की चूक यह रही कि उन्होंने समय रहते उन्हें रोकने का प्रयास नहीं किया, जिससे स्थिति और बिगड़ गई।
आम लोगों की समस्याओं पर ध्यान दे पुलिस
विरोध-प्रदर्शन करनेवालों का कहना था कि इस घटना ने यह सिद्ध कर दिया है कि जब तक प्रशासन स्थानीय मुद्दों पर ध्यान नहीं देगा, तब तक नागरिकों के बीच असंतोष और बढ़ता जाएगा। लोग अब अपने अधिकारों के लिए खुलकर आवाज उठाने के लिए तैयार हैं। पुलिस को चाहिए कि आम लोगों की समस्याओं पर ध्यान दे। शिकायत पर त्वरित कार्रवाई करे।
इस बीच, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की बैठक जारी रही, लेकिन बाहर के इस बवाल ने उनके प्रशासन पर गंभीर प्रश्न खड़े कर दिए हैं। क्या यह घटना सरकार की कानून-व्यवस्था पर सवाल उठाती है? या यह संकेत है कि प्रशासन को स्थानीय मुद्दों पर गंभीरता से ध्यान देने की आवश्यकता है? ये सभी सवाल भविष्य में सामने आएंगे, लेकिन यह स्पष्ट है कि जनता का गुस्सा बढ़ता जा रहा है।
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