नई दिल्ली : हीरा कारोबारी मेहुल चोकसी, जिस पर पंजाब नेशनल बैंक (PNB) घोटाले में ₹13,500 करोड़ से अधिक की धोखाधड़ी का आरोप है, को बेल्जियम में गिरफ्तार कर लिया गया है। यह गिरफ्तारी भारतीय जांच एजेंसियों – सीबीआई (CBI) और प्रवर्तन निदेशालय (ED) – की सात वर्षों की लंबी कोशिशों के बाद संभव हो सकी है। चोकसी को उस समय पकड़ा गया, जब वह कथित तौर पर स्विट्ज़रलैंड भागने की तैयारी कर रहा था।
भारत-बेल्जियम प्रत्यर्पण संधि का उपयोग कर extradition प्रक्रिया तेज
भारत ने चोकसी के प्रत्यर्पण के लिए भारत-बेल्जियम प्रत्यर्पण संधि का हवाला देते हुए तत्काल आधिकारिक अनुरोध भेजा। यह संधि वर्ष 1901 में ब्रिटेन और बेल्जियम के बीच हस्ताक्षरित हुई थी, जब भारत ब्रिटिश शासन के अधीन था। स्वतंत्रता के बाद भारत और बेल्जियम ने 1954 में पत्रों के आदान-प्रदान के माध्यम से संधि को जारी रखने का निर्णय लिया। इस संधि के तहत, दोनों देशों की भूमि पर पाए जाने पर गंभीर अपराधों के आरोपियों को प्रत्यर्पित किया जा सकता है। इसमें धोखाधड़ी, हत्या, बलात्कार, मनी लॉन्ड्रिंग, नशीले पदार्थों की तस्करी जैसे अपराध शामिल हैं।
ड्यूल क्रिमिनलिटी और सबूतों की मजबूत भूमिका
ड्यूल क्रिमिनलिटी (Dual Criminality) इस प्रत्यर्पण संधि की प्रमुख शर्त है, यानी आरोपी पर लगे आरोप दोनों देशों में अपराध माने जाने चाहिए। सीबीआई के एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार, बेल्जियम सरकार को भारत द्वारा प्रस्तुत साक्ष्य संतोषजनक लगे और यह साबित हुआ कि चोकसी के विरुद्ध लगे आरोप बेल्जियम में भी दंडनीय हैं।
मेहुल चोकसी के खिलाफ लगाई गई IPC और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धाराएं
भारत ने बेल्जियम में प्रत्यर्पण अनुरोध भेजते समय चोकसी पर भारतीय दंड संहिता (IPC) और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की कई धाराएं लगाईं, जिनमें शामिल हैं:
• धारा 120B : आपराधिक साजिश
• धारा 201 : साक्ष्य को नष्ट करना
• धारा 409 : आपराधिक विश्वासघात
• धारा 420 : धोखाधड़ी
• धारा 477A : खातों में गड़बड़ी
• धारा 7 और 13: भ्रष्टाचार रोकथाम अधिनियम के अंतर्गत रिश्वतखोरी
इन धाराओं के अंतर्गत भारत ने चोकसी के प्रत्यर्पण की औपचारिक मांग की है।
प्रत्यर्पण प्रक्रिया की समयसीमा और शर्तें
भारत-बेल्जियम प्रत्यर्पण संधि के तहत, गिरफ्तारी के 14 दिनों के भीतर यदि औपचारिक अनुरोध नहीं आता तो आरोपी को रिहा किया जा सकता है। इसके साथ ही, यदि दो माह के भीतर पर्याप्त सबूत नहीं दिए गए, तब भी रिहाई संभव है।
एक बार प्रत्यर्पण के बाद, आरोपी को नए अपराधों के लिए तभी अभियुक्त बनाया जा सकता है जब उसे पहले अपने देश लौटने का मौका मिले। साथ ही, उसे किसी तीसरे देश को बिना अनुमति नहीं सौंपा जा सकता।
भारत की रणनीति और वैश्विक स्तर पर सीबीआई की सक्रियता
भारत ने अगस्त 2024 में मेहुल चोकसी की एंटवर्प, बेल्जियम में मौजूदगी का पता लगने के तुरंत बाद प्रत्यर्पण प्रक्रिया शुरू कर दी थी। CBI की ग्लोबल ऑपरेशंस यूनिट ने सक्रियता दिखाते हुए बेल्जियम की एजेंसियों को आवश्यक सबूत भेजे और गिरफ्तारी की मांग की। बेल्जियम की सरकार ने साक्ष्य की पुष्टि करने के बाद गिरफ्तारी को मंजूरी दी।
मेहुल चोकसी की गिरफ्तारी भारत के लिए एक बड़ी कूटनीतिक और कानूनी जीत मानी जा रही है। यदि प्रत्यर्पण प्रक्रिया सफल रहती है, तो चोकसी को भारत लाकर PNB घोटाले में न्याय के कटघरे में खड़ा किया जा सकेगा। यह मामला भारत में धोखाधड़ी, बैंक घोटाले और आर्थिक अपराध जैसे विषयों पर कानून की सख्ती और अंतरराष्ट्रीय सहयोग का प्रतीक बन चुका है।

