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देश के कई राज्यों में पांव पसार रहा मंकी फीवर, क्या हैं इस बीमारी के लक्षण और कैसे करें बचाव

by Rakesh Pandey
Monkey Fever
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दिल्ली | कोरोना के नए वैरिएंट्स से संक्रमण के जोखिमों (Monkey Fever) के बीच देश के कई राज्यों में इन दिनों मंकी फीवर के मामलों के बढ़ने की भी खबर है. स्वास्थ्य अधिकारियों ने बताया कि पिछले 15 दिनों में कर्नाटक के उत्तर कन्नड़ जिले में इस संक्रामक रोग के मामले तेजी से बढ़े हैं. 31 संक्रमितों में से 12 मरीज अस्पतालों में भर्ती हैं, जबकि बाकी का इलाज घर पर ही किया जा रहा है. मंकी फीवर का पहला मामला पिछले 16 जनवरी को सामने आया था.

क्या है मंकी फीवर? (Monkey Fever)

एनएलएम (नेशनल लाइब्रेरी ऑफ मेडिसिन) की एक रिपोर्ट के मुताबिक मंकी फीवर यानी क्यासानूर फॉरेस्ट डिजीज एक ऐसी बीमारी है, जो जानवरों से इंसानों में फैल सकता है. बंदरों के शरीर में टिक्स (किलनी) पाए जाते हैं, जो इंसानों को काट सकते हैं और ये बीमारी इंसानों में आ सकती है. मंकी फीवर को इंसानों के लिए खतरनाक बताया जा रहा है. भारत के कुछ हिस्सों, विशेष रूप से कर्नाटक, महाराष्ट्र और गोवा में इस रोग के मामले सबसे ज्यादा पाये जाते रहे हैं.

कर्नाटक में दो लोगों की मौत

मंकी फीवर इंसानों के लिए बेहद खतरनाक हो सकता है. यह कर्नाटक के दो लोगों की जान ले चुका है. पहली मौत पिछले आठ जनवरी को शिवमोग्गा जिले के होसानगर तालुक में हुई थी, जिसमें 18 वर्षीय एक युवती की मौत हो गई थी. वहीं दूसरी मौत उडुपी जिले के मणिपाल में हुई, जब चिक्कमंगलुरु के श्रृंगेरी तालुक में रहने वाले 79 वर्षीय व्यक्ति की मौत हो गई.

क्या है इस बीमारी के लक्षण

सेंट्रल कोस्टल एग्रीकल्चरल रिसर्च इंस्टीट्यूट के अनुसार, मंकी फीवर के लक्षण आम तौर पर बंदरों की टिक्स (किलनी) के काटने के तीन से आठ दिन बाद दिखाई देते हैं. इसमें तेज बुखार, सिरदर्द, मांसपेशियों में दर्द, कमजोरी, उल्टी और दस्त की शिकायत हो सकती है. मामला गंभीर होने पर ये बीमारी एन्सेफलाइटिस, हेपेटाइटिस और अलग-अलग अंगों की विफलता जैसी समस्याओं में भी बदल सकता है.

इससे प्रभावित व्यक्तियों के लिए यह बीमारी गंभीर जोखिम पैदा कर सकती है. जानकारों के मुताबिक ‘मंकी फीवर’ के केस बिगड़ने से नाक और मसूड़ों से खून भी आ सकता है.

कैसे करें बचाव

मेडिकल रिपोर्ट्स के मुताबिक मंकी फीवर का कोई विशेष इलाज नहीं है. इस बीमारी से बचने का एकमात्र तरीका बचाव ही है. इस बीमारी के संक्रमण से बचाव के लिए प्रभावित इलाकों में स्वास्थ्य विभाग की ओर से टीके दिए जाते हैं. इससे बचने के लिए ज्यादा पानी पीते रहना जरूरी है. इसके साथ ही सफाई का भी विशेष ध्यान रखना जरूरी है. इससे बचाव के लिए वैक्सीन भी है.

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