नई दिल्ली/Sarfaraz Murder: पाकिस्तान की जेल में बंद भारतीय नागरिक सरबजीत सिंह की हत्या करने वाले अमीर सरफराज तनबा की रविवार को अज्ञात हमलावर ने हत्या कर दी। कोट लखपत जेल में भारतीय नागरिक सरबजीत सिंह पर हमले में प्रमुख व्यक्ति अमीर तनबा की गोली मारकर हत्या कर दी गयी है। इस घटना के बाद पुलिस ने तेजी से इलाके की घेराबंदी कर ली है। साथ ही शूटरों को पकड़ने के लिए तलाशी अभियान शुरू कर दिया गया है।
Sarfaraz Murder: लाहौर के इस्लामपुरा इलाके में हुआ हमला
जानकारी है की तनबा पर मोटरसाइकिल सवार हमलावरों ने पाकिस्तान में लाहौर के इस्लामपुरा इलाके में हमला किया और उसे नाजुक हालत में एक अस्पताल ले जाया गया, जहां उसकी मौत हो गई। कड़ी सुरक्षा वाली कोट लखपत जेल के अंदर तनबा सहित अन्य कैदियों द्वारा किए गए बर्बर हमले के कुछ दिनों बाद सरबजीत की दो मई 2013 की सुबह लाहौर के जिन्ना अस्पताल में दिल का दौरा पड़ने से मृत्यु हो गई थी।
हमले के बाद करीब एक हफ्ते तक सिंह अचेत रहे थे। तनबा का जन्म 1979 में लाहौर में हुआ था और वह लश्कर-ए-तैयबा के संस्थापक का करीबी सहयोगी था। पाकिस्तानी कैदियों के एक समूह ने सरबजीत पर ईंट और लोहे की छड़ों से हमला किया था। सरबजीत को 1990 में पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में कई बम विस्फोटों में संलिप्त रहने का कथित तौर पर दोषी पाया गया था और उन्हें मौत की सजा सुनाई गई थी।
2013 मे हुई थी सरबजीत की मौत
सरबजीत को जेल से बाहर निकालने के लिए उनकी पत्नी सुखप्रीत कौर ने काफी कोशिश की थी, लेकिन अप्रैल 2013 में लाहौर में कैदियों के झगड़े के बाद सरबजीत सिंह की मौत हो गई थी। इस घटना में अमीर सरफराज भी शामिल था। इसी साल जून महीने में सरबजीत की बहन दलबीर कौर का भी निधन हो गया था। हालांकि उन्होंने भी अपने भाई को जेल से बाहर निकालने के लिए काफी संघर्ष किया था। जानकारी के लिए आपको बता दें कि साल 2022 में सरबजीत सिंह की पत्नी की सड़क हादसे में मौत हो गई थी।
2008 में सरबजीत को मिली थी फांसी
भारत के रहने वाले सरबजीत को पाकिस्तान में पकड़ लिया गया था। वहां की एक अदालत ने आतंकवाद और जासूसी के लिए दोषी ठहराया था। उन्हें 1991 में मौत की सजा सुनाई गई थी। हालांकि इसके बाद सरकार ने 2008 में सरबजीत को फांसी देने पर अनिश्चितकाल के लिए रोक लगा दी थी।
पाक में पकड़े गए थे सरबजीत सिंह
साल 1990 में सरबजीत सिंह को मनजीत सिंह के नाम से भारत से सटी हुई कौसर सीमा से गिरफ्तार किया गया था। सरबजीत ने तर्क दिया कि वे भारतीय पंजाब के तरनतारन के निवासी हैं। जीवन चलाने के लिए वो किसानी करते हैं और गलती से सीमा पार कर पाकिस्तान आ गए हैं। इसके बाद पाकिस्तान में उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया।1990 में ही अक्टूबर में सरबजीत पर जासूसी और बम धमाके कराने का आरोप लग गया था। इसके बाद लाहौर की एक अदालत में उन पर मुकदमा चलने लगा।
इसी मामले में साल 1991 में निचली अदालत ने उन्हें मौत की सजा सुना दी थी। अदालत के इस फैसले को हाई कोर्ट ने भी सही ठहराया था।सुप्रीम कोर्ट ने भी इसी फैसले को सही माना। इसके बाद सरबजीत के लिए उनकी बहन ने कई बार दया याचिका दायर की, लेकिन कुछ राहत नहीं मिली। इसके बाद जून 2012 में पाकिस्तानी राष्ट्रपति ने सरबजीत की मौत की सजा को आजीवन कारावास में बदल दिया था।
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