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झारखंड विधानसभा चुनाव से पहले नक्सलियों का विरोध: बहिष्कार और क्रांतिकारी नारे

नक्सली संगठन भाकपा माओवादी ने शुरू किया चुनाव बहिष्कार अभियान.

by Anand Mishra
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जमशेदपुर: झारखंड विधानसभा चुनाव 2024 से पहले नक्सली संगठनों ने अपनी विरोधी गतिविधियों को तेज कर दिया है। भाकपा माओवादी द्वारा कोल्हान, सारंडा और पोड़ाहाट के जंगलों में पोस्टर चिपकाकर चुनाव का बहिष्कार करने की अपील की गई है। हालांकि, इन पोस्टरों का असर राजनीतिक दलों के चुनाव प्रचार और आम जनता पर अब तक नहीं दिख रहा है। इस बार नक्सली संगठनों ने केवल चुनावी बहिष्कार की अपील नहीं की, बल्कि बड़े-बड़े उद्योगपतियों और सरकार के खिलाफ भी सख्त बयान दिए हैं।

नक्सली पोस्टर में मुख्य आरोप

भाकपा माओवादी के बिहार-झारखंड स्पेशल एरिया कमेटी द्वारा जारी पोस्टर में भाजपा और उसके नेताओं—प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह, और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह—के खिलाफ कड़ी आलोचना की गई है। इसके साथ ही, बड़े उद्योगपतियों जैसे अंबानी-अडानी, टाटा-बिरला, जिंदल-मित्तल आदि के खिलाफ भी कई आरोप लगाए गए हैं। नक्सलियों ने इन कंपनियों को ‘शोषण’ और ‘लूट’ का जिम्मेदार ठहराया है।

दिलचस्प बात यह है कि भाकपा माओवादी ने झारखंड की हेमंत सोरेन सरकार के खिलाफ कुछ नरम रुख अपनाया है।

चुनाव बहिष्कार की अपील: ‘अबुआ राज’ की दिशा में आंदोलन

भाकपा माओवादी ने अपने पोस्टर में लिखा है कि झारखंड को ‘ब्राह्मणीय हिंदुत्व’ के फासीवादी खतरे से बचाने की जरूरत है और इसके लिए चुनावी बहिष्कार अनिवार्य है। उनके अनुसार, चुनाव केवल ‘गुलामी’ और ‘लूट-शोषण’ का रास्ता दिखाते हैं। उनका संदेश साफ है—‘अबुआ राज’ कायम करने के लिए एक जनयुद्ध की आवश्यकता है। नक्सलियों ने अपने पोस्टरों में कड़े नारे भी दिए हैं, जिनमें चुनाव के बहिष्कार की अपील की गई है।

नक्सलियों के पोस्टरों में प्रमुख नारे
“विधानसभा चुनाव का बहिष्कार करें, जनता की वैकल्पिक जनसत्ता का निर्माण करें.”
“चुनाव के जरिए सरकार नहीं बदलेगी, व्यवस्था बदलनी होगी.”
“जनता की जनवादी सरकार बनाएंगे, शोषणमुक्त झारखंड की दिशा में संघर्ष को तेज करें.”
“वोट क्यों देंगे? अगर सीएनटी-एसपीटी एक्ट को बदलवाने के लिए?”
“वोट का बहिष्कार करें, जमीन पर जोतने वालों का अधिकार कायम करें.”
इसके अलावा, नक्सलियों ने इस बार नेताओं को खुली चुनौती दी है और चुनावी बहिष्कार के लिए उकसाया है। पोस्टरों में यह भी लिखा गया है कि यदि सरकार नागरिकों की जमीन छीनकर पूंजीपतियों को सौंप रही है, तो वोट का बहिष्कार किया जाए। इसके साथ ही नक्सलियों ने पुलिस-राज के खिलाफ भी आक्रामक बयान दिए हैं और गांवों से पुलिस कैंप हटाने की मांग की है।

नक्सली द्वारा जारी पत्र में आरोपों का सिलसिला

भाकपा माओवादी ने पोस्टरों के जरिए यह भी आरोप लगाया है कि कोल्हान, सारंडा और झारखंड के अन्य वन क्षेत्रों में नक्सली हमलों के लिए भारी मात्रा में हथियारों का इस्तेमाल किया जा रहा है। उनका कहना है कि इन क्षेत्रों में ‘वोटबाज’ नेताओं का बहिष्कार जरूरी है। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि झारखंड के विभिन्न स्कूलों और गांवों में एफओबी कैंप लगाए जा रहे हैं, जिसके लिए नेताओं से जवाब मांगा गया है।

नक्सलियों का यह भी कहना है कि टाटा, बिरला, जिंदल, मित्तल, अंबानी और अडानी जैसे उद्योगपतियों और भाजपा के नेताओं को मार भगाने के बाद ही झारखंड की असली समस्याओं पर ध्यान दिया जा सकता है। इसके अलावा, उनका कहना है कि बांग्लादेशी घुसपैठियों के खिलाफ कानून बनाना सिर्फ एक बहाना है, असल निशाना आदिवासी और मूलवासी हैं।

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