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नीलांबर-पीतांबर विश्वविद्यालय में गहराया विवाद: NSUI का भूख हड़ताल, पीएचडी परीक्षा पर बवाल

छात्र और कर्मचारी मान रहे हैं कि अब विश्वविद्यालय की समस्याएं नियंत्रण के बाहर जाती दिख रही हैं।

by Reeta Rai Sagar
NSUI protest at Nilamber-Pitamber University over VC decisions
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Daltonganj: झारखंड के डाल्टनगंज स्थित नीलांबर-पीतांबर विश्वविद्यालय (NPU) में विवाद बढ़ता जा रहा है। विश्विद्यालय में इन दिनों गहरे असंतोष और प्रशासनिक उथल-पुथल का दौर चल रहा है। विश्वविद्यालय से जुड़े कॉलेजों में छात्र संगठनों का आक्रोश और वीसी के फैसले से उपजे बवाल की जद्द में पबरा कैंपस आ गया है।

NSUI का भूख हड़ताल: प्रशासन के खिलाफ खुला मोर्चा

नेशनल स्टूडेंट्स यूनियन ऑफ इंडिया (NSUI) का विश्वविद्यालय परिसर में लगातार दूसरे दिन भूख हड़ताल जारी रहा। संगठन का कहना है कि छात्रों की समस्याएं लगातार अनदेखी की जा रही हैं और विश्वविद्यालय प्रशासन, विशेषकर कुलपति प्रो. डॉ. दिनेश कुमार सिंह के नेतृत्व में पारदर्शिता की कमी और असंवेदनशीलता दिखाई दे रही है। हांला कि इस मामले में कुलपति ने प्रेस कांफ्रेंस कर सफाई दे दी है।

“अटैचमेंट ऑर्डर” बना नया विवाद का कारण

दरअसल इस बार विवाद का कारण हैं, विश्वविद्यालय द्वारा जारी किए जा रहे तथाकथित “अटैचमेंट ऑर्डर”। यह शब्द प्रायः कर्मचारियों के अनौपचारिक तबादलों के लिए इस्तेमाल किया जाता है, जिनमें अनुबंध कर्मियों को भी शामिल किया जा रहा है। विश्वविद्यालय के सूत्रों का कहना है कि इन तबादलों के लिए किसी ठोस आधार की आवश्यकता नहीं रही—अब सिर्फ संदेह ही काफी है।

इसके अलावा खबर है कि एक अधिकारी को सूचना लीक के संदेह में अटैच किया गया, जबकि इसके कोई पुख्ता सबूत नहीं मिले। वित्त और परीक्षा जैसे प्रमुख कार्यालयों से अनुभवी कर्मचारी हटाए जा रहे हैं, जिससे प्रशासनिक कार्यक्षमता पर गंभीर प्रभाव पड़ने की आशंका जताई जा रही है।

वरिष्ठ अधिकारी का इस्तीफा: अंदरूनी संकट की ओर इशारा

इस बीच, विश्वविद्यालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कार्यकाल पूरा होने से पहले ही इस्तीफा दे दिया, जिससे अटकलें तेज हो गई हैं कि आंतरिक संकट और बढ़ चुका है। छात्र और कर्मचारी मान रहे हैं कि अब विश्वविद्यालय की समस्याएं नियंत्रण के बाहर जाती दिख रही हैं।

पीएचडी प्रवेश परीक्षा विवाद: जांच या परिणाम रद्द?

2023 की पीएचडी प्रवेश परीक्षा भी विवादों में घिर गई है। परीक्षा हो चुकी है और परिणाम भी घोषित हुए, लेकिन गड़बड़ियों के आरोपों ने स्थिति को और जटिल बना दिया है। एक पक्ष जांच की मांग कर रहा है तो दूसरा पक्ष पूरी परीक्षा को ही रद्द करने की।

वीसी डॉ. सिंह का कहना है, “जांच कराना उचित है और इसके लिए कमेटी बनाई जा चुकी है। लेकिन पूरे परिणाम को रद्द करना सही नहीं है।” उन्होंने यह भी जोड़ा कि विश्वविद्यालय छात्रों के हित में ही सक्रिय कदम उठा रहा है।

छात्र संगठनों और वीसी के बीच जुबानी जंग तेज

जहां एक ओर वीसी का दावा है कि विश्वविद्यालय में विकास हो रहा है, वहीं छात्र संगठनों का आरोप है कि कुलपति के फैसले तानाशाहीपूर्ण और झारखंड यूनिवर्सिटी एक्ट का उल्लंघन कर रहे हैं।
एक छात्र नेता ने कहा, “कुलपति की नीतियां मनमानी हैं, जिससे विश्वविद्यालय अराजकता की ओर बढ़ रहा है।” वहीं वीसी का पक्ष है कि उन्होंने सभी निर्णय विश्वविद्यालय और छात्रों के हित में लिए हैं।

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