NEW DELHI: क्राइम ब्रांच की एंटी रॉबरी एंड स्नैचिंग सेल (एआरएससी) ने 26 साल से फरार एक कुख्यात अपहरणकर्ता और हत्यारे राज किशोर उर्फ बड़े लल्ला (55) को गिरफ्तार कर लिया। उसने 1993 में एक गारमेंट कारोबारी के 8 साल के बेटे का अपहरण कर 30,000 रुपये की फिरौती मांगी थी और फिरौती वसूलने के बाद बच्चे की गला दबाकर हत्या कर दी थी। हत्या के बाद उसने शव को कल्याणपुरी के पास एक गंदे नाले में फेंक दिया था। डीसीपी संजीव कुमार यादव ने बताया कि इस वारदात को उसका साथी विजय भी शामिल था।
कोर्ट ने घोषित किया भगोड़ा
गिरफ्तारी के बाद 1996 में कड़कड़डूमा कोर्ट ने उसे आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी। 1999 में हाई कोर्ट ने उसे छह सप्ताह की पैरोल दी थी, लेकिन वह सरेंडर करने के बजाय फरार हो गया। 26 मार्च 2014 को कड़कड़डूमा सत्र न्यायालय ने उसे भगोड़ा घोषित किया था। क्राइम ब्रांच की एक टीम को पैरोल जंपर और जघन्य अपराधियों पर निगरानी का जिम्मा सौंपा गया था। हेड कांस्टेबल मिंटू यादव को गुप्त सूचना मिली कि राज किशोर कानपुर देहात में छिपा हुआ है और वहां दर्जी की दुकान चला रहा है।
खुफिया जानकारी के आधार पर पुलिस ने पुष्टि की कि वह कानपुर के बाहरी इलाकों में रह रहा था ताकि पुलिस की नजरों से बचा रहे। क्राइम ब्रांच की एक विशेष रेडिंग टीम ने कई बार कानपुर में छापेमारी की। स्थानीय समर्थकों की मदद से राजकिशोर बार-बार बच निकलता था। लेकिन दो महीने तक चले अथक प्रयासों और लगातार पीछा करने के बाद, 2 अगस्त को क्राइम ब्रांच की टीम ने उसे खोड़ा कॉलोनी, गाजियाबाद से गिरफ्तार कर लिया गया।
बिहार, राजस्थान, पंजाब और यूपी में छिपा
पूछताछ में राज किशोर ने बताया कि पैरोल जंप करने के बाद वह बिहार के पटना में चार साल, राजस्थान के जयपुर में 13 साल और पंजाब के बरनाला जिले में तीन साल तक छिपता रहा। इस दौरान वह कभी-कभी अपने गृहनगर कानपुर देहात आता-जाता था। कोविड काल में वह स्थायी रूप से कानपुर देहात और आसपास के क्षेत्र में रहने लगा और वहां दर्जी की दुकान शुरू कर दी। उसने त्वरित धन कमाने के लिए अपराध की दुनिया में कदम रखा और उक्त जघन्य अपराध को अंजाम दिया।