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उमर अब्दुल्लाह बने केंद्र शासित जम्मू-कश्मीर के पहले CM, अप्रत्यक्ष रूप से समर्थन देगी कांग्रेस

नेशनल कांफ्रेंस और कांग्रेस के बीच बातचीत जारी है। चर्चा पूरी होने के बाद ही कोई भी निर्णय लिया जाएगा। यदि असहमति बनती है, तो कांग्रेस से कोई भी विधायक आज कैबिनेट में शामिल नहीं होगा।

by Reeta Rai Sagar
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सेंट्रल डेस्क: जम्मू-कश्मीर में आज उमर अब्दुल्लाह सरकार का शपथ ग्रहण समारोह है। मुख्यमंत्री के तौर पर उमर अब्दुल्लाह और सुरिंदर चौधरी को डिप्टी सीएम बनाया गया है। इस बीच खबर है कि कांग्रेस ने समारोह से पहले ऐलान किया है कि वो उमर अब्दुल्लाह को बाहर से सपोर्ट करने पर भी विचार किया जा रहा है। उनका कोई भी विधायक आज कैबिनेट का हिस्सा नहीं होगा।

मंत्री के नामों की लिस्ट
नेशनल कांफ्रेंस के 4 अन्य नेताओं में सकीना इटू, जावेद डार, जावेद राणा और सतीश शर्मा ने भी मंत्री पद की शपथ ली। शपथ ग्रहण के बाद अमर अब्दुल्लाह ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि केंद्र शासित राज्य का दर्जा अस्थायी है। आगे उन्होंने कहा कि लोगों के लिए बहुत सारे काम करने है, उन्हें विश्वास दिलाना है कि उनकी बात सुनी जाएगी। केंद्र सरकार ने भी जम्मू-कश्मीर को राज्य का दर्जा देने का वादा किया था।

INDIA गठबंधन के कई नेता हुए शामिल
इस शपथ ग्रहण समारोह में INDIA गठबंधन के राहुल गांधी समेत कई नेता शामिल हुए और गठबंधन ने अपना शक्ति प्रदर्शन भी किया। दरअसल खबर थी कि जम्मू-कश्मीर कांग्रेस के प्रमुख तारिक हमीद कर्रा भी कैबिनेट में शामिल होंगे और मंत्री पद की शपथ लेंगे।

कांग्रेस व नेशनल कांफ्रेस के बीच चली बातचीत
जम्मू-कश्मीर कांग्रेस के प्रभारी भरत सिंह सोलंकी ने बताया कि नेशनल कांफ्रेंस और कांग्रेस के बीच बातचीत जारी है। चर्चा पूरी होने के बाद ही कोई भी निर्णय लिया जाएगा। यदि असहमति बनती है, तो कांग्रेस से कोई भी विधायक आज कैबिनेट में शामिल नहीं होगा। कांग्रेस सरकार का हिस्सा रहेगी, लेकिन समर्थन बाहर से करेगी।

कांग्रेस द्वारा जारी किए गए इस बयान से जम्मू-कश्मीर की राजनीति में खलल पड़ता दिख रहा है। गौरतलब है कि जम्मू-कश्मीर में कांग्रेस और नेशनल कांफ्रेंस ने मिलकर चुनाव लड़ा था। लेकिन अब शपथ ग्रहण से ठीक पहले आ खबर ने सभी को चौंका दिया है। राजनीतिक विशेषज्ञों की मानें तो फिलहाल कैबिनेट शेयरिंग को लेकर बात नहीं बन पा रही है।

कांग्रेस और नेशनल कांफ्रेंस को विधानसभा चुनाव में कुल 48 सीटें मिली थी। 10 साल बाद हुए चुनाव में 90 सीटों में से एनसी को 42 और कांग्रेस को 6 विधानसभा सीटों पर जीत मिली थी। बीजेपी भी 29 विधानसभा सीटों पर काबिज होने में सफल रही थी। महबूबा मुफ्ती की पार्टी पीडीपी का इस चुनाव में प्रदर्शन कुछ खास नहीं रहा।

क्या है जम्मू-कश्मीर का चुनावी गणित

जम्मू-कश्मीर में कुल 90 सीटें है। इसमें एलजी द्वारा मनोनीत किए गए 5 विधायकों को जोड़ लें, तो सदन की मजबूती 95 होती है। इशके अलावा 10 प्रतिशत की कैप भी है। ऐसे में कैबिनेट की कुल संख्या 10 से अधिक नहीं हो सकती है। तो एनसी के 42 विधायक, सीपीएम के 1 और पांच निर्दलीय भी उमर अब्दुल्लाह की सरकार को समर्थन दे रहे है। आम आदमी पार्टी भी सशर्त समर्थन का प्रस्ताव दे चुकी है।

केंद्र शासित प्रदेश के पहले मुख्यमंत्री बनने जा रहे उमर अब्दुल्लाह की कैबिनेट में किस-किस को जगह मिलेगी,इसे लेकर चर्चा जोरों पर है। डल झील के किनारे शेर-ए-कश्मीर में होने वाले शपथ ग्रहण समारोह में मुख्यमंत्री के अलावा 9 पद ही शेष बचते है। आप अपने इकलौते विधायक को मंत्रिमंडल में फिट करना चाहती है, तो कांग्रेस ने भी दो की मांग की है। जम्मू-कश्मीर राज्य पुर्गठन विधेयक के लागू होने से पहले 20-25 मंत्री भी बनाए जाते रहे है।

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