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ठाकुर विवाद में आनंद मोहन के बयान पर लालू ने कहा- जितनी बुद्धि होगी, उतना ही बोलेगा, अपनी शक्ल देख ले

by Rakesh Pandey
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पटना: बिहार में ठाकुर विवाद रुकने का नाम नहीं ले रहा है। इसपर हर दिन एक-दूसरे के खिलाफ बयान देने का सिलसिला रुकने का नाम नहीं ले रहा है। अब ठाकुर विवाद को लेकर आनंद मोहन द्वारा दिए गए बयान को लेकर राजद सुप्रीमो लालू यादव ने कहा है कि जिसके पास जितनी अक्ल होगी, उतना ही बोलेगा। वह (आनंद मोहन) अपना अक्ल और शक्ल देखें। वहीं, एक दिन पहले लालू यादव इस मामले का बचाव करते दिखे थे। गुरुवार शाम को उन्होंने कहा था कि मनोज झा विद्वान आदमी हैं। वो सही बात बोले हैं। उन्होंने ठाकुर या राजपूत के खिलाफ कुछ नहीं बोला है।

तेज प्रताप, कहा- मैं बस एक ही ठाकुर को जानता हूं

ठाकुर विवाद को लेकर लालू यादव के बड़े बेटे ने कहा कि और बिहार कैबिनेट में मंत्री तेज प्रताप यादव ने भी इस विवाद पर प्रतिक्रिया दी है। पटना में जब मीडिया ने तेज प्रताप से पूछा ‘कहा जा रहा है कि लालू यादव के इशारे पर ठाकुरों को अपमानित करवाया जा रहा है, इस पर आपका क्या कहना है? तो इसके जवाब में तेज प्रताप ने कहा ‘जाकर नरेंद्र मोदी से पूछ लीजिए, कौन किसको क्या कहता है। लालू यादव के इशारे पर ये सब चीजें नहीं होती हैं। भाजपा आरएसएस की उपज है, आरएसएस की उपज नाथूराम गोडसे से हुई थी। नाथूराम गोडसे ने महात्मा गांधी की हत्या की थी, ये हत्यारों की पार्टी है। मैं ये खुलेआम बोलता हूं और किसी से डरता नहीं हूं।‘ आगे उन्होंने कहा ‘मैं ये खुलेआम बोलता हूं और किसी से डरता नहीं हूं। मैं सिर्फ एक ही ठाकुर को जानता हूं, मैं उस भगवान का भक्त हूं। इसके अलावा सब इंसान हैं। वह है इंसानियत का अपना धर्म, यह धर्म सबसे बड़ा होता है और सबसे महान भी। ठाकुर और ब्राह्मण के बीच सब इंसान ही हैं और हम सिर्फ इंसानियत देखते हैं।’

 

संसद में मनोज झा ने पढ़ा था कविता, जिस पर हुआ विवाद 

संसद के विशेष सत्र के दौरान महिला आरक्षण बिल पर जब राज्यसभा में चर्चा हो रही थी, उस वक्त राजद सांसद मनोज झा ने मशहूर कवि ओमप्रकाश बाल्मीकि द्वारा रचित एक कविता को पढ़ा, जिसका शीर्षक ठाकुर का कुआं था। कुछ दिन मामला शांत रहा, फिर अचानक से राजद विधायक चेतन आनंद ने इस कविता को लेकर सोशल मीडिया पर एक पोस्ट कर तीखी प्रतिक्रिया दी। इसके बाद चेतन आनंद के पिता आनंद मोहन ने भी मनोज झा को निशाने पर लेते हुए कहा कि उस दिन अगर मैं राज्यसभा में होता, तो मनोज झा की जीभ खींचकर आसन की ओर उछाल देता। अब इस मामले पर विवाद बढ़ता ही जा रहा है। हर तरफ से मनोज झा पर हमला हो रहा है।

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