Palamu/Jharkhand : सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर पलामू में नौकरी से बर्खास्त किए गए 251 अनुसेवकों में से एक उपेंद्र पासवान की हार्ट अटैक से मौत हो गई। इस दुखद घटना के बाद शनिवार को बड़ी संख्या में बर्खास्त अनुसेवक उपेंद्र पासवान के सिंगरा स्थित घर पहुंचे, जहां परिजनों का गुस्सा झारखंड सरकार और जिला प्रशासन पर फूट पड़ा।
परिजनों ने आरोप लगाया कि नौकरी से हटाए जाने के बाद से उपेंद्र लगातार गहरे तनाव में थे और इसी सदमे के कारण उनकी मौत हुई है। उनका कहना है कि सरकार और प्रशासन ने गलत तरीके से बहाली निकाली, जिसका खामियाजा उपेंद्र जैसे व्यक्ति को अपनी जान देकर भुगतना पड़ा। उपेंद्र पासवान की बेटियों का रो-रो कर बुरा हाल था। उन्होंने कहा कि उनके पिता का साया छिन गया है और उनकी आर्थिक स्थिति इतनी खराब हो चुकी है कि हार्ट अटैक आने पर वे उनका बेहतर इलाज भी नहीं करा सके।
बर्खास्त अनुसेवकों ने की समायोजन की मांग
उपेंद्र की मौत के बाद अन्य बर्खास्त अनुसेवकों ने अपनी मांगों को लेकर सरकार के खिलाफ आक्रोश व्यक्त किया। बर्खास्त अनुसेवक विकास तिवारी ने कहा कि सरकार की नई नियमावली की जानकारी मिलने के बाद से उपेंद्र को भविष्य में नौकरी नहीं मिलने की चिंता सताने लगी थी, जिससे उन्हें हार्ट अटैक आया। उन्होंने उपेंद्र की बेटी को अनुकंपा के आधार पर नौकरी देने की मांग की है।
मौके पर मौजूद सुधाकर दुबे, नरेश भारती, ललन कुमार पासवान, संजीत पांडे समेत सैकड़ों अनुसेवकों ने सरकार से आग्रह किया कि छत्तीसगढ़ राज्य की तर्ज पर झारखंड में भी नौकरी से हटाए गए सभी अनुसेवकों का समायोजन किया जाए। उन्होंने कहा कि जब तक उनकी मांगें पूरी नहीं होतीं, तब तक वे अपना आंदोलन जारी रखेंगे।
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