नई दिल्ली: संसद का मानसून सत्र गुरुवार 20 जुलाई से शुरू हो रहा है। यह 11 अगस्त तक चलेगा। केंद्र सरकार मानसून सत्र में करीब 31 बिल पास कराने की तैयारी में हैं। इसमें से 21 बिल नए हैं जबकि 10 बिल पहले संसद में पेश हो चुके हैं। लेकिन उन पर भी चर्चा होगी। इसी सत्र में दिल्ली में अफसरों के ट्रांसफर-पोस्टिंग से जुड़े अध्यादेश वाला बिल भी पेश किया जाएगा। जिसका आप व कांग्रेस समेत कई विपक्षी पार्टियां विरोध कर रही हैं।
विदित हो कि इस सत्र के शुरु होने से पहले बुधवार 19 जुलाई को सर्वदलीय बैठक हुई थी। इसमें विपक्ष ने केंद्र सरकार से मणिपुर हिंसा पर चर्चा करने की मांग की जिसपर केंद्र सरकार तैयार हो गई है।
इन मुद्दों को लेकर हो सकता है हंगामा:
संसद के मानसून सत्र के हंगामेदार होने के आसार जताये जा रहे हैं। माना जा रहा है कि विपक्ष इस सत्र में मणिपुर हिंसा, दिल्ली अध्यादेश, राहुल गांधी की सदस्यता रद्द होने, बढ़ती महंगाई जैसे मुद्दे को लेकर केंद्र को घेरने की कोशिश करेगा। इसके साथ ही यूनिफॉर्म सिविल कोड पर भी तकरार हो सकती है। जबकि पिछला सत्र जिस अडानी-हिंडनबर्ग मामले में JPC से जांच की मांग को लेकर सबसे अधिक समय तक ठप रहा, उस पर भी विपक्ष सरकार को घेरने की कोशिश करेगी।
ये 10 बिल जो पहले पेश हो चुके, मानसून सेशन में चर्चा होगी
बायोलॉजिकल डाइवर्सिटी (संसोधन) बिल 2022, जन विश्वास (संसोधन) बिल-2023, मल्टी स्टेट कॉपरेटिव सोसाइटीज (संसोधन) बिल 2022, डीएनए टेक्नोलॉजी रेगुलेशन बिल 2019, रिपीलिंग एंड एमेंडमेंट बिल 2022, फॉरेस्ट कंजर्वेशन एमेंडमेंट बिल, 2023, मीडिएशन बिल 2021, सिनेमेटोग्रॉफ संसोधन बिल 2019, संविधान (अनुसूचित जाति) आदेश (तीसरा संशोधन) बिल 2022, संविधान (अनुसूचित जाति) आदेश (चौथा संशोधन) बिल 2022 शामिल हैं।
इस बिल पर रहेगी सबसे अधिक नजर:
इस सत्र में जिस बिल पर सबसे अधिक तकरार होने की संभावना है उसमें केंद्र सरकार की ओर से दिल्ली में अफसरों के ट्रांसफर, पोस्टिंग और विजिलेंस से जुड़े अधिकारों को लेकर लाए गया अध्यादेश है। इसके जरिए केंद्र सरकार नेशनल कैपिटल सिविल सर्विसेज अथॉरिटी का गठन करेगी। इस अथॉरिटी में दिल्ली CM, मुख्य सचिव और प्रधान गृह सचिव होंगे। इसे पूरी तरह लागू करने के लिए केंद्र को बिल के रूप में संसद के दोनों सदनों से पास कराना होगा। हालांकि आप समेत तमाम विपक्षी पार्टियों इसका विरोध कर रही हैं। इस बिल के खिलाफ कांग्रेस ने 16 जुलाई को AAP को समर्थन देने की बात कही। वहीं केजरीवाल को बंगाल सीएम ममता बनर्जी, शरद पवार, केसीआर और उद्वव ठाकरे का साथ पहले ही मिल चुका है।
जानिए क्या खास है इस अध्यादेश में:
केंद्र सरकार द्वारा लाए गए इस अध्यादेश के मुताबिक, दिल्ली में अधिकारियों के ट्रांसफर-पोस्टिंग का आखिरी फैसला उपराज्यपाल यानी LG का होगा। इसमें मुख्यमंत्री का कोई अधिकार नहीं होगा।