Jamshedpur (Jharkhand) : झारखंड के वित्त मंत्री राधा कृष्ण किशोर ने शुक्रवार को जमशेदपुर परिषदन में संवाददाताओं से बातचीत के दौरान GST दरों में कटौती पर केंद्र सरकार से सहयोग की अपील की। उन्होंने कहा कि झारखंड सरकार जीएसटी कटौती का विरोध नहीं कर रही है, लेकिन केंद्र को झारखंड की वास्तविकताओं को समझना होगा।
“पनीर-पराठा नहीं, यहां मड़वा-मकई खाते हैं गरीब”
वित्त मंत्री ने कहा कि “केंद्र ने दूध, पनीर और पराठा पर जीएसटी शून्य कर दिया है, यह अच्छी बात है। लेकिन झारखंड के गरीब तो मड़वा और मकई खाकर जीवन काटते हैं।” उन्होंने कहा कि झारखंड को जीएसटी व्यवस्था से सालाना 2000 करोड़ रुपये का नुकसान हो रहा है।
कोयला और स्टील का उत्पादन झारखंड में, फायदा दूसरे राज्यों को
उन्होंने बताया कि झारखंड में स्टील और कोयला का भारी उत्पादन होता है, लेकिन इसका 80% खपत अन्य राज्यों में होती है, जिससे उन राज्यों को फायदा और झारखंड को नुकसान होता है। यह व्यवस्था असंतुलित है और इसे सुधारने की जरूरत है।
सुदूरवर्ती क्षेत्रों तक योजनाएं नहीं पहुंच रहीं
वित्त मंत्री ने स्वीकार किया कि झारखंड की सरकारी योजनाएं आज भी सिर्फ प्रखंड मुख्यालय तक सीमित रह जाती हैं, जबकि सुदूर और उग्रवाद प्रभावित इलाकों तक इसका लाभ नहीं पहुंच पाता। उन्होंने कहा, “हमारी योजना है कि पहाड़ी, आदिवासी, सीमावर्ती और पिछड़े इलाकों तक भी विकास पहुंचे।”
गुड़ाबांदा में सिर्फ बकरी पालन, गाय-भैंस क्यों नहीं?
पूर्वी सिंहभूम के गुड़ाबांदा दौरे के अनुभव साझा करते हुए उन्होंने कहा कि वहां केवल बकरी पालन ही दिखा। “पशुपालन पदाधिकारी को पूछा कि इन लोगों को गाय और भैंस क्यों नहीं दी जाती, जिससे दूध का व्यवसाय कर ये लोग आत्मनिर्भर बन सकें — लेकिन जवाब नहीं मिला।”
उन्होंने कहा कि झारखंड सरकार की मंशा है कि सभी योजनाओं का लाभ अंतिम व्यक्ति तक पहुंचे और विकास से ही उग्रवाद जैसी समस्याएं नियंत्रित हो सकती हैं।


