चाईबासा : चाईबासा के सारंडा जंगल में शुक्रवार शाम को नक्सलियों ने सुरक्षा बलों पर बड़ा हमला किया। इस हमले में नक्सलियों ने तीन आईईडी धमाके किए, जिसमें सीआरपीएफ के तीन जवान घायल हो गए। जबकि एक जवान शहीद हो गया।
नक्सलियों की सोची-समझी साजिश
नक्सलियों ने इस हमले की साजिश पहले से ही रच रखी थी। उन्होंने इलाके में आईईडी बम बिछा रखे थे और जंगल के रास्तों को विस्फोटकों से पाट दिया था। नक्सलियों की योजना सुरक्षाबलों को एक ही झटके में बड़ा नुकसान पहुंचाना था।
तीन धमाकों की घटना
पहला धमाका तब हुआ जब सीआरपीएफ की टीम जंगल में दाखिल हो रही थी। नक्सलियों एक पुलिया को आईईडी बम लगाकर पूरी तरह छतिग्रस्त करना था, लेकिन योजना पूरी तरह कामयाब नहीं हो पाई। पुलिया को ज्यादा नुकसान नहीं हुआ। इसके बाद नक्सलियों ने दूसरा धमाका किया, जिसमें इंस्पेक्टर केके मिश्रा गंभीर रूप से घायल हो गए। जब जवान उन्हें सुरक्षित बाहर निकाल रहे थे, तो नक्सलियों ने तीसरा धमाका कर दिया, जिसमें दो और जवान घायल हो गए।
नक्सलियों की योजना और हमले का मकसद
नक्सलियों की योजना सुरक्षाबलों को फंसाकर घात लगाकर हमला करना था। उन्होंने पुलिया को उड़ाने की भी कोशिश की, लेकिन वह पूरी तरह से डैमेज नहीं हो पाया। नक्सलियों का मकसद अधिकतम नुकसान पहुंचाना था, ताकि सुरक्षा बलों का मनोबल तोड़ा जा सके।
दोनों तरफ से चली जमकर गोलीबारी
नक्सलियों द्वारा सारंडा जंगल में आईईडी ब्लास्ट कर तीन जवान को घायल कर दिया। दूसरा धमाका होने के बाद नक्सलियों ने पुलिस पर फायरिंग कर दी। लेकिन पुलिस बल अधिक होने के कारण नक्सलियों में मैदान छोड़कर फरार हो गया।
सुरक्षाबलों की जवाबी कार्रवाई
सुरक्षाबलों ने जवाबी कार्रवाई करते हुए नक्सलियों को पीछे हटने पर मजबूर कर दिया। सुरक्षाबलों ने घायलों को सुरक्षित स्थान तक पहुंचाया और इलाज के लिए अस्पताल भेजा।
प्रतिशोध सप्ताह की कड़ी
यह हमला नक्सलियों द्वारा मनाए जा रहे “प्रतिशोध सप्ताह” की कड़ी माना जा रहा है। नक्सलियों ने पहले ही प्रेस विज्ञप्ति जारी कर बड़े हिंसक हमलों की चेतावनी दी थी।
चलाया जा रहा सर्च अभियान
घटना के बाद इलाके में व्यापक सर्च अभियान चलाया जा रहा है। जंगल के कई हिस्सों को सील कर दिया गया है और बम निष्क्रिय करने वाली टीमें इलाके की तलाशी में जुटी हैं।
केंद्र सरकार की चिंता
केंद्र सरकार ने वर्ष 2026 तक नक्सलवाद के पूर्ण खात्मे का लक्ष्य तय किया है। इसी दिशा में सुरक्षाबल लगातार कठिन परिस्थितियों में अभियान चला रहे हैं। लेकिन इस हमले ने एक बार फिर साबित कर दिया है कि नक्सली अब भी सारंडा और आसपास के इलाकों में गहरी पैठ बनाए हुए हैं और किसी भी मौके पर सुरक्षाबलों को निशाना बनाने से नहीं हिचक रहे हैं।