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Bhupen Hazarika Books Translation 2025 : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मैथिली और संथाली सहित 21 भाषाओं में अनुवादित ‘भारत रत्न भूपेन हजारिका’ पुस्तक का लोकार्पण

भारत रत्न डॉ. भूपेन हजारिका सतवार्षिकी समारोह में भव्य लोकार्पण.

by Reeta Rai Sagar
Bhupen Hazarika Book translation 2025
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Jamshedpur (Jharkhand) : भारत रत्न डॉ. भूपेन हजारिका की सतवार्षिकी समारोह 2025 ऐतिहासिक क्षणों का साक्षी बन कर लौटे एलबीएसएम कॉलेज के प्राचार्य व साहित्यकार डॉ. अशोक कुमार झा ‘अविचल’ ने अपने अनुभव साझा किए हैं। उन्होंने बताया कि इस अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ‘भारत रत्न भूपेन हजारिका’ पर लिखी असमिया पुस्तक के 21 भाषाओं में अनुवादित संस्करण का लोकार्पण किया। लाखों की उपस्थिति में हुए इस समारोह में विशेष रूप से मैथिली और संथाली अनुवाद भी शामिल रहे।

मैथिली अनुवादक डॉ. अशोक कुमार झा अविचल

मैथिली भाषा में इस पुस्तक का अनुवाद राष्ट्रीय स्तर पर प्रतिष्ठित साहित्यकार डॉ. अशोक कुमार झा अविचल ने किया। वे साहित्य अकादमी की मैथिली सलाहकार समिति एवं नॉर्थ ईस्ट रीजन के कोऑर्डिनेटर रह चुके हैं। डॉ. झा की अब तक 27 पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं, जिनमें 6 अनुवादित हैं। वर्तमान में वे एलबीएसएम कॉलेज, जमशेदपुर के प्राचार्य एवं कोल्हन विश्वविद्यालय के प्रवक्ता हैं।

संथाली अनुवादक लालचंद सोरेन

संथाली भाषा में अनुवाद का कार्य जाने-माने साहित्यकार लालचंद सोरेन ने किया है, जिन्हें संथाली साहित्य में विशेष पहचान प्राप्त है।

समारोह की गरिमामयी उपस्थिति

लोकार्पण समारोह में प्रधानमंत्री मोदी के साथ असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा, अरुणाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री तथा भूपेन हजारिका के परिजन मौजूद रहे। कार्यक्रम में सभी 21 भाषाओं के अनुवादकों को भी आमंत्रित किया गया था।

मूल लेखिका और संपादकीय संयोजन

इस पुस्तक की मूल लेखिका डॉ. अनुराधा सरमा पुजारी हैं, जबकि 21 भाषाओं में इसके अनुवाद का सफल संयोजन सलाहकार संपादक अपराजिता पुजारी ने किया।

डॉ. अशोक झा का वक्तव्य

डॉ. अशोक कुमार झा ने कहा, “असम प्रकाशन बोर्ड के आमंत्रण पर यह अवसर मेरे लिए गौरव का विषय है। डॉ. भूपेन हजारिका न केवल लोक संस्कृति के अद्वितीय प्रस्तोता थे, बल्कि भारतीय संस्कृति, राष्ट्रीय एकता और अखंडता के प्रतीक भी थे। अनुवाद कार्य के दौरान उनके विराट व्यक्तित्व को और गहराई से समझने का अवसर प्राप्त हुआ।”

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