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Police Officer Jail Sentence : पोक्सो एक्ट में पुलिस अधिकारी को पांच साल कारावास व 50 हजार रुपये जुर्माना

by Yugal Kishor
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बंगाईगांव (असम) : असम के बंगाईगांव जिले के अभयापुरी में न्याय व्यवस्था ने यौन अपराधों के खिलाफ सख्त कदम उठाते हुए एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है। जिले के अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश की अदालत ने निलंबित पुलिस अधिकारी निजामुद्दीन भुइयां को पोक्सो अधिनियम के तहत पांच साल कठोर कारावास और 50 हजार रुपये जुर्माना की सजा सुनाई है। अदालत ने आदेश दिया है कि जुर्माना नहीं भरने की स्थिति में दोषी को तीन महीने अतिरिक्त कारावास की सजा भुगतनी होगी।

नाबालिग से यौन उत्पीड़न का मामला

घटना वर्ष 2018 की है, जब एक नाबालिग पीड़िता ने यौन उत्पीड़न के आरोप में निजामुद्दीन भुइयां के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई थी। शिकायत दर्ज कराए जाने के बाद भुइयां को पुलिस विभाग ने निलंबित कर दिया था।

अदालत का फैसला, न्याय का मिसाल

अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश की अदालत ने दोषी पाए जाने के बाद निजामुद्दीन भुइयां को पांच साल कठोर कारावास की सजा सुनाई। इसके साथ ही अदालत ने 50 हजार रुपये जुर्माना भी लगाया। अदालत ने कहा है कि यदि भुइयां जुर्माना नहीं भरते हैं, तो उन्हें तीन महीने अतिरिक्त कारावास भुगतना होगा। इस सजा के साथ ही अदालत ने यौन अपराधों के खिलाफ कड़ा संदेश दिया है और न्याय की मिसाल कायम की है।

पीड़िता की हिम्मत और न्यायिक कदम

वर्ष 2018 में शिकायत दर्ज कराने के बाद अदालत की प्रक्रिया शुरू हुई। लंबी कानूनी प्रक्रिया और जांच के बाद अदालत ने पीड़िता के हक में फैसला सुनाया। कानूनविदों का मानना है कि इस निर्णय से यह स्पष्ट संदेश गया है कि यौन अपराधों के खिलाफ कानून सख्ती से लागू किया जाएगा।

सजा का प्रभाव

इस सजा के साथ न्याय व्यवस्था ने यौन अपराधियों के खिलाफ सख्त रुख अपनाया है। इससे न केवल अपराधियों के लिए एक चेतावनी गई है, बल्कि पीड़ितों को न्याय मिलने की उम्मीद और विश्वास को भी बल मिला है।

पुलिस विभाग की प्रतिक्रिया

पुलिस विभाग ने इस फैसले का स्वागत करते हुए कहा है कि यौन अपराधों के खिलाफ जीरो टॉलरेंस के सिद्धांत पर वे काम कर रहे हैं। विभाग ने आश्वासन दिया है कि भविष्य में भी ऐसे मामलों में सख्ती से कार्रवाई की जाएगी।

पीड़िता के लिए न्याय, समाज के लिए सशक्त संदेश

इस मामले में पीड़िता की हिम्मत और न्याय प्रक्रिया ने समाज को यह संदेश दिया है कि यौन अपराधियों को किसी भी हातल में बख्शा नहीं जाएगा। अदालत का फैसला यह सुनिश्चित करता है कि यौन अपराधियों को उनके कुकृत्य के लिए कड़ी सजा दी जाएगी।

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