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Pope Francis का अंतिम संस्कार आज, वेटिकन की पारंपरिक परंपरा से हटकर सैंटा मारिया मैजियोरे में किया जाएगा सुपुर्द-ए-खाक

सदियों पुरानी परंपरा से हटते हुए पोप फ्रांसिस को वेटिकन की सीमा से बाहर स्थित बेसिलिका दी सांता मारिया मैजियोरे में दफनाया जाएगा।

by Reeta Rai Sagar
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• ईस्टर मंडे को हुआ था पोप फ्रांसिस का निधन, उम्र 88 वर्ष
• पारंपरिक वेटिकन दफन की जगह सैंटा मारिया मैजियोरे में होगा अंतिम संस्कार
• दुनियाभर के 54 राष्ट्राध्यक्ष और 12 शाही परिवार अंतिम विदाई में होंगे शामिल
• अंतिम संदेश में दिया विश्व शांति और धार्मिक स्वतंत्रता का संदेश

Vatican City: पोप फ्रांसिस की अंतिम यात्रा में शामिल होने दुनिया भर के राष्ट्राध्यक्ष और राजघरानों के सदस्य शनिवार को अंतिम विदाई देने के लिए रोम में एकत्रित हो रहे हैं।

ईस्टर मंडे के दिन 88 वर्षीय पोप फ्रांसिस का निधन हो गया। वह डबल निमोनिया से उबर रहे थे और इसी दौरान उन्हें स्ट्रोक आया। निधन से एक दिन पहले उन्होंने डॉक्टरों की सलाह के बावजूद व्हीलचेयर पर बैठकर वेटिकन में एकत्रित हजारों अनुयायियों को आशीर्वाद दिया।

वेटिकन की परंपरा से हटकर अंतिम संस्कार

सदियों पुरानी परंपरा से हटते हुए पोप फ्रांसिस को वेटिकन की सीमा से बाहर स्थित बेसिलिका दी सांता मारिया मैजियोरे में दफनाया जाएगा। अब तक पोप को सेंट पीटर्स बेसिलिका के नीचे दफनाया जाता था। लेकिन, पोप फ्रांसिस ने ‘सादा’ समाधि की इच्छा जताई थी, जिस कारण यह निर्णय लिया गया। यह चर्च रोम के बाहरी क्षेत्र में है।

2,50,000 से अधिक श्रद्धालुओं ने अंतिम दर्शन किए

पिछले तीन दिनों में वेटिकन में पोप के पार्थिव शरीर के दर्शन के लिए ढाई लाख से अधिक लोग पहुंचे। शुक्रवार को सार्वजनिक दर्शन समाप्त होने के बाद उनका ताबूत सील कर दिया गया।

दुनिया भर के नेता करेंगे अंतिम विदाई

पोप फ्रांसिस के अंतिम संस्कार में अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप, भारत की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु, फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों, स्पेन के राजा फिलिप VI और रानी लेटिज़िया, ब्राज़ील के राष्ट्रपति लूला डा सिल्वा और ब्रिटेन के प्रिंस विलियम सहित 54 देशों के राष्ट्राध्यक्ष और 12 शाही परिवार हिस्सा लेंगे।
कुछ ऐसे राष्ट्राध्यक्ष भी समारोह में उपस्थित होंगे जो वर्तमान वैश्विक मुद्दों पर पोप से असहमति रखते थे, लेकिन विश्व भर में उनके द्वारा स्थापित मानवीय मूल्यों और धार्मिक सहिष्णुता की भावना के कारण उन्हें अंतिम विदाई देने आ रहे हैं।

2,000 साल पुरानी परंपराओं के अनुसार अंतिम संस्कार

लैटिन अमेरिका से पहले पोप रहे फ्रांसिस के निधन के बाद कैथोलिक चर्च की लगभग 2,000 साल पुरानी धार्मिक परंपराएं एक बार फिर जीवंत हो जाएंगी। ये रस्में पोप के निधन पर विशेष रूप से निभाई जाती हैं और इनमें गहन धार्मिक महत्व होता है।

पोप फ्रांसिस का अंतिम संदेश

निधन से एक दिन पहले, पोप फ्रांसिस ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर अपना आखिरी संदेश साझा किया था:
‘Christ is risen! This proclamation contains the entire meaning of our existence, which is not made for death but for life. #Easter’
इस संदेश में उन्होंने ईस्टर की शुभकामनाएं देते हुए मानव जीवन की गरिमा और उसकी गूढ़ता को रेखांकित किया।

अंतिम क्षणों तक सक्रिय रहे पोप

पोप फ्रांसिस, जिन्हें पहला लैटिन अमेरिकी पोप होने का गौरव प्राप्त है, ने अपने जीवन के अंतिम क्षणों तक सार्वजनिक रूप से उपस्थित होकर अपनी सेवा और कर्तव्य का निर्वहन किया।

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