समस्तीपुर : बिहार के नेताओं में पार्टी बदलने की होड़ लगी हुई है। हर नेता अपनी गोटी फीट करने में लगा हुआ है। अभी ताजा मामला लोक जनशक्ति पार्टी (राम विलास गुट) नेता चिराग पासवान का है। उन्होंने कल एनडीए का दामन थाम लिया। यानि कि अब उनका मामला फीट हो गया है। चिराग पासवान ने कल दिल्ली में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात की।
इस दौरान भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा से भी मिले, जहां उन्होंने अपनी पार्टी को NDA में शामिल कराया। इस पर जन सुराज के सूत्रधार प्रशांत किशोर ने कहा कि ये घटना कोई नई बात नहीं है। उपेंद्र कुशवाहा, जीतनराम मांझी और चिराग पासवान 2014 और 2015 में भाजपा के साथ थे।
इन दलों ने साथ में मिलकर चुनाव भी लड़ा। सबके पास ये अवसर है कि वो अपने साथ दूसरे दलों को जोड़ें और बिहार की राजनीति की ये सच्चाई रही है। ये नई घटना नहीं हो रही है। विद ऑल ड्यू रिस्पेक्ट छोटे दल ये देखते हैं कि हमें एक सीट कहां मिल जायेगी कि हमारा व्यक्तिगत स्वार्थ कहां पूरा हो जायेगा?
चुनावी राजनीति में ये सब होता रहता है, मैं इसे नहीं लेता बहुत गंभीरता से : प्रशांत किशोर
समस्तीपुर के दलसिंहसराय में पत्रकारों से बातचीत में प्रशांत किशोर ने कहा कि अगर जीतन राम मांझी की पार्टी है, तो वो ये देख रहे हैं कि हमें एक सीट कहां मिल जायेगी। महागठबंधन से मिल जायेगी, तो वह महागठबंधन में रहे। भाजपा से मिल जायेगी, तो भाजपा में चले जायेंगे।
यही हाल उपेंद्र कुशवाहा का भी है, जिसने भी उनको दो टिकट दे दिया, वह उसी साइड चले जायेंगे। लोजपा पार्टी भी दो धड़ों में है, कौन रहता है, क्या होता है ये उनका इंटर्नल मैटर है और राजनीति में सामान्य बात है। लोकतंत्र में, चुनावी राजनीति में ये सब होते रहता है, इसे बहुत ज्यादा गंभीरता से मैं नहीं लेता हूं।