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बैंकॉक दौरे पर जा रहे प्रधानमंत्री मोदी, जानिए BIMSTEC की अहमियत : आखिर क्यों है भारत की चाइना पॉलिसी के लिए यह एक महत्वपूर्ण कदम

भारत ने पिछले कुछ वर्षों में सार्क को पीछे छोड़ते हुए BIMSTEC को अपनी प्राथमिकता बना लिया है। इसके पीछे प्रमुख कारण है कि सार्क संगठन में पाकिस्तान के होने के कारण कई बार बैठकें और पहलें बाधित हो जाती थीं।

by Anurag Ranjan
बैंकॉक दौरे पर जा रहे प्रधानमंत्री मोदी, जानिए BIMSTEC की अहमियत : आखिर क्यों है भारत की चाइना पॉलिसी के लिए यह एक महत्वपूर्ण कदम
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सेंट्रल डेस्क : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 4 अप्रैल को बैंकॉक में होने वाले BIMSTEC (बंगाल इनिशिएटिव फॉर सेक्टोरल टेक्निकल एंड इकॉनोमिक कोऑपरेशन) के छठे शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिए रवाना हो रहे हैं। यह सम्मेलन क्षेत्रीय एकीकरण और आर्थिक सहयोग को बढ़ावा देने के लिए आयोजित किया जा रहा है। भारत की विदेश नीति और चाइना पॉलिसी के संदर्भ में, BIMSTEC इस समय एक महत्वपूर्ण मंच बनकर उभरा है, जो भारत के लिए वैश्विक और क्षेत्रीय मामलों में अपनी स्थिति को सशक्त करने का अवसर प्रस्तुत करता है।

BIMSTEC का उद्देश्य और महत्व

BIMSTEC की स्थापना 1997 में की गई थी और यह सात सदस्य देशों का एक संगठन है, जिसमें बांग्लादेश, भूटान, भारत, म्यांमार, नेपाल, श्रीलंका और थाईलैंड शामिल हैं। संगठन का उद्देश्य आर्थिक सहयोग, व्यापार, सुरक्षा, जलवायु परिवर्तन, और अन्य विकासात्मक क्षेत्रों में सहयोग को बढ़ावा देना है। 6वें शिखर सम्मेलन का विषय ‘समृद्ध, लचीला और खुला BIMSTEC’ रखा गया है, जो सदस्य देशों के बीच आपसी सहयोग को प्रगति की दिशा में लेकर जाने का संकेत है।

भारत और BIMSTEC का संबंध

भारत BIMSTEC का एक महत्वपूर्ण संस्थापक सदस्य है और इस संगठन के माध्यम से भारत क्षेत्रीय सुरक्षा, ऊर्जा, आपदा प्रबंधन, और अन्य क्षेत्रों में सहयोग की दिशा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इसके साथ ही भारत इस संगठन के बजट में सबसे बड़ा योगदानकर्ता है (32%) और इसके दो प्रमुख केंद्रों की मेज़बानी करता है। नोएडा में स्थित बिम्सटेक मौसम और जलवायु केंद्र और बेंगलुरु में स्थित बिम्सटेक ऊर्जा केंद्र इसका उदाहरण हैं।

भारत की चाइना पॉलिसी में BIMSTEC का महत्व

भारत ने पिछले कुछ वर्षों में सार्क को पीछे छोड़ते हुए BIMSTEC को अपनी प्राथमिकता बना लिया है। इसके पीछे प्रमुख कारण है कि सार्क संगठन में पाकिस्तान के होने के कारण कई बार बैठकें और पहलें बाधित हो जाती थीं। 2016 के उरी हमले के बाद से सार्क का कोई सम्मेलन आयोजित नहीं हुआ है, जिसके कारण यह मंच अब निष्क्रिय सा हो गया है। ऐसे में BIMSTEC ने भारत के लिए एक नया और प्रभावी मंच प्रदान किया है, जो न केवल क्षेत्रीय स्तर पर सहयोग को बढ़ावा देता है, बल्कि वैश्विक स्तर पर भारत की स्थिति को भी मजबूत करता है।

बंगाल की खाड़ी क्षेत्र में चीन का प्रभाव तेजी से बढ़ रहा है, और भारत ने BIMSTEC को इस चुनौती का सामना करने के लिए एक महत्वपूर्ण रणनीतिक उपकरण के रूप में देखा है। भारत के लिए यह जरूरी हो गया था कि वह इस क्षेत्र में अपने प्रभाव को बढ़ाए और चीन के विस्तारवादी प्रयासों को चुनौती दे। BIMSTEC के सदस्य देशों के साथ मजबूत संबंध भारत को इस उद्देश्य में मदद कर सकते हैं, जिससे चीन को इस क्षेत्र में अपनी परियोजनाओं को आगे बढ़ाने में कठिनाई हो सकती है।

भारत का नेतृत्व और क्षेत्रीय एकता

BIMSTEC के छठे शिखर सम्मेलन से भारत की यह स्थिति और भी मजबूत हो सकती है, क्योंकि भारत इस संगठन में एक प्रमुख शक्ति के रूप में उभर कर सामने आया है। यदि भारत BIMSTEC का प्रभावी नेतृत्व करता है, तो यह न केवल क्षेत्रीय सुरक्षा और विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है, बल्कि चीन के लिए भी यह एक सशक्त चुनौती बन सकता है। इसके साथ ही, अगर BIMSTEC देशों के बीच आपसी संबंध मजबूत होंगे, तो ये देश चीन के साथ किसी भी आर्थिक या रणनीतिक समझौते से पहले भारत के हितों का विचार करेंगे।

BIMSTEC के शिखर सम्मेलन के उद्देश्य

बैंकॉक में होने वाले BIMSTEC शिखर सम्मेलन का उद्देश्य सदस्य देशों के बीच साझा सुरक्षा, आर्थिक विकास और सतत विकास के लिए सहयोग को बढ़ाना है। इस सम्मेलन में कई महत्वपूर्ण कदम उठाए जाएंगे, जिनमें ‘बैंकॉक विजन 2030’ नामक एक रणनीतिक रोडमैप की घोषणा की जाएगी, जो भविष्य में सहयोग बढ़ाने का मार्ग प्रशस्त करेगा। इसके अलावा, सभी देशों के नेता समुद्री परिवहन सहयोग समझौते पर भी हस्ताक्षर करेंगे, जिससे बंगाल की खाड़ी में व्यापार और यात्रा को बढ़ावा मिलेगा।

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