स्पेशल डेस्क, नई दिल्ली :Prithvi Scheme: भूकंप, बाढ़, सुनामी-तूफान जैसी प्राकृतिक आपदाओं की सही भविष्यवाणी करने और समुद्री व ध्रुवीय संसाधनों की खोज के लिए आने वाले वर्षों में देश में व्यापक अध्ययन और प्रणाली विकसित की जाएगी। इसके लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अध्यक्षता में शुक्रवार को केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 4797 करोड़ की लागत वाली ‘पृथ्वी’ योजना को मंजूरी दे दी। पृथ्वी विज्ञान की इस व्यापक योजना के तहत विभिन्न संस्थानों में एकीकृत बहु-विषयक पृथ्वी विज्ञान अनुसंधान और नए कार्यक्रमों का अध्ययन करने की क्षमताएं विकसित की जाएंगी।
पांच साल के लिए बनी इस योजना में मौसम और जलवायु, महासागर, क्रायोस्फीयर, भूकंपीय विज्ञान की बड़ी चुनौतियों का समाधान करने की दिशा में काम होगा। वहीं, समुद्री और ध्रुवीय क्षेत्रों में अनुसंधान कर उनके स्थायी दोहन के लिए जीवित और निर्जीव संसाधनों का पता लगाया जाएगा।
4 हजार 797 करोड़ रुपए का है बजट
इस योजना के लिए 4797 करोड़ रुपए का बजट दिया गया है। पीएम मोदी ने अपने ट्वीट में लिखा कि यह पहल एडवांस पृथ्वी प्रणाली विज्ञान की दिशा में हमारी यात्रा में एक महत्वपूर्ण प्रगति का प्रतीक है। इसमें जलवायु अनुसंधान, महासागर सेवाएं, ध्रुवीय विज्ञान, भूकंप विज्ञान और बहुत कुछ जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्र शामिल हैं। पीएम मोदी ने कहा कि हमारी प्रतिबद्धता न केवल पृथ्वी प्रणाली की समझ को बढ़ाने की है, बल्कि इस ज्ञान को सामाजिक, पर्यावरणीय और आर्थिक लाभों के लिए व्यावहारिक अनुप्रयोगों में अनुवादित करने की भी है।
पीएम ने कहा कि यह योजना प्राकृतिक आपदाओं की भविष्यवाणी और प्रबंधन में भारत की क्षमताओं को मजबूत करेगी, जिससे जीवन और संपत्ति की सुरक्षा होगी।
Prithvi Scheme: क्या है पृथ्वी विज्ञान योजना?
पृथ्वी विज्ञान के अंतर्गत मौसम, महासागर और जलवायु खतरों को समझने और भविष्यवाणी करने तथा जलवायु परिवर्तन के विज्ञान को समझने के लिए प्रारूप प्रणालियों का विकास शामिल है। इसके अलावा नई घटनाओं और संसाधनों की खोज करने की दिशा में पृथ्वी के ध्रुवीय और उच्च समुद्री क्षेत्रों की खोज की जाएगी। साथ ही सामाजिक अनुप्रयोगों के लिए समुद्री संसाधनों की खोज हेतु टेक्नोलॉजी का विकास और संसाधनों का सतत उपयोग शामिल है। योजना के तहत पृथ्वी प्रणाली विज्ञान से प्राप्त ज्ञान और अंतर्दृष्टि को सामाजिक, पर्यावरणीय और आर्थिक लाभ के लिए सेवाओं के रूप में इस्तेमाल किया जाएगा।
इस योजना को लागू करने के क्या हैं उद्देश्य?
पृथ्वी योजना के उद्देश्यों में पृथ्वी प्रणाली और परिवर्तन के महत्वपूर्ण संकेतों को रिकॉर्ड करने के लिए वायुमंडल, महासागर ,भूमंडल, क्रायोस्फीयर और ठोस पृथ्वी के दीर्घकालिक अवलोकनों को बढ़ाना और बनाए रखना। साथ ही मौसम को समझने और भविष्यवाणी करने के लिए मॉडलिंग सिस्टम का विकास शामिल हैं। इसमें नई घटनाओं और संसाधनों की खोज के लिए पृथ्वी के ध्रुवीय और उच्च समुद्री क्षेत्रों की खोज, सामाजिक अनुप्रयोगों के लिए समुद्रीय संसाधनों की खोज और टिकाऊ दोहन के लिए प्रौद्योगिकी का विकास शामिल हैं।
कौन-कौन से संस्थान कर रहे हैं मंत्रालय की मदद
– भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD)
– राष्ट्रीय मध्यम अवधि मौसम पूर्वानुमान केंद्र (NCMRWF)
– समुद्री जीवन संसाधन और पारिस्थितिकी केंद्र (CMLRE)
– राष्ट्रीय तटीय अनुसंधान केंद्र (NCCR)
– राष्ट्रीय भूकंप विज्ञान केंद्र (NCS)
– राष्ट्रीय महासागर प्रौद्योगिकी संस्थान (NIOT)
– भारतीय राष्ट्रीय महासागर सूचना सेवा केंद्र (INCOIS)
– राष्ट्रीय ध्रुव और महासागर अनुसंधान केंद्र (NCPOR)
– भारतीय उष्णकटिबंधीय मौसम विज्ञान संस्थान (IITM)
– राष्ट्रीय पृथ्वी विज्ञान अध्ययन केंद्र (NCESS)
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