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Rakshabandhan Festival : पहले राजा ही मनाते थे रक्षाबंधन पर्व, जानिए इसका महत्व, इतिहास और शास्त्र, आखिर कब और कैसे हुई थी इस त्योहार की शुरुआत

by Rakesh Pandey
Rakshabandhan Festival
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Rakshabandhan Festival : कोलकाता : श्रावण पूर्णिमा के दिन मनाया जाने वाला रक्षाबंधन का पर्व भाई-बहन के पवित्र प्रेम का प्रतीक है। इस दिन बहन अपने भाई का आरती करके उसे प्रेम का प्रतीक राखी बांधती है। भाई भी बहन को उपहार देकर आशीर्वाद देता है। हजारों वर्षों से चल रहे इस पर्व का इतिहास, शास्त्र, राखी बनाने की विधि और इसका महत्व, सनातन संस्था द्वारा संकलित इस लेख में स्पष्ट किया गया है।

सनातन संस्था की बबीता गांगुली बताती हैं कि पाताल में राजा बलि के हाथ पर लक्ष्मीजी ने राखी बांधकर उसे अपना भाई बना लिया और नारायण की मुक्ति कराई। वह दिन श्रावण पूर्णिमा का ही था। बारह वर्षों तक इंद्र और दैत्यों के बीच युद्ध चलता रहा। देवताओं के बारह वर्ष दैत्यों के बारह दिनों के समान थे। इंद्र थक चुके थे और दैत्य प्रभावी होते जा रहे थे। इंद्र अपनी जान बचाने के लिए युद्ध से भागने की तैयारी में थे। यह जानकर इंद्राणी गुरु बृहस्पति के पास गईं। गुरु ने ध्यान लगाकर कहा ‘यदि तुम अपने पतिव्रत के बल से संकल्प करो कि मेरे पति सुरक्षित रहें, और इंद्र के दाएँ हाथ में एक धागा बांधो, तो इंद्र की विजय निश्चित है’। इंद्र की जीत हुई और इंद्राणी का संकल्प सफल हुआ। भविष्य पुराण के अनुसार, रक्षाबंधन मूल रूप से राजाओं के लिए था और तभी से राखी बांधने की परंपरा चली आ रही है।

भावनात्मक महत्व

राखी बहन भाई के हाथ पर इसलिए बांधती है, ताकि भाई समृद्ध हो और वह बहन की रक्षा करे, यही भावना इस पर्व के पीछे होती है।

Rakshabandhan Festival : राखी बांधने की विधि

चावल, सोना और सफेद मिश्री को एक कपड़े में बांधकर रक्षा (राखी) तैयार की जाती है। इसे रेशमी धागे से बाँधा जाता है और यह मंत्र बोला जाता है:

येन बद्धो बली राजा दानवेन्द्रो महाबलः।
तेन त्वामपि बध्नामि रक्षे मा चल मा चल।।

अर्थ : जिससे दानवों के महाबली राजा बलि को बांधा गया था, उसी रक्षा से मैं तुम्हें बांधती हूं। हे रक्षा! तुम अडिग रहो।

चावल के दानों को रेशमी धागे से बांधने की परंपरा क्यों

चावल सर्वसमावेश का प्रतीक है, जो सभी को समाहित करता है। यह सभी तरंगों के आदान-प्रदान में सक्षम है। चावल को सफेद कपड़े में बांधकर रेशमी धागे से शिवरूप जीव के दाहिने हाथ पर बांधना सात्त्विक बंधन का निर्माण करता है। रेशमी धागा सात्त्विक तरंगों को गति देने में अग्रणी होता है।

बहन राखी बाँधते समय कैसा भाव रखे?

जब श्रीकृष्ण की उंगली से रक्त बह रहा था, तब द्रौपदी ने अपनी साड़ी का पल्लू फाड़कर उनकी उंगली बांधी। बहन अपने भाई को कोई पीड़ा सहते नहीं देख सकती। भाई की रक्षा के लिए वह सब कुछ कर सकती है। राखी बांधते समय हर बहन को यही भावना रखनी चाहिए।

भाई द्वारा सात्त्विक उपहार देने का महत्व

रज-तम प्रधान वस्तुएं असात्त्विक होती हैं, इसलिए भाई को बहन द्वारा सात्त्विक उपहार दिया जाना चाहिए, जैसे कोई धार्मिक ग्रंथ, जपमाला आदि जिससे बहन की साधना में सहायता हो।

प्रार्थना करना

बहन को भाई के कल्याण के लिए और भाई को बहन की रक्षा के लिए प्रार्थना करनी चाहिए। साथ ही दोनों को मिलकर यह प्रार्थना करनी चाहिए ‘हमारे द्वारा राष्ट्र और धर्म की रक्षा हेतु प्रयास हो’।

राखी से देवताओं का अपमान रोकें

आजकल राखियों पर ‘ॐ’ या देवी-देवताओं की तस्वीरें होती हैं। राखी के बाद हाथसे राखी उतारकर उसे इधर-उधर फेंकने से देवताओं का और धार्मिक प्रतीकों का अपमान होता है। इससे बचने के लिए राखी का बहते पानी में विसर्जन करें।

संदर्भ : सनातन संस्था का ग्रंथ – पर्व, धार्मिक उत्सव एवं व्रत

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