Ranchi (Jharkhand) : झारखंड की राजधानी रांची में प्रगतिशील लेखक संघ, शब्दकार और साहित्य कला फाउंडेशन के संयुक्त तत्वावधान में तीन दिवसीय काव्य शिविर का आयोजन किया गया है। यह शिविर गुरुवार से यानी 5 जून से मोराबादी स्थित डॉ. रामदयाल मुंडा जनजातीय कल्याण शोध संस्थान में शुरू होगा।
इस तीन दिवसीय काव्य शिविर का उद्घाटन समारोहपूर्वक किया जायेगा। शिविर में प्रत्येक दिन दो यानि तीन दिनों में कुल छह तकनीकी सत्र होंगे। इन सत्रों में साहित्य जगत के कई जाने-माने साहित्यकार शिरकत करेंगे। प्रो. अशोक प्रियदर्शी, प्रो. रविभूषण, प्रो. माया प्रसाद, प्रो. सुजाता, प्रो. रमेश ऋतंभर, डॉ. सुधीर सुमन, डॉ. अनुज लुगुन, डॉ. राही डुमरचिर, डॉ अंचित, डॉ विहाग वैभव, रणेन्द्र, डॉ. पंकज मित्र, प्रो मिथिलेश और डॉ. अनामिका प्रिया जैसे प्रतिष्ठित वक्ता शिविर में अपनी उपस्थिति दर्ज कराएंगे। ये सभी वक्ता कविता से जुड़े अलग-अलग महत्वपूर्ण विषयों पर अपने ज्ञान और विचार साझा करेंगे। प्रत्येक व्याख्यान 45 मिनट का होगा। आयोजकों ने बताया है कि सभी वक्ताओं को अपने व्याख्यान का लिखित रूप भी साथ लाने का अनुरोध किया गया है। शिविर का उद्घाटन सत्र एक घंटे का होगा, जो गुरुवार को सुबह 10 बजे से आरंभ होगा।
शिविर के उद्घाटन के पश्चात् प्रथम सत्र में डॉ. अनामिका प्रिया ‘कविता के अभिलक्षण, काव्य-रचना के उद्देश्य’ और प्रो. मिथिलेश ‘भारतीय काव्य शास्त्र की परम्परा’ विषय पर व्याख्यान देंगे। द्वितीय सत्र में डॉ. अशोक प्रियदर्शी ‘कामायनी’ और प्रो. रमेश ऋतंभर ‘कविता क्या है? काव्य लक्षण, काव्य प्रयोजन’ विषय पर व्याख्यान प्रस्तुत करेंगे।
शिविर के दूसरे दिन शुक्रवार (06 जून) को प्रथम सत्र में डॉ. राही डुमरचिर ‘शमशेर बहादुर सिंह की कविताओं में बिम्ब-विधान’, डॉ. माया प्रसाद ‘महादेवी का वाग्वैशिष्ट्य और निराला की गीति-योजना’ तथा डॉ. पंकज मित्र ‘कविता में प्रतीक/बिम्ब-विधान’ विषय पर प्रकाश डालेंगे। द्वितीय सत्र में डॉ. सुजाता ‘स्त्रीवादी सौंदर्य-शास्त्र’ एवं डॉ. सुधीर सुमन ‘अनामिका, सविता सिंह व नीलेश रघुवंशी की कविता’ पर व्याख्यान देंगे।
शिविर के तीसरे व अंतिम दिन शनिवार (07 जून) को प्रथम सत्र में डॉ. (प्रो.) रविभूषण ‘निराला की ‘राम की शक्तिपूजा’/ मुक्तिबोध की ‘अंधेरे में’/ अज्ञेय की ‘असाध्य वीणा’ तथा डॉ. अनुज लुगुन ‘आदिवासियत भारतीय भाषाओं की कविता में कैसे प्रकट हो रही है या स्थान बना रही है’ विषय पर व्याख्यान देंगे। द्वितीय सत्र में डॉ. विहाग वैभव ‘भारतीय भाषाओं में दलित कविता और दलित सौंदर्य-शास्त्र’ और रणेन्द्र ‘मुक्तिबोध : सृजन-कला के तीन क्षण एवं ‘फैंटेसी’ विषय पर व्याख्यान प्रस्तुत करेंगे। आयोजकों की ओर से बताया गया है कि यह तीन दिवसीय काव्य शिविर निश्चित रूप से कविता के प्रति रुचि रखने वालों के लिए एक ज्ञानवर्धक और प्रेरणादायक अनुभव साबित होगा। रांची के साहित्य प्रेमी इस अवसर का लाभ उठा सकते हैं और प्रतिष्ठित साहित्यकारों से कविता के विभिन्न पहलुओं को करीब से जान सकते हैं।