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World Bicycle Day 2025: झारखंड की सबीना कुमारी ने साइकिल से तय किया सपनों का सफर, कई गोल्ड मेडल किए अपने नाम

2024 के Khelo India Youth Games सबीना के लिए यादगार रहे। उन्होंने गर्ल्स केरिन और टीम स्प्रिंट में गोल्ड और 200 मीटर स्प्रिंट में ब्रॉन्ज मेडल जीता।

by Reeta Rai Sagar
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रांची। World Bicycle Day 2025: झारखंड के चतरा जिले की धूल भरी गलियों से निकलकर सबीना कुमारी ने यह साबित कर दिया कि अगर जज्बा हो तो साधारण साइकिल भी सपनों की उड़ान भर सकती है। आज World Bicycle Day 2025 के मौके पर हम उस 18 वर्षीय लड़की की कहानी साझा कर रहे हैं, जिसने Khelo India Youth Games (KIYG) में दो गोल्ड और एक ब्रॉन्ज मेडल जीतकर साइक्लिंग की दुनिया में अपना नाम रोशन किया।

साधारण परिवार से निकलकर की बड़ी शुरुआत
सबीना कुमारी एक दिहाड़ी मजदूर की बेटी हैं और उनकी मां गृहिणी हैं। खेलों से उनका कोई पूर्व परिचय नहीं था। लेकिन 2017 में जब उनके पिता ने उन्हें झारखंड सरकार और सेंट्रल कोलफील्ड्स लिमिटेड (CCL) की टैलेंट हंट योजना में दाखिल कराया, तो किसी को अंदाजा नहीं था कि यह शुरुआत उन्हें राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर तक ले जाएगी।

JSPS Academy में तराशा गया टैलेंट
12 साल की उम्र में सबीना को JSPS Academy, रांची में दाखिला मिला, जहां कोच राम कपूर भट्ट ने उनकी प्रतिभा को पहचाना। भट्ट, जो खुद एक पूर्व राष्ट्रीय साइक्लिंग मेडलिस्ट हैं, ने सबीना को स्प्रिंट साइक्लिंग में प्रशिक्षित किया। सबीना ने बताया कि “मैंने 2018 में राम सर के साथ ट्रेनिंग शुरू की और वहीं से जिंदगी बदल गई।”

Khelo India में धमाकेदार प्रदर्शन
2024 के Khelo India Youth Games सबीना के लिए यादगार रहे। उन्होंने गर्ल्स केरिन और टीम स्प्रिंट में गोल्ड और 200 मीटर स्प्रिंट में ब्रॉन्ज मेडल जीता। उन्होंने खुशी से कहा- “यह मेरा पहला Khelo India था और केरिन गोल्ड सबसे खास था।”

अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत का नाम रोशन
2024 में ही सबीना ने एशियन चैंपियनशिप में भारत के लिए स्प्रिंट टीम में पहला अंतरराष्ट्रीय मेडल जीता। आज वह SAI के नेशनल सेंटर ऑफ एक्सीलेंस, IG स्टेडियम में ट्रेनिंग ले रही हैं और फ्रांस के ओलंपिक लेजेंड केविन सिरो से मार्गदर्शन पा रही हैं।

शिक्षा के साथ सपनों की उड़ान
ट्रेनिंग और प्रतियोगिताओं के बीच भी सबीना अपनी पढ़ाई खुद से जारी रख रही हैं। “गांव की कई लड़कियों की तरह मेरे भी सपने थे, लेकिन मौके नहीं थे। मैं चाहती हूं कि वे जानें कि फोकस और मेहनत से सब संभव है।”- सबीना

कोच राम भट्ट: गांव से ओलंपिक की राह बनाने वाले
सबीना आज जिस मुकाम पर हैं, उसके पीछे कोच राम भट्ट का अहम योगदान है। आज वे 25–30 बच्चों को ट्रेनिंग दे रहे हैं, जिनमें कई सबीना की तरह ग्रामीण पृष्ठभूमि से हैं। सबीना ने कहा कि “राम सर ने मेरा जीवन बदल दिया, और अब वो कई और बच्चों की किस्मत बदल रहे हैं।”

World Bicycle Day: सबीना की कहानी बनी एक प्रेरणा
सबीना कुमारी की कहानी World Bicycle Day 2025 पर इस बात की मिसाल है कि एक साधारण साइकिल भी अगर सही दिशा और समर्थन मिले तो किसी की जिंदगी बदल सकती है। सबीना सिर्फ एक खिलाड़ी नहीं, एक प्रेरणा हैं, हर उस लड़की के लिए जो सपने देखती है लेकिन संसाधनों की कमी से डर जाती है।

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