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RANCHI HEALTH NEWS: दो माह बाद भी मैमोग्राफी मशीन को चालू नहीं कर सका सदर हॉस्पिटल प्रबंधन, जानें क्या है वजह

by Vivek Sharma
RANCHI HEALTH NEWS: सदर अस्पताल में दो माह से मैमोग्राफी मशीन चालू नहीं, मरीजों को नहीं मिल रही ब्रेस्ट कैंसर जांच की सुविधा।
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RANCHI: राजधानी के दूसरे सबसे बड़े सरकारी हॉस्पिटल सदर में 65 दिन पहले मैमोग्राफी मशीन तो इंस्टॉल कर दी गई, लेकिन अब तक यह चालू नहीं हो सकी है। ब्रेस्ट कैंसर जांच के लिए आने वाले मरीज निराश होकर लौट रहे हैं। मशीन उपलब्ध होने के बावजूद तकनीकी खामियों और मैनेजमेंट की सुस्ती का खामियाजा मरीज भुगत रहे हैं। जरूरतमंद महिलाओं को इसका लाभ नहीं मिल पा रहा है। ऐसे में जांच कराने के लिए काफी पैसे खर्च करने पड़ रहे हैं।

नहीं लगाया गया लीड पैनल

हॉस्पिटल परिसर में मैमोग्राफी टेस्ट के लिए जगह तय होने के बाद मशीन को कंपनी ने इंस्टॉल करा दिया। वहीं रेडियोलॉजी के डॉक्टर भी सेवा देने के लिए तैयार हैं। बावजूद इसके मशीन से टेस्ट शुरू नहीं हो पा रहा है। मिली जानकारी के अनुसार, सबसे बड़ी दिक्कत मशीन को सुरक्षित और मानक के अनुरूप चलाने के लिए जरूरी लीड पैनल लगाने में आ रही है। हॉस्पिटल प्रबंधन पिछले दो महीने से इस व्यवस्था को दुरुस्त नहीं कर पाया है।

ब्रेस्ट कैंसर की जांच की सुविधा

रोटरी क्लब की ओर से सदर हॉस्पिटल को करीब 45 लाख रुपये की लागत वाली अत्याधुनिक मैमोग्राफी मशीन डोनेट की गई है। मशीन को स्थापित करने के बाद उम्मीद जगी थी कि अब यहां ब्रेस्ट कैंसर की जांच की सुविधा आसानी से मिल सकेगी। रांची और आसपास के जिलों से रोजाना दर्जनों मरीज कैंसर विभाग पहुंचते हैं। डॉक्टरों के अनुसार, ब्रेस्ट कैंसर के मामले लगातार बढ़ रहे हैं और शुरुआती जांच में लापरवाही की वजह से कई बार मरीज देर से इलाज के लिए पहुंच पाते हैं। ऐसे में ये मशीन कई लोगों के लिए लाइफ लाइन बन सकती है।

बढ़ रही ब्रेस्ट कैंसर के मरीजों की तादाद

ऑन्कोलॉजिस्ट ने बताया कि पिछले एक साल में ब्रेस्ट कैंसर के मामले लगभग 20 प्रतिशत तक बढ़े हैं। ऐसे में मैमोग्राफी जैसी जांच मशीन का जल्द शुरू होना बेहद जरूरी है। अभी मरीजों को जांच के लिए रिम्स या प्राइवेट अस्पतालों का रुख करना पड़ता है। जहां न केवल लंबी कतारें हैं बल्कि खर्च भी ज्यादा होता है। प्राइवेट अस्पतालों में मैमोग्राफी की जांच का खर्च काफी होता है। जबकि सरकारी अस्पताल में यह सुविधा मुफ्त या बेहद कम शुल्क पर उपलब्ध कराई जानी थी।

कुछ प्रक्रिया पूरी होनी बाकी : सिविल सर्जन

हालांकि रोटरी क्लब के सदस्यों ने भी चिंता जताई है कि मशीन का अभी तक उपयोग शुरू न होना निराशाजनक है। उन्होंने हॉस्पिटल प्रशासन से अपील की है कि जल्द से जल्द सभी तकनीकी औपचारिकताएं पूरी कर मशीन को मरीजों के लिए उपलब्ध कराया जाए। फिलहाल, सदर हॉस्पिटल में कैंसर विभाग में लगातार बढ़ रही भीड़ ने मरीजों की टेंशन बढ़ा दी है। मरीजों और उनके परिजनों को उम्मीद है कि यह सुविधा शुरू हो जाएगी, ताकि ब्रेस्ट कैंसर जैसी गंभीर बीमारी की जांच में उन्हें राहत मिल सके।

इस मामले में सिविल सर्जन डॉ. प्रभात कुमार ने बताया कि कुछ प्रक्रिया पूरी होनी बाकी है। इसके बाद हमलोग मशीन का संचालन शुरू कर देंगे। मशीन सप्लाई करने वाली कंपनी से भी बात चल रही है।

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