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Sahitya Akademi Awards 2024 : हिंदी में गगन गिल, संताली में महेश्वर सोरेन, मैथिली में महेंद्र मलंगिया व अंग्रेजी में डॉ. ईस्टराइन कीरे को साहित्य अकादमी पुरस्कार,देखें अन्य भाषाओं में पुरस्कृत लेखकों की सूची…

by The Photon News
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जमशेदपुर / नई दिल्ली : साहित्य अकादमी ने 2024 के प्रतिष्ठित साहित्य अकादमी पुरस्कारों की घोषणा की है। इस बार 21 भारतीय भाषाओं के कई साहित्यकारों को उनके योगदान के लिए सम्मानित किया जाएगा। इन पुरस्कारों में हिंदी की प्रसिद्ध कवि गगन गिल और संथाली साहित्यकार महेश्वर सोरेन के साथ-साथ मैथिली में महेंद्र मलंगिया और अंग्रेजी में डॉ. ईस्टराइन कीरे को भी यह सम्मान मिलेगा। संताली लेखक महेश्वर सोरेन को नाटक श्रेणी में की रचना “सेचड सांवता रेन मनमी” के लिए इस पुरस्कार की घोषणा की गयी है। वहीं मैथिली रचनाकार महेंद्र मलंगिया को उनके “प्रबंध संग्रह” के लिए यह पुरस्कार प्रदान किया जायेगा।

पुरस्कृत होनेवाले कुछ रचनाकारों का परिचय

हिंदी : गगन गिल
गगन गिल, जिनकी कविताओं ने हिंदी साहित्य में एक नया मुकाम हासिल किया है, को 2024 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया जाएगा। गगन गिल का कविता संग्रह “एक दिन लौटेगी लड़की” 1983 में प्रकाशित हुआ था, जिसने उन्हें साहित्य जगत में एक महत्वपूर्ण स्थान दिलाया। उनकी काव्य यात्रा में अब तक कई कृतियाँ शामिल हैं, जिनमें कविता-संग्रह और गद्य की किताबें शामिल हैं। गगन गिल का लेखन विश्वभर में चर्चित रहा है, और उनकी रचनाओं ने न केवल हिंदी साहित्य को समृद्ध किया, बल्कि उन्हें अंतरराष्ट्रीय पहचान भी दिलाई है।

संताली : महेश्वर सोरेन
महेश्वर सोरेन का जन्म 18 जनवरी 1980 को ओडिशा राज्य के मयूरभंज जिले के जमुघीहा, पोस्ट- कुंदाबाई, थाना-उदाला में हुआ था। वर्तमान में वह ओडिशा के कटक स्थित जगन्नाथपुर अस्पताल में फार्मेसी ऑफिसर के रूप में कार्यरत हैं। उनके माता-पिता का नाम लालमोहन और बलही था। उन्होंने आरडीएस महाविद्यालय से बीएससी की डिग्री प्राप्त की। इसके बाद उन्होंने सरकारी आईटआई कटक से स्टेनोग्राफी की और एसआईपीएस झारपोखरिया से फार्मेसी में डिप्लोमा किया। वह एक अच्छे फार्मासिस्ट, नाटककार, कवि और संथाली फिल्मों के कहानीकार हैं।

श्री सोरेन ने साहित्य अकादमी, नई दिल्ली द्वारा आयोजित राष्ट्रीय स्तर के सेमिनार में संथाली साहित्य पर अपने शोध पत्र प्रस्तुत किए। उनके लेख विभिन्न पत्रिकाओं और जर्नलों जैसे संधायनी, फागुन, टेटांग, जाहिरामगी, आदिम अरंग, सौनहेद अरंग, खबर कागज आदि में प्रकाशित हुए हैं। लेखन के साथ-साथ उन्होंने समाज में अच्छे प्रथाओं और मूल्यों को प्रस्तुत करने के लिए कई गांव स्तर की बैठकों का आयोजन भी किया है।

एक नाटककार के रूप में उन्हें संथाली साहित्य विकास समाज, शरत, बिरत आदिवासी होरिजाना सांस्कृतिक समारा, बालासोर, सरवना ट्रस्ट, भुवनेश्वर, बीएसटीएस सोनागाड़ी उदाला, मयूरभंज द्वारा सम्मानित किया गया। इसके अतिरिक्त, उन्हें ओडिशा के तत्कालीन मुख्यमंत्री नवीन पटनायक से “संथाली साहित्यिक” पुरस्कार प्राप्त हुआ, जो कि आदिवासी भाषा और संस्कृति अकादमी, ओडिशा द्वारा प्रदान किया गया।

इसके अलावा, उन्होंने “जुवान अनोलिया मान 2018” पुरस्कार ओडिशा शाखा से और “पंडित रघुनाथ मर्मू पुरस्कार 2018” अखिल भारतीय संथाली लेखक संघ से प्राप्त किया। वह AISWA, AISFWA (TATA), ASECA उदाला शाखा के आजीवन सदस्य हैं। “सिकरिया” (कविता-2015) उनकी पहली पुस्तक है, “मने कोवाग धरम दाहर” (नाटक-2016) उनकी दूसरी प्रकाशित पुस्तक है और “सेचेड सावंता रेन अंधा मंमी” उनकी तीसरी प्रकाशित नाटक पुस्तक है।

मैथिली : महेंद्र मलंगिया
बिहार के मैथिली साहित्यकार महेंद्र मलंगिया को उनके योगदान के लिए 2024 का मैथिली साहित्य अकादमी पुरस्कार दिया जाएगा। महेंद्र मलंगिया ने मैथिली साहित्य में नाटक, कविता और आलोचना के क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य किया है। उनके लेखन में समाज की सच्चाइयों और संस्कृति का गहरा प्रभाव दिखाई देता है। उन्होंने कई नाटक और कविताएँ लिखी हैं, और उनका कार्य साहित्यिक समुदाय में विशेष सम्मान प्राप्त कर चुका है।

अंग्रेजी : डॉ. ईस्टराइन कीरे
नागालैंड की प्रसिद्ध लेखिका डॉ. ईस्टराइन कीरे को अंग्रेजी साहित्य अकादमी पुरस्कार 2024 के लिए चुना गया है। ईस्टराइन कीरे की रचनाएँ उनकी स्वदेशी नागा संस्कृति से प्रेरित हैं और उन्होंने अंग्रेजी में संथाली और नागा साहित्य को अंतरराष्ट्रीय मंच पर प्रस्तुत किया है। उनकी उपन्यास “When the River Sleeps” को 2016 में हिंदू लिट फॉर लाइफ पुरस्कार मिला था। वह बच्चों के लिए भी किताबें लिख चुकी हैं और नॉर्वे में अपनी सांस्कृतिक गतिविधियों के लिए भी प्रसिद्ध हैं।

पुरस्कारों की अनुशंसा और अनुमोदन प्रक्रिया

इन पुरस्कारों की अनुशंसा संबंधित भारतीय भाषाओं की निर्णायक समितियों द्वारा की गई थी। इसके बाद, साहित्य अकादमी के कार्यकारी मंडल की बैठक में इन पुरस्कारों को अनुमोदित किया गया। यह पुरस्कार रचनाकारों को उनके साहित्यिक योगदान के लिए दिया जाता है, जो भारतीय संस्कृति, भाषा और साहित्य को समृद्ध करने में सहायक रहे हैं।

21 भाषाओं के लिए पुरस्कृत होनेवाले रचनाकार

असमी : समीर तांती, बोडो : अरन राजा, अंग्रेजी : डॉ. ईस्टराइन कीरे, गुजराती : दिलीप झावेरी, हिंदी : गगन गिल, कन्नड़ : केवी नारायण, कश्मीरी : सोहन कौल, कोंकणी : मुकेश थली, मैथिली महेंद्र मलिंगिया, मलयालम : के जयकुमार, मणिपुरी : हाओबम सत्यबती देवी, मराठी : सुधीर रसाल, नेपाली : युवा बराल, ओडिया : बैष्णव चरण सामल, पंजीबी : पॉल कौर, राजस्थानी : मुकुट मणिराज, संस्कृत दीपक कुमार शर्मा, संताली : महेश्वर सोरेन, सिंधी : हूंदराज बलवाणी, तमिल : एआर वेंकटचलपति, तेलुगु : पेनुगोंडा लक्ष्मीनारायण।

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