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Jharkhand Elephant Destroyed three Houses : सारंडा के गांवों में हाथी ने मचाई भारी तबाही, तीन घर ध्वस्त, ग्रामीणों में दहशत का माहौल

ग्रामीणों ने वन विभाग पर आरोप लगाते हुए कहा कि हाथियों का आतंक महीनों से जारी है, लेकिन न फेंसिंग हुई है और न ही कोई सुरक्षा चौकी बनाई गई है।

by Rakesh Pandey
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पश्चिम सिंहभूम: झारखंड के सारंडा रिजर्व फॉरेस्ट क्षेत्र में मानव-हाथी संघर्ष की घटनाएं थमने का नाम नहीं ले रही हैं। गुरुवार को किरीबुरु रेंज के नवागांव और भनगांव में एक दतैल हाथी ने तीन ग्रामीणों के घरों को पूरी तरह तहस-नहस कर दिया, जिससे इलाके में भय और असुरक्षा का माहौल बन गया है।

कौन-कौन हुए प्रभावित

हाथी ने नवागांव निवासी रविन्द्र मुंडा और पाण्डू सिद्धू के साथ-साथ भनगांव के सुखराम सुरीन के घर पर हमला किया। हमले के दौरान सुखराम सुरीन की बेटी सोमवारी सुरीन घर के अंदर सो रही थी, जिसे दीवार गिरने से गंभीर चोटें आईं।

ग्रामीणों की मांगें और वन विभाग की निष्क्रियता

ग्रामीणों ने वन विभाग पर उदासीनता का आरोप लगाते हुए कहा कि हाथियों का आतंक महीनों से जारी है, लेकिन न फेंसिंग हुई है और न ही कोई सुरक्षा चौकी बनाई गई है। झारखंड में वन्य जीवों खासकर हाथियों से संबंधित घटनाएं लगातार बढ़ रही हैं।

ग्रामीणों की मुख्य मांगें:

प्रभावित परिवारों को त्वरित मुआवजा
दतैल हाथी को पकड़कर सुरक्षित क्षेत्र में भेजा जाए
गांवों के चारों ओर बिजली चालित फेंसिंग की व्यवस्था हो
स्थायी वन सुरक्षा चौकियां स्थापित की जाएं
हाथी मानव संघर्ष: एक बढ़ती हुई समस्या

सारंडा जैसे घने जंगलों वाले क्षेत्रों में ग्रामीणों की आजीविका पूरी तरह जंगल पर निर्भर है। ऐसे में हाथी के हमले ना केवल जान-माल का नुकसान पहुंचा रहे हैं, बल्कि ग्रामीण अर्थव्यवस्था को भी कमजोर कर रहे हैं।

सरकारी कार्रवाई की आवश्यकता

वर्तमान में स्थिति यह है कि न तो संरचनात्मक उपाय किए गए हैं और न ही आर्थिक मदद मिल रही है। अगर जल्द ही वन विभाग द्वारा कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया, तो मानव-हाथी संघर्ष और भी गंभीर रूप ले सकता है।

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