Chaibasa (Jharkhand) : पश्चिमी सिंहभूम (चाईबासा) के सारंडा जंगल में नक्सलियों द्वारा बिछाए गए बारूदी सुरंग (IED) विस्फोट में घायल हुई एक हथिनी की इलाज के दौरान देर रात मौत हो गई। इस घटना ने न केवल वन्यजीव प्रेमियों को झकझोर दिया है, बल्कि झारखंड वन विभाग की कार्यशैली और जंगल में लगातार गश्त न करने की नीति पर भी गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।
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वन विभाग की टीम के लिए यह खबर किसी सदमे से कम नहीं थी, क्योंकि इलाज के दौरान हथिनी की हालत में कुछ सुधार दिखा था और देर रात फल, सब्जी आदि उसने खाया था। टीम का मानना था कि हथिनी की हालत स्थिर हो रही है। हालांकि, रविवार सुबह जब निगरानी टीम पहुंची, तो पाया कि हथिनी की मौत हो चुकी है।
विलंब से शुरू हुआ इलाज, संक्रमण बना मौत का कारण
स्थानीय सूत्रों और चर्चा के अनुसार, हथिनी के इलाज में काफी देरी हुई। बताया जा रहा है कि जब ग्रामीणों ने घायल हथिनी को सारंडा के जंगल में देखा और वन विभाग को इसकी सूचना दी, तब जाकर विभाग हरकत में आया। इस विलंब का खामियाजा यह हुआ कि आईईडी विस्फोट से घायल पैर में गहरा संक्रमण (इंफेक्शन) फैल गया था, जो अंततः उसकी मौत का मूल कारण बना।
इलाज में देरी का मुख्य कारण वन विभाग द्वारा वन क्षेत्र में नियमित गश्त (पेट्रोलिंग) न करना बताया जा रहा है। यदि विभाग नियमित रूप से गश्त करता, तो हथिनी को समय रहते प्राथमिक उपचार मिल जाता और शायद उसकी जान बचाई जा सकती थी। हथिनी की मौत के बाद स्थानीय लोगों में भी शोक की लहर है और उन्होंने नक्सलियों के इस अमानवीय कृत्य की कड़ी निंदा करते हुए वन्यजीवों की सुरक्षा के लिए ठोस कदम उठाने की मांग की है।
आईईडी ब्लास्ट में अब तक तीन हाथियों की मौत
वन विभाग की टीम रविवार को हथिनी का जंगल में ही पोस्टमार्टम करवा रही है। टीम ने बताया कि पोस्टमार्टम रिपोर्ट आने के बाद ही हथिनी की मौत के कारणों का आधिकारिक रूप से पता चल पाएगा। गौरतलब है कि सारंडा का यह क्षेत्र लंबे समय से नक्सलियों की गतिविधियों का गढ़ रहा है, जहां वे सुरक्षा बलों को निशाना बनाने के लिए आईईडी विस्फोटक बिछाते हैं। दुखद है कि इन विस्फोटकों की चपेट में सुरक्षा बल नहीं, बल्कि निर्दोष वन्यजीव आ रहे हैं। इस हथिनी के अलावा भी कई अन्य वन्यजीव आईईडी विस्फोट में घायल हुए हैं।
वन विभाग ने पुष्टि की है कि सारंडा जंगल में नक्सलियों द्वारा लगाए गए बम की चपेट में आने से अब तक तीन हाथियों की मौत हो चुकी है। यह आंकड़ा स्पष्ट करता है कि सारंडा में जानवर भी अब खतरे में हैं और उनके जीवन की सुरक्षा के लिए व्यापक कार्ययोजना की सख्त जरूरत है। वन विभाग की टीम आगे की कार्रवाई और मामले की गहन जांच में जुटी हुई है।