Chaibasa (Jharkhand) : झारखंड के आदिवासी-मूलवासी समुदाय में सारंडा वन क्षेत्र को वाइल्ड लाइफ सेंचुरी (वन्यजीव अभ्यारण्य) घोषित करने के राज्य सरकार के निर्णय के खिलाफ जबरदस्त उबाल है। इसी के विरोध में मंगलवार को हजारों की संख्या में महिला-पुरुषों ने चाईबासा में एक विशाल जन आक्रोश रैली निकाली।

पारंपरिक वेशभूषा और हथियारों से लैस प्रदर्शनकारियों ने “जय झारखंड… जय झारखंड, केंद्र सरकार होश में आओ,” और “सारंडा को सेंचुरी घोषित करना बंद करो” जैसे नारे लगाए। आदिवासी मुंडा समाज विकास समिति के केंद्रीय अध्यक्ष बुधराम लागुरी ने स्पष्ट चेतावनी देते हुए कहा है कि अगर सुप्रीम कोर्ट इस निर्णय पर पुनर्विचार नहीं करती है, तो 25 अक्टूबर 2025 को कोल्हान सारंडा में पूर्णरूप से आर्थिक नाकेबंदी (Economic Blockade) की जाएगी।

गांधी मैदान से उपायुक्त कार्यालय तक रैली
यह विशाल रैली चाईबासा के गांधी मैदान से शुरू हुई और उपायुक्त कार्यालय तक पहुंची। रैली में कोल्हान रक्षा संघ, आदिवासी मुंडा समाज विकास समिति समेत दर्जनों सामाजिक संगठनों के सदस्य पारंपरिक वेशभूषा और पारंपरिक हथियारों के साथ शामिल हुए। उपायुक्त कार्यालय पहुंचने के बाद संगठन प्रतिनिधियों ने राज्यपाल, झारखंड के नाम एक ज्ञापन सौंपा। बाद में, रैली में शामिल लोगों ने गीतिलिपी स्थित टाटा कॉलेज मोड़ पर सड़क जाम कर विरोध प्रदर्शन किया। मौके पर मौजूद पुलिस प्रशासन के अधिकारियों ने प्रदर्शनकारियों को समझाने की कोशिश की।
सारंडा से हमारा अटूट सामाजिक, आर्थिक संबंध
ज्ञापन के माध्यम से आदिवासियों ने राज्यपाल का ध्यान आकृष्ट कराते हुए कहा कि सारंडा वन क्षेत्र सिर्फ वन्यजीवों का आश्रयस्थल नहीं, बल्कि आदिकाल से ही यहां बसे आदिम जनजाति समूह और आदिवासी मूलवासियों का घर है।
प्रदर्शनकारियों की चिंता
जनसंख्या और घर: सारंडा वन क्षेत्र में कुल 50 राजस्व ग्राम और 10 वन ग्राम अवस्थित हैं, जिनमें 75 हजार से अधिक लोग निवास करते हैं।
धार्मिक और सांस्कृतिक पहचान: जंगल से उनका अटूट सामाजिक, आर्थिक, सांस्कृतिक और धार्मिक संबंध है। इसी जंगल में उनके तमाम देवस्थल, सरना, देशाउली, ससनदिरी, मसना आदि अवस्थित हैं, जो उनकी विशिष्ट सामाजिक पहचान और अस्तित्व सुनिश्चित करते हैं।
आजीविका का खतरा : जंगल से प्राप्त होने वाले लघु वनोपज एवं जड़ी बूटी ही उनकी आजीविका का मुख्य आधार है। साथ ही, सारंडा में मौजूद लौह अयस्क खदानों से भी उन्हें रोजगार मिलता है।
अस्तित्व का संकट : प्रदर्शनकारियों ने चेतावनी दी कि सेंचुरी घोषित होने से उनके गांव, सामाजिक-धार्मिक पहचान, अस्तित्व के साथ-साथ आजीविका और रोजगार भी छिन जाएगा। बुधराम लागुरी ने राज्यपाल से संविधान की पांचवी अनुसूची के तहत आदिवासियों के हितों की रक्षा करने और सारंडा को वाइल्ड लाइफ सेंचुरी घोषित करने के निर्णय पर तत्काल रोक लगाने की अपील की है। उन्होंने कहा कि आदिवासी मौन रहकर अपने अस्तित्व को मिटते हुए नहीं देख सकते।