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SC ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के जज के विवादित बयान पर लिया संज्ञान, कहा- न्यायपालिका को शर्मसार और बदनाम किया

इस दक्षिणपंथी कार्यक्रम में उनकी भागीदारी और बयान दोनों ही हमारे संविधान की प्रस्तावना के साथ पढ़े जाने वाले अनुच्छेद 14, 21, 25 और 26 का उल्लंघन है।

by Reeta Rai Sagar
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दिल्लीः सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद के जस्टिस शेखर कुमार यादव के विवादित भाषण के संबंध में संज्ञान लिया है और हाई कोर्ट से विवरण मांगा गया है। कैंपेन फॉर ज्यूडिशियल अकाउंटैबिलिटी एंड रिफॉर्म्स (सीजेएआर) ने चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया संजीव खन्ना को पत्र लिखकर विश्व हिंदू परिषद (विहिप) के एक कार्यक्रम में शेखर कुमार द्वारा की गई विवादास्पद टिप्पणियों के लिए उनके खिलाफ आंतरिक जांच की मांग की है।

कानून शासन को कमजोर करने के लिए नहींः सुप्रीम कोर्ट

सीजेएआर ने कहा कि न्यायमूर्ति यादव ने मुस्लिम समुदाय के खिलाफ अक्षम्य और अविवेकपूर्ण अपशब्दों का इस्तेमाल किया। उनके बयान ने इलाहाबाद हाई कोर्ट के न्यायाधीश का उच्च पद और न्यायपालिका को शर्मसार और बदनाम किया है। इसके अलावा शीर्ष अदालत ने कहा कि कानून के शासन को कमजोर करने के अलावा, उसे बनाए रखने के लिए है।

धार्मिक भावनाओं को किया आहत

बयान में कहा गया है कि इस दक्षिणपंथी कार्यक्रम में उनकी भागीदारी और बयान दोनों ही हमारे संविधान की प्रस्तावना के साथ पढ़े जाने वाले अनुच्छेद 14, 21, 25 और 26 का उल्लंघन है। यह हमारे संविधान में निहित धर्मनिरपेक्षता और कानून के समक्ष समानता के बुनियादी सिद्धांतों का उल्लंघन करते हैं। सीजेएआर ने कहा कि विहिप के कार्यक्रम में जस्टिस शेखर यादव के सांप्रदायिक रूप से आरोपित बयानों ने न केवल धार्मिक भावनाओं को आहत किया, बल्कि न्यायिक संस्था की अखंडता और निष्पक्षता में आम जनता के विश्वास को पूरी तरह से खत्म कर दिया।

AIMIM प्रमुख और लोकसभा सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने एक्स पर पोस्ट किया कि उन्होंने जस्टिस यादव को हटाने की कार्यवाही की मांग करने वाले नोटिस पर हस्ताक्षर किए हैं। गौरतलब है कि किसी भी नोटिस पर लोकसभा द्वारा विचार करने के लिए 100 लोकसभा सदस्यों के हस्ताक्षर की आवश्यकता होती है।

क्या कहा था जस्टिस शेखर कुमार यादव
इस कार्यक्रम में पहुंचे जस्टिस शेखर ने कहा कि हिंदू, मुसलमानों से ये उम्मीद नहीं करते कि वो उनकी संस्कृति का पालन करें, बल्कि वो सिर्फ़ इतना चाहते हैं उसका अनादर ना करें। उन्होंने यूनिफॉर्म सिविल कोड पर बात करते हुए कहा कि ये भारत है और ये अपने बहुमत की इच्छा के अनुसार चलेगा। विश्व हिंदू परिषद् के इस कार्यक्रम में कई वकील और परिषद् के कार्यकर्ता भी शामिल हुए।

कांर्यक्रम को संबोधित करते हुए जस्टिस शेखर ने कहा कि हम अपने बच्चों को जन्म से ही सहनशीलता और दया सिखाते हैं। हम उन्हें जानवरों और प्रकृति से प्यार करना सिखाते हैं। दूसरों के दर्द से हमें दुख होता है। लेकिन आप ऐसा महसूस नहीं करते, क्यों… जब आप उनके सामने जानवरों को मारेंगे, तो आपका बच्चा सहनशीलता और दया कैसे सीखेगा?

इस दौरान उन्होंने मेजोरिटी पर भी बात की और कहा कि मुझे ये कहते हुए बिल्कुल भी हिचकिचाहट नहीं है कि यह देश बहुमत के हिसाब से चलेगी।

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