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न्यायाधीशों के फोन टैपिंग मामले में सीलबंद साक्ष्य तेलंगाना उच्च न्यायालय में पेश, आरोपियों को मिली जमानत

जमानत के दौरान कोर्ट में कहा गया कि जांच में अधिक समय लगेगा और मुकदमे में देरी होगी। सुप्रीम कोर्ट के उस आदेश का भी संदर्भ दिया जिसे आरोपियों के वकील ने कोर्ट के समक्ष रखा था, जिसमें इस मामले में मुख्य आरोपी को जमानत दी जा चुकी है।

by Reeta Rai Sagar
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हैदराबाद: तेलंगाना हाई कोर्ट ने गुरुवार को एक सील बंद साक्ष्य का निरीक्षण किया, जिसे राज्य सरकार ने पुलिस अधिकारियों के खिलाफ फोन टैपिंग मामले में पेश किया था। इसमें आरोप था कि पुलिस अधिकारियों ने कई हाई कोर्ट के जजों के फोन टैप किए और उनके प्रोफाइल बनाए।

इसके साथ ही, न्यायमूर्ति के सुजना ने निलंबित एसीपी एन भुजंग राव और सेवानिवृत्त डीसीपी पी राधाकृष्ण राव को जमानत दी। जमानत के दौरान कोर्ट में कहा गया कि जांच में अधिक समय लगेगा और मुकदमे में देरी होगी। न्यायमूर्ति ने सुप्रीम कोर्ट के उस आदेश का भी संदर्भ दिया, जिसे आरोपियों के वकील ने कोर्ट के समक्ष रखा था, जिसमें निलंबित अतिरिक्त एसपी मेकला थिरुपतन्ना को जमानत दी गई थी, जो इस मामले में मुख्य आरोपी हैं।

कोर्ट ने कहा- एक, दो नहीं बल्कि कई जजों की तैयार की गई थी प्रोफाइल

न्यायमूर्ति सुजना ने सील कवर में दी गई जानकारी का जिक्र करते हुए कहा कि सभी आरोपियों के बीच एक आपराधिक साजिश के तहत सिर्फ एक या दो नहीं, बल्कि कई हाईकोर्ट जजों के प्रोफाइल तैयार किए गए थे। न्यायमूर्ति सुजना ने कहा, “वास्तव में, यह जानकारी उस आरोपी के कंप्यूटर से प्राप्त की गई थी, जिसे पुलिस और एफएसएल विशेषज्ञों ने जजों से संबंधित जानकारी निकाली थी।”

कोर्ट ने आरोपियों पर कई शर्तें भी की लागू

आगे जस्टिस सुजना ने कहा कि “इस कोर्ट के सामने पेश हुए दोनों आरोपियों को मार्च 2024 में गिरफ्तार किया गया था और इन दोनों आरोपियों की लंबी हिरासत के बावजूद, निकट भविष्य में मुकदमे की संभावना नहीं दिखती। उन्होंने कहा कि जब मुख्य आरोपी, जिसके व्यक्तिगत कंप्यूटर से जजों के बारे में जानकारी प्राप्त की गई थी, को सुप्रीम कोर्ट ने जमानत दी थी, तो हाई कोर्ट ने भी कुछ शर्तों के साथ इन दोनों को जमानत देने का निर्णय लिया है। न्यायमूर्ति सुजना ने आरोपियों पर कई शर्तें भी लागू कीं।

आरोपियों से 1 लाख रुपये के व्यक्तिगत बांड की मांग

कोर्ट ने आरोपियों को 1 लाख रुपये का व्यक्तिगत बांड और दो जमानतदार पेश करने का निर्देश दिया गया। इसके साथ ही उन्हें आठ हफ्तों तक हर सोमवार को SHO के सामने पेश होने और trial कोर्ट में अपने पासपोर्ट जमा करने का आदेश दिया गया। आरोपियों को गवाहों को प्रभावित करने की कोशिश न करने की चेतावनी दी गई और यदि शर्तों का उल्लंघन किया गया, तो पुलिस को जमानत रद्द करने का आवेदन दाखिल करने के लिए कहा गया।

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