चेन्नई : तमिलनाडु में भारतीय जनता पार्टी (BJP) की कमान एक अनुभवी नेता के हाथों में सौंपी जा रही है। पार्टी के वरिष्ठ नेता और विधायक नैनार नागेन्द्रन ने शुक्रवार, 11 अप्रैल को भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष पद के लिए नामांकन दाखिल किया। इस दौरान उनके साथ भाजपा के मौजूदा राज्य अध्यक्ष के. अन्नामलाई समेत कई प्रमुख नेता मौजूद रहे।
भाजपा सूत्रों के अनुसार, नैनार नागेन्द्रन ही अब तक इस पद के लिए एकमात्र उम्मीदवार हैं। पार्टी द्वारा उनका औपचारिक एलान शनिवार को दिल्ली स्थित मुख्यालय से किया जाएगा।
नैनार नागेन्द्रन कौन हैं
• नैनार नागेन्द्रन वर्तमान में भाजपा के तमिलनाडु प्रदेश उपाध्यक्ष हैं।
• वे पहले AIADMK के नेता रह चुके हैं और 2017 में भाजपा में शामिल हुए थे।
• उन्होंने 2001 से 2006 तक तमिलनाडु के परिवहन मंत्री के रूप में कार्य किया।
• 2006 और 2011 में AIADMK प्रत्याशी के रूप में तिरुनेलवेली से विधायक चुने गए।
• 2021 विधानसभा चुनाव में भाजपा प्रत्याशी के रूप में तिरुनेलवेली से जीत दर्ज की, जिसमें उन्होंने 23,107 वोटों से DMK उम्मीदवार को हराया।
भाजपा के शीर्ष नेतृत्व की पसंद हैं नागेन्द्रन
नागेन्द्रन को भाजपा के दिल्ली स्थित शीर्ष नेतृत्व का पूरा समर्थन प्राप्त है। 2021 के चुनाव प्रचार में केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने स्वयं उनके लिए प्रचार किया था। उन्हें भाजपा विधायक दल का नेता भी नियुक्त किया गया है।
तमिलनाडु विधानसभा में भाजपा के कुल चार विधायक हैं, जिनमें नागेन्द्रन सबसे वरिष्ठ और अनुभवी हैं। वे थावर समुदाय से आते हैं, जो दक्षिण तमिलनाडु में प्रभावशाली माने जाते हैं।
भाजपा-AIADMK गठबंधन को मजबूती देने की रणनीति
नागेन्द्रन की नियुक्ति ऐसे समय हो रही है जब भाजपा और AIADMK के बीच आगामी विधानसभा चुनावों के लिए गठबंधन को अंतिम रूप देने की तैयारी चल रही है। शुक्रवार को ही AIADMK के नेताओं की एक टीम अमित शाह से मुलाकात करने पहुंची।
पूर्व प्रदेश अध्यक्ष के. अन्नामलाई ने पहले ही स्पष्ट कर दिया था कि वे इस पद की दौड़ में नहीं हैं और अब वे ‘एक सामान्य कार्यकर्ता’ की तरह पार्टी में काम करते रहेंगे।
तमिलनाडु में भाजपा के विस्तार की नई रणनीति
राजनीतिक विश्लेषकों के अनुसार, भाजपा तमिलनाडु में सिर्फ पश्चिमी जिलों तक सीमित न रहकर अब दक्षिणी जिलों में भी अपनी पकड़ मजबूत करना चाहती है। नैनार नागेन्द्रन जैसे थावर समुदाय के नेता को प्रदेश अध्यक्ष बनाना इसी रणनीति का हिस्सा है, ताकि DMK के गढ़ में प्रभावी चुनौती दी जा सके।