जमशेदपुर : लोयोला स्कूल, जमशेदपुर में सोमवार को विशेष समारोह का आयोजन किया गया। इसमें स्कूल की ओर से अपनी होनहार छात्रा शांभवी जायसवाल को सम्मानित किया गया। उल्लेखनीय है कि शांभवी ने इस वर्ष ICSE 2024-25 परीक्षा में 100 प्रतिशत अंक प्राप्त कर पूरे देश में टॉप किया है। यह एक असाधारण और प्रेरणादायक उपलब्धि है, जिसने पूरे शहर को गौरवान्वित किया है।
गर्वित माता-पिता के साथ मंच पर पहुंचीं शांभवी
शांभवी जायसवाल और उनके माता-पिता का गर्मजोशी से स्वागत के साथ समारोह की शुरुआत हुई। शांभवी के पिता, डॉ. अभिषेक जायसवाल मेहरबाई टाटा मेमोरियल अस्पताल में रेडियोलॉजिस्ट हैं। जबकि मां डॉ. ओजस्वी शंकर टाटा मणिपाल अस्पताल में गायनेकोलॉजिस्ट हैं। वर्तमान में शांभवी DAV पब्लिक स्कूल में 12वी विज्ञान की छात्रा हैं। वह कंप्यूटर साइंस में बीटेक कर राष्ट्र की सेवा करना चाहती हैं।

शांभवी ने माता, शिक्षकों और आत्मविश्वास को दिया अपनी सफलता का श्रेय
अपने संक्षिप्त, लेकिन भावुक विचार प्रस्तुत करते हुए शांभवी ने इस ऐतिहासिक सफलता का श्रेय अपने माता-पिता, समर्पित शिक्षकों और अपने दृढ़ आत्मविश्वास को दिया। उन्होंने कहा कि आत्मविश्वास और अनुशासन ही मेरी सबसे बड़ी पूंजी है।
फादर रेक्टर और प्रिंसिपल ने किया सम्मानित
इस अवसर पर फादर रेक्टर ने शांभवी को प्रशंसा पत्र और प्रतीक चिह्न भेंट कर सम्मानित किया। प्रिंसिपल ने भी स्मृति चिन्ह भेंट कर उन्हें बधाई देते हुए उनके उज्जवल भविष्य की कामना की। शांभवी के माता-पिता को भी मंच पर आमंत्रित कर स्मृति स्वरूप पौधे भेंट किए गए।


शिक्षा में विनम्रता और उत्कृष्टता का आदर्श : प्रिंसिपल
स्कूल के प्रिंसिपल ने कहा, “शांभवी ने केवल शैक्षणिक उत्कृष्टता का ही प्रदर्शन नहीं किया, बल्कि विनम्रता का भी उदाहरण प्रस्तुत किया है। वह हर लोयोलीयन के लिए आदर्श हैं।”
अन्य मेधावी छात्रों को भी किया गया सम्मानित
समारोह में स्कूल के अन्य मेधावी छात्र-छात्राओं को भी सम्मानित किया गया। मैथ्स और साइंस ओलंपियाड, कक्षा 9वीं और 10वीं की अंतर विद्यालय वाद-विवाद प्रतियोगिताएं और अन्य सह-पाठ्यक्रम गतिविधियों में उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाले छात्र-छात्राओं को पदक और प्रमाण पत्र भेंट कर सम्मानित किया गया।
प्रिंसिपल का प्रेरणादायक संदेश
समारोह का समापन स्कूल के प्रिंसिपल के प्रेरणादायक संदेश के साथ हुआ। इसमें उन्होंने छात्र-छात्राओं को निष्ठा और समर्पण के साथ उत्कृष्टता की दिशा में आगे बढ़ने की सीख दी। उन्होंने कहा, “सफलता कोई मंजिल नहीं, बल्कि उद्देश्य और परिश्रम से बना एक सफर है।”
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