रांची: आजसू पार्टी के सुप्रीमो सुदेश महतो ने रविवार को पार्टी प्रत्याशियों के साथ समीक्षा बैठक आयोजित की। झारखंड विधानसभा चुनाव में पार्टी के प्रदर्शन और हार के कारणों पर विस्तृत चर्चा के दौरान कई महत्वपूर्ण और चौंकाने वाले खुलासे सामने आए।
आजसू एनडीए गठबंधन का एक प्रमुख घटक दल है, झारखंड विधानसभा चुनावों में अपना प्रभावी प्रदर्शन दर्ज कराने में असफल रही। इस चुनाव में पार्टी केवल एक सीट पर जीत दर्ज कर पाई, जहां मांडू से निर्मल महतो उर्फ तिवारी महतो ने 231 वोटों के मामूली अंतर से जीत हासिल की।
यह पहली बार है जब झारखंड विधानसभा में आजसू पार्टी के केवल एक विधायक होंगे। खुद सुदेश महतो भी सिल्ली सीट से अपनी जीत सुनिश्चित नहीं कर पाए। इस सीट पर झामुमो के उम्मीदवार अमित कुमार विजेता रहे, जबकि सुदेश को 23,879 वोटों से हार का सामना करना पड़ा।
जयराम महतो की भूमिका और कुर्मी वोट बैंक का प्रभाव
आजसू पार्टी की हार का सबसे बड़ा कारण कुर्मी नेता जयराम महतो और उनकी पार्टी झारखंड लोकतांत्रिक क्रांतिकारी मोर्चा (जेएलकेएम) मानी जा रही है। कुर्मी बहुल क्षेत्रों में आजसू पार्टी की हार का मुख्य कारण जयराम की पार्टी द्वारा हासिल किए गए वोट माने जा रहे हैं।
उदाहरण के तौर पर, सिल्ली सीट पर जयराम की पार्टी के उम्मीदवार देवेंद्र नाथ महतो ने तीसरे स्थान पर रहते हुए 41,129 वोट हासिल किए। यह वोट विभाजन आजसू प्रत्याशियों के लिए निर्णायक हार का कारण बना।
एनडीए गठबंधन में आजसू पार्टी का प्रदर्शन
एनडीए गठबंधन के तहत आजसू पार्टी ने 10 सीटों पर चुनाव लड़ा था। हालांकि, पार्टी अध्यक्ष सहित सभी प्रमुख नेताओं को हार का सामना करना पड़ा। यह परिणाम न केवल गठबंधन के लिए बल्कि पार्टी के लिए भी चिंताजनक साबित हुआ है।
चुनावी रणनीति और संगठनात्मक खामियां
बैठक के दौरान यह सामने आया कि पार्टी की रणनीतिक विफलताओं और संगठनात्मक कमजोरी ने भी हार में भूमिका निभाई। पार्टी अपने पारंपरिक वोट बैंक को बनाए रखने में असमर्थ रही, साथ ही गठबंधन में तालमेल की कमी ने नुकसान पहुंचाया।समीक्षा बैठक में यह भी चर्चा हुई कि पार्टी को भविष्य में किस प्रकार से अपनी रणनीति को मजबूत करना चाहिए और कुर्मी वोट बैंक को वापस पाने के लिए क्या कदम उठाने होंगे।
चुनौतीपूर्ण भविष्य की तैयारी
इस हार ने आजसू पार्टी के सामने कई चुनौतियां खड़ी कर दी हैं। समीक्षा बैठक में यह तय किया गया कि पार्टी को संगठनात्मक स्तर पर सुधार के साथ-साथ क्षेत्रीय स्तर पर मजबूत पकड़ बनानी होगी।
झारखंड की राजनीति में आजसू पार्टी का भविष्य इस बात पर निर्भर करेगा कि वह इन चुनौतियों से कैसे निपटती है और अपने आधार वोट बैंक को कैसे पुनर्जीवित करती है।
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