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सुप्रीम कोर्ट ने मदरसा मामले में दी राहत, लेकिन डिग्री देने का अधिकार नहीं

5 नवंबर को सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया कि फाजिल और कामिल के तहत डिग्री देने का अधिकार राज्य के दायरे में नहीं है। इससे यूजीसी के प्रावधानों का उल्लंघन होगा। बेंच ने अपने फैसले में कहा कि हाईकोर्ट का फैसला सही नहीं था और बेंच ने मदरसा एक्ट को सही बताया।

by Reeta Rai Sagar
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सेंट्रल डेस्क। उत्तर प्रदेश के मदरसों में पढ़ने वाले लाखों बच्चों को राहत मिली है। सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के उस फैसले को रद्द कर दिया है, जिसमें मदरसा एक्ट को संविधान के विरूद्ध बताया गया था। मदरसा एक्ट पर शीर्ष न्यायालय में यह फैसला जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़, जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की बेंच ने सुनाया।

560 मदरसों की फंडिंग करती है सरकार

बेंच ने अपने फैसले में कहा कि हाईकोर्ट का फैसला सही नहीं था और बेंच ने मदरसा एक्ट को सही बताया। सर्वोच्च न्यायालय द्वारा लिए गए इस फैसले से 16 हजार मदरसों को राहत की खबर मिली है। इस फैसले के बाद उत्तर प्रदेश में मदरसे सुचारू रूप से चल सकेंगे। यूपी में कुल 23,500 मदरसे है, जिसमें से 16,513 मदरसे रजिस्टर्ड है। इसके अलावा करीबन 8000 मदरसे बिना किसी मान्यता (नॉन रजिस्टर्ड) के संचालित किए जा रहे है। साथ ही 560 मदरसे ऐसे है, जो सरकारी मदद यानि सरकार द्वारा दिए गए फंड से चलते है।

गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा 22 सितंबर को सुनवाई हुई थी, जिसके बाद फैसले को सुरक्षित रख लिया गया था। 5 नवंबर को सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया कि फाजिल और कामिल के तहत डिग्री देने का अधिकार राज्यके दायरे में नहीं है। इससे यूजीसी के प्रावधानों का उल्लंघन होगा।

क्या कहा था इलाहाबाद हाई कोर्ट ने

अंशुमान सिंह राठौड़ ने मदरसा बोर्ड कानून के खिलाफ हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी। राठौड़ ने इस कानून की संवैधानिक वैधता को चुनौती दी थी, जिस पर 22 मार्च को फैसला सुनाया गया था। हाई कोर्ट द्वारा कहा गया था कि यूपी बोर्ड ऑफ मदरसा एजुकेशन एक्ट 2004 असंवैधानिक है, इससे धर्मनिरपेक्षता के सिद्धांत का उल्लंघन होता है। साथ ही कोर्ट ने राज्य सरकार को सामान्य स्कूलिंग सिस्टम में शामिल करने का आदेश दिया है।

मदरसा बोर्ड क्या है

हाई कोर्ट द्वारा इस बात पर भी जोर दिया गया था कि सरकार के पास धार्मिक शिक्षा बोर्ड बनाने या किसी विशेष धर्म के लिए स्कूली शिक्षा बोर्ड बनाने का अधिकार नहीं है। बता दें कि उत्तर प्रदेश में 2004 में मदरसा बोर्ड का गठन किया गया था, जिसका मकसद मदरसा शिक्षा को व्यवस्थित करना था।

इस के तहत अरबी, उर्दू, फारसी, इस्लामिक स्टडीज, तिब्ब, फिलोसॉफी जैसी शिक्षा को परिभाषित किया गया था। मदरसा बोर्ड कामिल और फाजिल नाम से ग्रेजुएशन की डिग्री भी देता है। इसके तहत डिप्लोमा का भी प्रावधान है, जिसे कारी कहा जाता है। बोर्ड द्वारा प्रत्येक वर्ष मौलवी (10 क्लास) औऱ आलिम (12 क्लास) की परीक्षा भी करवाता है।

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