सेंट्रल डेस्क: Supreme Court on Muslim Women : हाल में ही सुप्रीम कोर्ट ने तलाकशुदा मुस्लिम महिलाओं को भी गुजारा भत्ता देने का निर्देश दिया था। सामान्य तौर पर इस फैसले की खूब तारीफ हो रही थी। मुस्लिम महिलाएं सुप्रीम कोर्ट को उनके इतिहासिक फैसले की धन्यवाद दे रही थी लेकिन अब इस फैसले में नया मोड़ आ गया है। ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड सुप्रीम कोर्ट के फैसले को गलत बताया है। ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के सदस्यों ने सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले को लेकर बैठक की।
Supreme Court on Muslim Women : कोर्ट का फैसला इस्लामी कानून के खिलाफ
ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की बैठक में कहा गया कि यह फैसला इस्लामी कानून शरिया के खिलाफ है। ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के सदस्यों ने कहा इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट कैसे पलटने को कह सकते हैं, इस विचार किया जा रहा है। 10 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि सीआरपीसी की धारा 125 के तहत मुस्लिम महिलाएं भी पति से भरण पोषण की हकदार है।
Supreme Court on Muslim Women :खंडपीठ ने कहा-मुस्लिम महिलाएं भी अन्य महिलाओं के बराबर
जस्टिस बीवी नागरत्ना और जस्टिस ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की खंड पीठ ने यह फैसला सुनाया। खंड पीठ ने मुस्लिम युवक मोहम्मद अब्दुल समद की याचिका को खारिज करते हुए यह आदेश दिया था। सुप्रीम कोर्ट ने यह फैसला हर धर्म की महिलाओं पर लागू होगा। मुस्लिम महिलाएं भी गुजारा भत्ता पानी की उतनी ही हकदार हैं जितनी की अन्य धर्म की महिलाएं हैं।
Supreme Court on Muslim Women :हाई कोर्ट ने भी अब्दुल के खिलाफ सुनाया था फैसला
तेलंगाना के एक युवक अब्दुल के खिलाफ तेलंगाना की निचली अदालत ने यह फैसला सुनाया था। निचली अदालत ने हर माह 20 हजार गुजारा भत्ता देने का आदेश दिया। फिर इस आदेश को तेलंगाना हाई कोर्ट में चुनौती दी गयी जहां गुजारा भत्ता 10 हजार कर दिया गया है। इसके बाद अब्दुल ने इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी। सुप्रीम कोर्ट ने भी अब्दुल के खिलाफ फैसला सुनाया। अब्दुल ने कहा उसने लड़की को मुस्लिम कानून के तहत तलाक दिया। मुस्लिम कानून में गुजारा भत्ता लागू नहीं होता है।