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आंध्र प्रदेश सरकार ने वक्फ बोर्ड द्वारा 30,000 एकड़ वक्फ भूमि को पट्टे पर देने की अधिसूचना कर दी रद्द

बोर्ड का उद्देश्य शेष 33,000 एकड़ भूमि की रक्षा करना और उनसे वैध रूप से आय सृजन करना है।

by Reeta Rai Sagar
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हैदराबाद : आंध्र प्रदेश सरकार ने राज्य वक्फ बोर्ड द्वारा वाणिज्यिक उपयोग के लिए लगभग 30,000 एकड़ वक्फ भूमि को पट्टे पर देने के उद्देश्य से जारी अधिसूचना को रद्द कर दिया है। इस निर्णय की जानकारी गुरुवार को राज्य के अल्पसंख्यक कल्याण विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने दी।

अधिकारी के अनुसार, मुख्यमंत्री एन. चंद्रबाबू नायडू के निर्देश पर बुधवार को अल्पसंख्यक कल्याण विभाग ने आदेश जारी कर वक्फ बोर्ड की 3 अप्रैल को जारी अधिसूचना को निरस्त कर दिया। यह अधिसूचना राज्यभर में फैली 1 एकड़ से 200 एकड़ तक की वक्फ भूमि के वाणिज्यिक विकास के लिए निजी व्यक्तियों और संगठनों से रुचि की अभिव्यक्ति (EOI) आमंत्रित करने के लिए जारी की गई थी। प्रस्ताव प्रस्तुत करने की अंतिम तिथि 8 मई निर्धारित की गई थी।

वक्फ बोर्ड ने दी सफाई : बिक्री नहीं, सिर्फ रुचि आमंत्रण

वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष शेख अब्दुल अज़ीज़ ने स्पष्ट किया कि अधिसूचना का उद्देश्य वक्फ भूमि की बिक्री या पट्टा देना नहीं, बल्कि केवल विकास के लिए रुचि रखने वाले निजी पक्षों से प्रस्ताव प्राप्त करना था। उन्होंने कहा, ‘बोर्ड की आय बढ़ाने के लिए यह एक विकल्प था, ताकि मुस्लिम समुदाय के कल्याण के लिए छात्रवृत्तियां और वित्तीय सहायता प्रदान की जा सके’।

मुस्लिम समुदाय में विरोध, पूर्व विधायक ने जताई आपत्ति

स्थानीय मीडिया में इस अधिसूचना की खबर आने के बाद मुस्लिम समुदाय में तीव्र विरोध शुरू हो गया। पूर्व विधायक और प्रमुख मुस्लिम नेता शेख मस्तान वली (गुंटूर) ने कहा, ‘वक्फ बोर्ड को वक्फ संपत्तियों का व्यावसायिक दोहन करने का कोई अधिकार नहीं है। यह वक्फ संपत्तियों की योजनाबद्ध शोषण की शुरुआत है, जिसकी मुस्लिम संगठनों ने वक्फ संशोधन विधेयक के बाद से आशंका जताई थी’।
वली ने यह भी कहा कि वक्फ संपत्तियों की बिक्री या विकास संबंधी कोई भी निर्णय राज्य कैबिनेट की मंजूरी और वक्फ बोर्ड की पुष्टि के बिना नहीं लिया जा सकता।

मुख्यमंत्री का हस्तक्षेप और अधिसूचना को रद्द करना

मुख्यमंत्री नायडू ने जैसे ही मामला संज्ञान में लिया, उन्होंने बुधवार शाम अल्पसंख्यक कल्याण विभाग की आपात बैठक बुलाई और पूरी जानकारी ली। अधिकारियों ने बताया कि अधिसूचना राज्य सरकार को सूचित किए बिना ही जारी कर दी गई थी। इसके बाद मुख्यमंत्री ने तत्काल अधिसूचना को रद्द करने का आदेश दिया और वक्फ संपत्तियों की रक्षा के लिए कड़े कदम उठाने को कहा।

एक अधिकारी ने बताया, ‘मुख्यमंत्री ने स्पष्ट किया कि वक्फ भूमि का उपयोग केवल मुस्लिम अल्पसंख्यक समुदाय के विकास और कल्याण के लिए ही होना चाहिए’।

69,000 एकड़ में से 36,000 एकड़ पर अतिक्रमण, बोर्ड की राजस्व बढ़ाने की योजना

अब्दुल अज़ीज़ ने कहा कि राज्य वक्फ बोर्ड के अधीन कुल 69,000 एकड़ भूमि में से 36,000 एकड़ भूमि पर वर्षों से अतिक्रमण है। वर्तमान बोर्ड का उद्देश्य शेष 33,000 एकड़ भूमि की रक्षा करना और उनसे वैध रूप से आय सृजन करना है। उन्होंने कहा, बोर्ड को वेतन, रखरखाव और अन्य खर्चों के लिए भी पर्याप्त आय नहीं हो रही है, इसलिए यह पहल की गई थी।

राज्य सरकार द्वारा वक्फ बोर्ड की अधिसूचना रद्द करने का फैसला मुस्लिम समुदाय की चिंताओं और वक्फ संपत्तियों के संरक्षण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है। यह निर्णय सुनिश्चित करता है कि वक्फ भूमि का उपयोग केवल समुदाय के कल्याण के लिए ही हो और कोई भी व्यवसायिक या निजीकरण प्रयास राज्य सरकार की अनुमति और पारदर्शिता के बिना आगे न बढ़े।

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