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वाराणसी में बनेगा देश का पहला हिंदी साहित्य म्यूजियम, साहित्यकारों की विरासत को मिलेगा नया जीवन

इस साहित्य म्यूजियम के लिए सरकार से स्वीकृति पहले ही मिल चुकी है और इसके डिजाइन को भी मंजूरी दी जा चुकी है।

by Anurag Ranjan
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वाराणसी: धर्म, संस्कृति और आध्यात्मिक महत्व के साथ-साथ वाराणसी अब साहित्यिक धरोहर के लिहाज से भी एक नई पहचान बनाने जा रहा है। यहां पहली बार हिंदी साहित्य से जुड़े दस्तावेजों, किताबों, तस्वीरों और दुर्लभ पांडुलिपियों को संरक्षित करने के लिए हिंदी साहित्य म्यूजियम का निर्माण किया जाएगा। इस म्यूजियम का निर्माण उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा मंजूरी मिलने के बाद अब जल्द ही शुरू होने वाला है।

31 करोड़ रुपये से बनेगा साहित्य म्यूजियम

यह हिंदी संग्रहालय वाराणसी के पुलिस लाइन स्थित हिंदी भाषा कार्यालय के पास बनाया जाएगा, जिसकी कुल लागत 31 करोड़ रुपये होगी। हिंदी साहित्य के क्षेत्र में यह एक ऐतिहासिक कदम माना जा रहा है, क्योंकि यह देश का पहला म्यूजियम होगा जो हिंदी भाषा और साहित्य को समर्पित होगा। राज्य हिंदी संस्थान की निदेशक चंदन ने बताया कि इस म्यूजियम में हिंदी के प्रमुख साहित्यकारों की पुस्तकों, उनकी तस्वीरों और दुर्लभ पांडुलिपियों को संजोकर रखा जाएगा, ताकि आने वाली पीढ़ी इनका महत्व समझ सके और इनसे प्रेरणा ले सके।

म्यूजियम में होंगी ये सुविधाएं

इस म्यूजियम में हिंदी साहित्य से जुड़े दिग्गजों की जीवित और अप्रकाशित कृतियों को संजोने के साथ-साथ उनके जीवन पर आधारित गैलरी भी होगी। यहां पर साहित्यकारों की प्रतिमाएं और पेंटिंग्स के साथ उनकी महत्वपूर्ण किताबें भी प्रदर्शित की जाएंगी। इसके अलावा म्यूजियम में एक एमपी थियेटर और ऑडिटोरियम का भी निर्माण किया जाएगा, जहां साहित्य से जुड़ी रचनाओं पर चर्चा होगी और विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन होगा। यह म्यूजियम हिंदी साहित्य प्रेमियों के लिए एक प्रमुख स्थल बन जाएगा, जहां उन्हें किसी भी प्रकार की जानकारी के लिए इधर-उधर दौड़ने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी।

हिंदी साहित्य की धरोहर का संरक्षण

म्यूजियम का मुख्य उद्देश्य हिंदी साहित्य की धरोहर को संजोना और उसे आने वाली पीढ़ी के लिए संरक्षित रखना है। भारतेंदु हरिश्चंद्र, मुंशी प्रेमचंद जैसे महान साहित्यकारों ने वाराणसी की धरती पर अपनी लेखनी से हिंदी साहित्य को एक नया मुकाम दिया है। इस म्यूजियम के निर्माण से उनकी कृतियों और योगदान को एक नया जीवन मिलेगा और उनकी विरासत को सुरक्षित रखा जा सकेगा।

सरकार की स्वीकृति और बजट

इस साहित्य म्यूजियम के लिए सरकार से स्वीकृति पहले ही मिल चुकी है और इसके डिजाइन को भी मंजूरी दी जा चुकी है। 24 सितंबर को इस म्यूजियम के निर्माण के लिए शासन के साथ बैठक हुई थी, जिसमें इंटीरियर डिजाइनिंग की प्रक्रिया पर चर्चा की गई। साथ ही, 10 करोड़ रुपये का बजट भी इस परियोजना के लिए जारी किया जा चुका है। अब इस म्यूजियम का निर्माण जल्द ही शुरू होने वाला है।

वाराणसी की साहित्यिक धरोहर को नया आयाम

वाराणसी का साहित्यिक महत्व बहुत बड़ा है। यहां के साहित्यकारों ने हिंदी साहित्य को समृद्ध किया है और उनकी कृतियों को राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर सराहा गया है। इस म्यूजियम के निर्माण से न केवल साहित्यकारों की विरासत को संरक्षित किया जाएगा, बल्कि इससे वाराणसी को एक नया पहचान भी मिलेगी, जहां साहित्य प्रेमी और शोधकर्ता अपनी शोध और अध्ययन के लिए एक उपयुक्त स्थान पा सकेंगे।

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