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Jharkhand Chunaw : सस्पेंस से पर्दा उठा, धनबाद से अजय दुबे और बोकारो से श्वेता सिंह होंगी कांग्रेस उम्मीदवार, आज अंतिम दिन करेंगे नामांकन

भाजपा के राज सिन्हा पहली बार 2014 में विधायक बने। इस वर्ष राज सिन्हा को 1,32,091 वोट मिले, जो कुल वोटरों का 58.13 प्रतिशत रहा।

by Rakesh Pandey
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धनबाद : नामांकन खत्म होने की अवधि के 17 घंटे पहले सोमवार रात करीब 10 बजे कांग्रेस ने धनबाद और बोकारो प्रत्याशी की घोषणा कर सस्पेंस से पर्दा उठा दिया। झारखंड विधानसभा चुनाव के लिए कांग्रेस ने तीसरी सूची जारी कर धनबाद से अजय दुबे और बोकारो से श्वेता सिंह को प्रत्याशी घोषित किया है। अजय दुबे पूर्व में धनबाद लोकसभा का चुनाव लड़ चुके हैं और प्रदेश कांग्रेस के वरीय उपाध्यक्ष भी हैं। श्वेता सिंह 2019 में बोकारो विधानसभा से चुनाव लड़ी थीं और भाजपा के विरंची नारायण को कड़ी टक्कर दे चुकी हैं। बोकारो की कांग्रेस प्रत्याशी श्वेता सिंह की ओर से भी पहले ही नामांकन पत्र खरीद लिया गया था। वो भी मंगलवार को नामांकन दाखिल करने के अंतिम दिन अपना पर्चा भरेंगी। वहीं धनबाद के कांग्रेस प्रत्याशी अजय दुबे भी आज 29 अक्टूबर को नामांकन दाखिल करेंगे।

कांग्रेस के वरीय प्रदेश उपाध्यक्ष और धनबाद सीट से कांग्रेस प्रत्याशी अजय दुबे ने सोमवार की रात टिकट घोषणा के बाद पूजा-पाठ करके धनबाद विधानसभा सीट के लिए चुनावी तैयारियों की शुरुआत कर दी है। मंगलवार को नामांकन में कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी के शामिल होने की सूचना है। अजय दुबे का सीधा मुकाबला भाजपा प्रत्याशी राज सिन्हा से हैं। संयोग है कि दोनों मूलतः बिहार के बक्सर जिला से हैं।

mधनबाद सीट से दो नामों को लेकर कई दिनों से चर्चा चल रही थी। इसमें भाजपा नेता सह धनबाद के पूर्व मेयर चंद्रशेखर अग्रवाल तथा कांग्रेस के अजय दुबे का नाम लिया जा रहा था। पार्टी के नेताओं का भी कहना था कि दोनों में से किसी एक को ही टिकट मिल सकता है। हालांकि कांग्रेस जिला कमेटी तथा टिकट के अन्य दावेदार इस बात की वकालत कर रहे थे कि कुछ भी हो टिकट पुराने कांग्रेसियों को ही दिया जाए। चुनाव के चंद दिन पहले पार्टी में

आने को आतुर नेताओं को तरजीह नहीं देने की वकालत की जा रही थी। चंद्रशेखर अग्रवाल की दावेदारी पर धनबाद कांग्रेस के जिलाध्यक्ष संतोष सिंह ने आपत्ति जताई थी। इसके लिए उन्होंने पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे को भी पत्र लिखा था। इसमें कहा गया था कि भाजपा ने उन्हे कुछ कारणों से टिकट देने के इनकार कर दिया है। उन्हें धनबाद सीट से कांग्रेस का प्रत्याशी बनाना भूल होगी।

अंततः कांग्रेस ने पुराने कांग्रेस कार्यकर्ता को तरजीह दी और अजय दुबे को धनबाद से प्रत्याशी घोषित किया। कांग्रेस प्रत्याशी अजय दुबे ने धनबाद लोकसभा सीट से 2014 में कांग्रेस के टिकट पर सांसद का चुनाव लड़ा था। कांग्रेस के साथ-साथ इंटक की राजनीति में गहरी पैठ रखने वाले अजय दुबे धनबाद के हीरापुर हटिया के रहने वाले हैं’। अजय दुबे कांग्रेस के उन प्रमुख नेता में हैं’, जिनकी धनबाद में अच्छी पकड़ मानी जाती है। अजय ब्राह्मण समाज से आते हैं’ और कांग्रेस पार्टी में लंबे समय से जुड़े रहे हैं’। स्थानीय मुद्दों को लेकर जनता के बीच उनकी लोकप्रियता बनी हुई है। धनबाद क्षेत्र में उनकी उम्मीदवारी को कांग्रेस की ओर से एक महत्वपूर्ण दांव माना जा रहा है, जहां भाजपा और अन्य दलों के साथ कड़ी टक्कर की संभावना है।

बीते पांच चुनाव में सिर्फ एक बार कांग्रेस की झोली में गई सीट

धनबाद विधानसभा क्षेत्र में पिछले 24 वर्षों से भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) व कांग्रेस के बीच ही मुख्य मुकाबला रहा है। बीते पांच विधानसभा चुनाव के आंकड़ों की बात करें, तो धनबाद में सिर्फ एक बार कांग्रेस के विधायक बने, बाकी चार बार भाजपा के विधायक रहे हैं। भाजपा से पीएन सिंह दो बार, राज सिन्हा दो बार और कांग्रेस के मन्नान मल्लिक एक बार विधायक रहे। ऐसा नहीं है कि बाकी दलों ने इस सीट के लिए जोर नहीं लगाया, लेकिन चुनावी समर में सिर्फ एक बार राजद दूसरे स्थान पर जगह बना सकी। बाकी समय में कांग्रेस व भाजपा ही पहले व दूसरे स्थान पर रही।

2014 के मुकाबले 2019 में कम मिले भाजपा को वोट

भाजपा के राज सिन्हा पहली बार 2014 में विधायक बने। इस वर्ष राज सिन्हा को 1,32,091 वोट मिले, जो कुल वोटरों का 58.13 प्रतिशत रहा। वर्ष 2019 के विधानसभा चुनाव में राज सिन्हा दोबारा विधायक बने, मगर उनका मतदान प्रतिशत 2014 के मुकाबले 5.83 प्रतिशत कम हो गया। उन्हें 52.31 प्रतिशत और मन्नान मल्लिक को 39.04 प्रतिशत वोट मिले थे। इस बार भाजपा के राज सिन्हा का मुकाबला कांग्रेस के अजय दुबे के साथ है, कड़ी टक्कर होने की बात कही जा रही है।

विरंची कै लिए एक बार फिर श्वेता बनेंगी चुनौती

बोकारो से कांग्रेस उम्मीदवार श्वेता सिंह ने वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में भी बीजेपी उम्मीदवार बिरंची नारायण को कड़ी टक्कर दी थी। श्वेता सिंह ने पिछली बार 99 हजार से अधिक वोट प्राप्त कर सभी को चौंका दिया था। एक बार फिर भाजपा के विरंची नारायण के लिए चुनौती बनेंगी। विदित हो कि श्वेता सिंह के ससुर स्व. समरेश सिंह इस सीट से पांच बार विधायक रह चुके हैं। समरेश सिंह ने वर्ष 1977 में बोकारो विधानसभा में चुनाव लड़ा और इमामुल हई खान को पराजित कर प्रथम बार विधायक चुने गए थे। इसके बाद समरेश सिंह ने 1985 1990, 2000 और 2009 में बोकारो विधानसभा का प्रतिनिधित्व किया था।

रिपोर्ट: मनोज मिश्रा

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