- आगरा दौरे पर बोले समाजवादी पार्टी प्रमुख ने भाजपा को दी नसीहत, रामजी लाल सुमन के घर हमले पर जताई नाराजगी
लखनऊ / आगरा : समाजवादी पार्टी के राज्यसभा सांसद रामजी लाल सुमन के बयान ने देशभर की सियासत में हलचल मचा दी है। सुमन ने राज्यसभा में राणा सांगा को लेकर जो टिप्पणी की, उसने ऐतिहासिक और राजनीतिक विमर्श को गर्म कर दिया है। रामजी लाल सुमन ने सदन में कहा था कि “राणा सांगा ने बाबर को भारत बुलाया था, और यदि भारतीय मुसलमानों को बाबर का वंशज कहा जाता है, तो राणा सांगा को भी ‘गद्दार’ कहा जाना चाहिए।” इस बयान के बाद भाजपा ने कड़ी आपत्ति जताई और इसे इतिहास के साथ छेड़छाड़ बताया।
इतिहास पलटना सबके लिए खतरनाक : अखिलेश यादव
समाजवादी पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव ने आगरा प्रवास के दौरान इस पूरे विवाद पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा, “रामजी लाल सुमन ने इतिहास के एक पन्ने को पलटने का प्रयास किया है, लेकिन भाजपा को भी इतिहास से छेड़छाड़ करने से बचना चाहिए।” उन्होंने साफ किया कि समाजवादी पार्टी का उद्देश्य किसी ऐतिहासिक व्यक्ति का अपमान करना नहीं है। बल्कि भाजपा को चाहिए कि वह जनता के वास्तविक मुद्दों पर ध्यान दे, न कि इतिहास के पन्नों को लेकर विवाद खड़ा करे।
हमले की राजनीति
इस विवाद के कुछ ही दिनों बाद, 26 मार्च को आगरा में रामजी लाल सुमन के घर पर हमला हुआ। हमलावरों ने उनके घर के बाहर खड़े कई वाहनों को क्षतिग्रस्त कर दिया। इस घटना के बाद पुलिस ने अज्ञात हमलावरों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की है, लेकिन अब तक कोई गिरफ्तारी नहीं हो सकी है। अखिलेश यादव ने इस हमले को लेकर उत्तर प्रदेश सरकार पर निशाना साधते हुए कहा, “यह हमला सरकार की शह पर हुआ है। कानून व्यवस्था पूरी तरह चरमरा चुकी है। सरकार को जिम्मेदार लोगों पर सख्त कार्रवाई करनी चाहिए।”
राजनीतिक तकरार तेज
रामजी लाल सुमन के बयान और उसके बाद की घटनाओं ने भाजपा और समाजवादी पार्टी के बीच राजनीतिक टकराव को और तीखा कर दिया है। भाजपा नेताओं ने सुमन के बयान को न केवल देश के गौरव का अपमान बताया, बल्कि इसे सांप्रदायिक विभाजन फैलाने वाला करार दिया। वहीं, समाजवादी पार्टी का कहना है कि बयान को गलत तरीके से प्रस्तुत किया जा रहा है, और इसका उद्देश्य भाजपा की ऐतिहासिक धारणाओं पर सवाल उठाना था।
इतिहास पर राजनीति का असर
अखिलेश यादव के अनुसार, “देश को आगे ले जाने के लिए अतीत से सबक लेना चाहिए, न कि उसे राजनीतिक हथियार बनाना चाहिए।” वहीं राजनीतिक विशेषज्ञों की मानें, तो राणा सांगा जैसे ऐतिहासिक पात्र को लेकर टिप्पणी करना केवल एक बयान भर नहीं, बल्कि यह राजनीतिक विचारधाराओं के टकराव का प्रतीक बन गया है। जहां एक ओर इतिहास के तथ्यों को लेकर बहस हो रही है, वहीं दूसरी ओर वर्तमान के मुद्दे – शिक्षा, रोजगार, कानून व्यवस्था – पर ध्यान भटकाया जा रहा है।