Home » Tirupati Temple Prasad Controversy: कैसे बनाया जाता है तिरुपति मंदिर का प्रसाद, क्या-क्या होता है इस्तेमाल

Tirupati Temple Prasad Controversy: कैसे बनाया जाता है तिरुपति मंदिर का प्रसाद, क्या-क्या होता है इस्तेमाल

माना जाता है कि बिना यह प्रसाद लिए मंदिर का दर्शन अधूरा रहता है। प्रसाद में मिलने वाला यह लड्डू बहुत खास है और इसे बनाने कि विधि भी अलग है।

by Priya Shandilya
WhatsApp Group Join Now
Telegram Group Join Now
Instagram Follow Now

आंध्र प्रदेश स्थित तिरुपति बालाजी मंदिर के प्रसाद निर्माण में पाए गए घोटाले को लेकर जबरदस्त हंगामा मचा हुआ है। मंदिर में प्रसाद के तौर पर मिलने वाले लड्‌डुओं में गाय की चर्बी और फिश ऑयल मिलने की पुष्टि हुई है, जिसपर सियासत गरमाया हुआ दिख रहा है। इस मुद्दे पर मुख्यमंत्री चंद्रूबाबू नायडू ने पूर्व मुख्यमंत्री जगन मोहन रेड्डी सरकार पर आरोप भी लगाए थे कि मंदिर के प्रसाद में जानवर की चर्बी का इस्तेमाल होता है। इस बयान के बाद शाम तक लैब रिपोर्ट आ गयी जिसमें फिश ऑयल और बीफ टैलो के होने का खुलासा हुआ है। इन सबके बीच क्या आपको पता है कि मंदिर के प्रसाद यानी लड्डू को कैसे बनाई जाती है।

लड्डू बनाने में इस्तेमाल होता है 10 टन बेसन

तिरुपति मंदिर में प्रसाद बनाने के लिए दित्तम (Dittam) का प्रयोग किया जाता है, जो कि प्रसाद तैयार करने का खास तरीका है। यह दित्तम और कुछ नहीं बल्कि सामग्री और उसके क्वांटिटी कि पूरी लिस्ट होती है। मंदिर में मिलने वाले इस प्रसाद रुपी लड्डू को बेसन, काजू, इलायची, घी, चीनी, मिश्री और किशमिश से बनाया जाता है। इसमें हर रोज 10 टन बेसन, 10 टन चीनी, 700 किलो काजू, 150 किलो इलायची, 300 से 400 लीटर घी, 500 किलो मिश्री और और 540 किलोग्राम किशमिश का इस्तेमाल होता है. ज्ञात हो कि इन सामग्रियों में और इसके अनुपात में, अब तक 6 बार बदलाव किये गए हैं।

हर रोज बनते हैं 8 लाख लड्डू

तिरुपति मंदिर का प्रसाद बहुत ही मायने रखता है। माना जाता है कि बिना यह प्रसाद लिए मंदिर का दर्शन अधूरा रहता है। प्रसाद में मिलने वाला यह लड्डू बहुत खास है और इसे बनाने कि विधि भी अलग है। इस लड्डू को बनाने के लिए एक अलग रसोईघर है, जिसे लड्डू पोटू कहा जाता है। यहीं लड्डू को पूरी शुद्धता के साथ तैयार किया जाता है। लड्डू पोटू में हर रोज 8 लाख लड्डू, प्रसाद के तौर पर बनाये जाते हैं। ये लड्डू बनाने के लिए पहले लकड़ियों का इस्तेमाल होता था, पर 1984 के बाद एलपीजी गैस को रसोईघर में लाया गया।

हर रोज 620 रसोइए लड्डू पोटू में लड्डू बनाते हैं। इन्हें पोटू कर्मीकुलु ( potu karmikulu) कहा जाता है। इसमें 247 शेफ हैं, बाकि 150 रेगुलर कर्मचारी और 350 कर्मचारी कॉन्ट्रैक्ट पर काम करते हैं।

भक्तों के लिए बनते हैं कई तरह के प्रसाद

मंदिर में भक्तों के लिए अलग-अलग तरह के प्रसाद यानी लड्डू बनाये जाते हैं। मंदिर में आने वाले सभी श्रद्धालुओं को प्रोक्तम लड्डू (Proktham Laddu) नियमित तौर पर दिया जाता है। फिर आता है अस्थानम लड्डू (Asthanam Laddu), जो कि किसी विशेष मौके या त्योहार पर बनाए जाते हैं। इसमें काजू, बादाम और केसर की मात्रा अन्य लड्डुओं से ज्यादा होती है। फिर आता है कल्याणोत्सवम लड्डू (Kalyanotsavam Laddu), जो कि विशेष भक्तों को ही दिया जाता है।

बहरहाल, तिरुपति मंदिर में मिलने वाले प्रसाद को लेकर जमीनी स्तर और सोशल मीडिया पर काफी बहस चल रही है। कई लोगों ने धर्म भ्रष्ट करने का आरोप पूर्व मुख्यमंत्री जगन मोहन रेड्डी की सरकार पर लगाया है। अब लैब रिपोर्ट के आने के बाद, आखिर तिरुपति मंदिर लोगों की आस्था और आंध्र प्रदेश की सरकार को क्या नया मोड़ देता है, ये देखना दिलचस्प होगा।

Related Articles