लखनऊ : उत्तर प्रदेश पुलिस के महानिदेशक (DGP) राजीव कृष्णा ने सोमवार को कहा कि प्रदेश में आर्थिक अपराध (Economic Crimes) तेजी से बढ़ रहे हैं, जो पुलिस के लिए एक बड़ी चुनौती बन चुके हैं। उन्होंने यह बात पुलिस मुख्यालय में आयोजित आर्थिक अपराध अनुसंधान संगठन (EOW) की एक दिवसीय कार्यशाला के उद्घाटन अवसर पर कही।
साइबर अपराध ने बढ़ाई चुनौती
में भारी बढ़ोतरी देखी गई है। उन्होंने कहा कि कम समय में अधिक पैसा कमाने की चाह में लोग धोखेबाजों के झांसे में आ जाते हैं। इससे बचने के लिए आम नागरिकों को जागरूक रहना चाहिए और बैंकों या प्राइवेट योजनाओं में निवेश से पहले सरकारी सूचना स्रोतों से पूर्ण जानकारी लेनी चाहिए।
EOW का नया CMS सॉफ्टवेयर लॉन्च
इस मौके पर डीजीपी ने ईओडब्लू का नया लोगो और केस मैनेजमेंट सॉफ्टवेयर (CMS) लॉन्च किया। उन्होंने कहा कि यह सॉफ्टवेयर आर्थिक अपराधों (Economic Crimes) की जांच को तेज करने में सहायक होगा और पत्राचार में लगने वाला समय भी बचेगा।
कार्यशाला में CBI के संयुक्त निदेशक अशोक कुमार ने बताया कि अब 1 करोड़ रुपये से कम के आर्थिक अपराधों की जांच पुलिस करती है और इसकी सूचना कॉरपोरेट मंत्रालय को देनी होती है। 1 से 6 करोड़ तक के मामलों की जांच संबंधित एजेंसी करती है, जबकि 6 करोड़ रुपये से अधिक के मामलों में जांच CBI को सौंपी जाती है।
Economic Crimes : बैंकों में धोखाधड़ी की जांच कैसे करें?
सीबीआई अधिकारी ने सुझाव दिया कि बैंकों में धोखाधड़ी की जांच करते समय बैलेंस शीट की जांच अनिवार्य रूप से करनी चाहिए, क्योंकि यहीं से धोखाधड़ी के सुराग मिलते हैं। उन्होंने बताया कि आर्थिक अपराधों की रोकथाम के लिए भारत का 45 देशों से समझौता है, लेकिन कई अपराधी ऐसे देशों में भाग जाते हैं जहां कोई आधिकारिक समझौता नहीं है।
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