Ranchi (Jharkhand) : राजधानी रांची के थानों में इन दिनों पंचायती चल रही है। डोरंडा थाने में पंचायती लगी और गैरसुलहनीय और संज्ञेय अपराध के मामले को सेटल करा दिया गया, जबकि यह मामला एसएसपी रांची के संज्ञान में आया था।, उन्हीं के आदेश पर जांच शुरू हुई। शुरुआत में तो पीड़ित को खूब दौड़ाया गया। जब बारी एफआईआर दर्ज करने की आई तो पहले थाने का सीमा विवाद सामने आया। अब आखिर में समझौता करा दिया गया।
दरअसल, बीते 22 सितंबर को डोरंडा के मनी टोला में एक वकील के साथ घर में घुसकर मारपीट की गई थी। इस दौरान दो लोगों ने वकील की पत्नी के साथ छेड़छाड़ भी की थी। यह मामला बीएनएस की धारा 74 और 76 का बनता है, जो एक संज्ञेय और गैरसुलहनीय अपराध की श्रेणी में आता है। इसमें तीन से सात साल तक की जेल और जुर्माने का प्रावधान है। ऐसे मामले को थाना में पंचायत लगाकर सेटल करा देना, पुलिसिंग की कार्यशैली पर सवाल खड़ी कर रही है। जबकि संज्ञेय अपराध के मामले में तुरंत एफआईआर करने का नियम है। जाहिर है, इस मामले में पुलिस और रसूखदारों के दबाव से इन्कार नहीं किया जा सकता। फोटोन संवाददाता से बातचीत के बाद एफ़आईआर दर्ज करने की सुगबुगाहट चल रही थी। हालांकि ख़बर लिखे जाने तक एफआईआर दर्ज नहीं की गई थी।
स्थिति को बयां कर रहा ‘एक्स’ पर पोस्ट
सेटलमेंट से एक दिन पहले पीड़ित ने सोशल मीडिया ‘एक्स’ पर एक पोस्ट किया था। इसमें उन्होंने लिखा था- ‘बधाई हो रांची पुलिस, मुझे और मेरे परिवार को डर के साए में जीने को विवश करने के लिए।’ इससे पहले उन्होंने लिखा था- ‘अब क्या मुझे न्याय मिल पाएगा। पुलिस की लापरवाही के कारण, तत्काल एक्शन नहीं लेने, तत्काल जांच नहीं करने के कारण महत्वपूर्ण साक्ष्य सीसीटीवी फुटेज डिलीट हो गए या जानबुझ कर डिलीट कर दिया गया। उनके एक्स पोस्ट को देखकर लगता है कि वह काफी दबाव में थे और उनका परिवार डर के साए में जी रहा है। यह पोस्ट काफी अपीलिंग है, जो स्थिति को बयां करने वाला है।


आठ दिनों तक थानेदार ने पीड़ित को दौड़ाया
बता दें कि 22 सितंबर को घटना के तुरंत बाद पीड़ित वकील ने डोरंडा थाना में एफआईआर दर्ज कराने के लिए आवेदन दिया था। पुलिस ने आवेदन स्वीकार कर रीसिविंग भी दिया था। रीसिविंग की कॉपी ‘द फोटोन न्यूज’ के पास मौजूद है। इसके बावजूद पीड़ित को आठ दिनों तक पुलिस थाने के चक्कट कटवाते रही। इसके बाद पीड़ित एसएसपी की शरण में पहुंचे थे। इस मुद्दे को ‘द फोटोन न्यूज’ ने प्रमुखता से उठाया था। खबर को रांची पुलिस ने संज्ञान में लिया था। इसके बाद एसएसपी के आदेश पर डोरंडा थानेदार 30 सितंबर को जांच के लिए घटनास्थल पहुंची थी।
जांच के दौरान सीमा विवाद में उलझी थी पुलिस
घटना के आठ दिनों बाद जांच करने पहुंची डोरंडा थाना की पुलिस सीमा विवाद में उलझ गई थी। घटनास्थल एयरपोर्ट थाना के अंतर्गत आ रहा था। इसके बाद डोरंडा थानेदार ने एयरपोर्ट थाना को इसकी सूचना दी। कुछ देर के बाद एयरपोर्ट थाना की पुलिस भी घटनास्थल पर पहुंची। दोनों थानों की पुलिस ने मामले की जांच की। कई सीसीटीवी भी खंगाले गए लेकिन फुटेज हाथ नहीं लगा। घंटो सीमा विवाद में उलझने के बाद एयरपोर्ट थाना में एफआईआर दर्ज करने का फैसला हुआ। इसके बाद एफआईआर दर्ज नहीं करके दूसरे दिन मामले को रफा दफा कर दिया गया।

कानून के एक्सपर्ट की राय
इस मामले में फोटोन न्यूज ने कानून के जानकार सौरभ दास, अधिवक्ता झारखंड हाईकोर्ट से संपर्क किया। उन्होंने बताया कि ऐसे मामले जो संज्ञेय अपराध और गैरसुलहनीय के श्रेणी में आते है, उसे थाने में सेटल नहीं किया जा सकता। अगर थाना में समझौता करा दिया गया हो तो जिम्मेदार कार्रवाई के दायरे में आएंगे।
वर्जन
पुलिस कभी सेटलमेंट नहीं कराती है। इस मामले को डीएसपी ने इंक्वायरी के लिए डाला था। नए वाले कानून के अनुसार, सात साल से कम सजा वाले अपराध में 14 दिनों तक जांच करने का समय है। लेकिन, मामले को अगर सेलटमेंट करा दिया गया है तो मैं इसकी पूरी इंक्वायरी करूंगा।
पारस राणा, एसपी, रांची सिटी